अखिल भारतीय रैगर महासभा द्वारा सन् 1984 में जयपुर में आयोजित चतुर्थ महासम्मेलन की सफलता से उत्साहित होकर अगला रैगर महासम्मेलन शीघ्र ही दिल्ली में आयोजित करने का निर्यण लिया गया । 27 सितम्बर, 1986 को पंचम अखिल भारतीय रैगर महासम्मेलन विज्ञान भवन दिल्ली में आयोजित किया गया । इस सम्मेलन के मुख्य अतिथि भारत के तात्कालीन महामहिम राष्ट्रपति श्री ज्ञानी जैलसिंहजी थे तथा अध्यक्षता श्री धर्मदास जी शास्त्री सांसद ने की । इस सम्मेलन में हजारों की संख्या में रैगरों ने भाग लिया । देश के हर कौने से आए रैगरों ने इस सम्मेलन में शिरकत की । देश की राजधानी दिल्ली के महंगे और भव्य विज्ञान भवन में रैगर समाज का महासम्मेलन आयोजित होना ही अपने आप में गौरव की बात है । इस सम्मेलन के आयोजन में लाखों रूपये खर्च हुए मगर अधिकांश खर्चा श्री धर्मदास शास्त्री ने अपने मित्रों और उद्यौगपतियों से जुटाया । इस सम्मेलन मैं महामहिम राष्ट्रपतिजी द्वारा स्वामी ज्ञान स्वरूपजी महाराज, स्व. स्वामी आत्मारामजी लक्ष्य, स्वामी गोपालरामजी महाराज तथा स्वामी रामानन्दजी महाराज को रैगर भूषण, रैगर विभूषण तथा रैगर श्रेष्ठ सेवक/सेविका जैसी कई उपाधियों से सम्मानित किया गया । इस सम्मेलन में श्री चन्दनमल नवल द्वारा लिखित ‘रैगर जाति का इतिहास’ पुस्तक का विमोचन महामहिम राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह के कर कमलों द्वारा किया गया । यह एक ऐतिहासिक सम्मेलन था इस सम्मेलन के सफल आयोजन का श्रेय श्री धर्मदास शास्त्री को जाता है । उन्होंने रैगरों के जातीय सम्मेलन में भारत के तात्कालिन महामहिम राष्ट्रपति श्री ज्ञानी जैलसिंह जैसी हस्ती को रैगरों के बीच लाकर खड़ा किया और रैगर समाज को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई । इस सम्मेलन में रैगर सुधार तथा रैगर उत्थान के कई मुद्दों पर विचार हुआ । यह सम्मेलन रैगरों की शक्ति, संगठन, जागरूकता, स्वाभिमान तथा गौरव का प्रतीक था ।
- History
- वर्ग व्यवस्था
- रैगर वंशावली
- रैगर जाति की उत्पत्ति
- रैगर जाति का विस्तार
- रैगर शब्द की उत्पत्ति
- गोत्रों का महत्व एवं उत्पत्ति
- गंगा भगीरथ और रैगर
- रैदास और रैगर
- हुरड़ा और शिलालेख
- झुंझार रैगर
- 20वीं शताब्दी के पुर्व में रैगर
- महा प्रेरक विभूति “धर्म गुरु स्वामी ज्ञान स्वरूप महाराज”
- लक्ष्य का उद्भव
- रैगर समाज के कुछ ऐतिहासिक तथ्य
- अखिल भारतीय रैगर महासम्मेलन
- अन्य सम्मेलन
- शेखावटी रैगर सम्मेलन- सितम्बर, 1945
- फुलेरा प्रांतीय रैगर सम्मलेन-जून 1946
- मालपुरा -प्रांतीय सम्मलेन- मार्च 1949
- वृहद्र रैगर सम्मेलन मसूदा ( अजमेर)- 1949
- रैगर जाति सम्मेलन कनघट्टी (मन्दसौर, म. प्र.)- जनवरी,1958
- अजमेर राज्य रैगर कार्यकर्ता सम्मेलन-1955
- महासभा सम्मेलन जयपुर
- रिंगस सम्मेलन
- महासभा की दिल्ली बैठक
- अन्य पंचायतें
- अन्य मेले
- जयपुर युवा महासम्मेलन
- रैगरों पर हुए अत्याचार