हमारे जीवन में शिक्षा का महत्व

आज जिस प्रकार दुनियां आधुनिक रूप में बदल रही है, वहां शिक्षा का मतलब बढ़ता जा रहा है । ऐसा नहीं है कि आज विश्व के आधुनिक रूप में परिवर्तन होने के कारण शिक्षा के महत्व पर जोर दिया गया है ,

बल्कि प्राचीन समय से ही शिक्षा के महत्व को हमारे पूर्वजों ने स्वीकार किया है। वर्तमान समय में यदि कोई व्यक्ति शिक्षित नहीं है तो वह समाज में पिछड़ता जाता है ।वह समाज से खुद को अलग सा महसूस करता है ।

यहां शिक्षा का मतलब बहुत सारी Degrees लेकर पूर्ण शिक्षित होने से नहीं है, बल्कि कम से कम कितना आत्मबल होने से है की उसे सामान्य कामों के लिए किसी की सहयोग लेने की आवश्यकता ना पड़े। उसे कम से कम इतना ज्ञान हो कि वह लिखना पढ़ना जानता हो।

आज शिक्षा का महत्व इस कारण भी बढ़ गया है कि हमें सामान्य कामों के लिए भी शिक्षित लोगों की मदद लेनी पड़ती है।

किसी भी व्यक्ति का प्रथम विद्यालय उसका घर होता है और किसी भी व्यक्ति का पहला शिक्षक उसके माता-पिता होते हैं ।आज के समय मेंअधिकतर युवाओं की सोच यह है कि शिक्षा का उद्देश्य नौकरी लेना है ,लेकिन वास्तविकता ऐसी नहीं है ,जब तक हमारी शिक्षित होने का उद्देश्य नौकरी लेना होगा, तब तक हम पूर्ण रुपेन शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाएंगे । शिक्षा का उद्देश्य यह होना चाहिए कि हम पूर्णरूपेण शिक्षित होकर दूसरों को रोजगार देने लायक काम करें। शिक्षा का महत्व हमारे जीवन में इस कदर बढ़ गया है कि शहरी क्षेत्र में तो एक और शिक्षित व्यक्ति खुद को ठगा हुआ महसूस करता है । ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति में भी अब बदलाव आ रहा है ,वहां भी अब शिक्षित लोगों की मांग बढ़ गई है।

ज्यादा नहीं अगर हम आज से 60 – 70 साल पीछे की बात करें तो सुदूर क्षेत्र में विरले ही कोई शिक्षित व्यक्ति मिलता था और वह व्यक्ति उस गांव में आसमान के ध्रुव तारे के समान चमकता था ।जिस किसी को भी कोई पत्र लिखना या पढ़ना होता तो उसके सामने अपने पत्र पढ़ाने के लिए विनती आरजू करना पड़ता था ।

 स्त्री शिक्षा

स्त्री तथा पुरुष दोनों ही समाज रूपी रथ के दोनों पहिए   हैं । यदि एक पहिया कमजोर हो तो रथ का चलना असंभव है । हमारे समाज में जरूरत है कि जिस प्रकार बालकों पुरुषों के शिक्षा पर जोर दिया जाता है ,ठीक उसी प्रकार स्त्री शिक्षापर भी जोर दिया जाना चाहिए वरना यह समाज रूपी रथ कभी आगे बढ़ नहीं पाएगा ।

एक पुरुष को शिक्षित करने से वह अकेला शिक्षित होगा लेकिन एक स्त्री को शिक्षित करने से वह पूरा परिवार शिक्षित होगा। यह आवश्यक नहीं है कि सिर्फ एक पुरुष ही चिकित्सक वकील अभियंता या अन्य पद हासिल कर सकता है ।आज की स्त्रियां भी इतनी सक्षम है कि वह इन पदों पर आसीन हो सकती हैं।

किसी भी देश कि यदि स्त्री शिक्षित नहीं हो तो उस देश की आधी आबादी ही शिक्षित रह जाएगी और ऐसा होने पर उस देश का विकास कभी भी संभव नहीं है । आज ढेरों ऐसे शिक्षित महिलाओं के उदाहरण देखने को मिलते हैं ।

जिन्होंने हमारे देश का नाम शिक्षा के क्षेत्र में ऊंचा किया हो । कुछ रूढ़िवादी लोगों का मानना है कि स्त्रियों को शिक्षा देनी चाहिए लेकिन उन्हें उच्च शिक्षा से दूर रखना चाहिए । आज आवश्यकता है ऐसी मानसिकता को बदल कर बदलते समाज के साथ चलने की।

वर्तमान शिक्षा प्रणाली तथा शिक्षा का गिरता स्तर

वर्तमान शिक्षा प्रणाली का स्तर इतना गिर गया है की प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी छात्रों को सही से अपना नाम लिखने का ज्ञान नहीं होता आज कल के सरकारी विद्यालयों की स्थिति से तो सभी वाकिफ हैं । शिक्षकों को बहुत सारे सरकारी कागजातों को ठीक करने में लगा दिए जाते हैं ।

बहुत सारे ऐसे स्कूल देखे गए हैं जिसमें कि क्लास के मुताबिक शिक्षक की कमी ज्यादा से ज्यादा देखने को मिलता है फिर भी उसे जनगणना जैसे अन्य कार्यों में लगाया जाता है ।जब क्लास में शिक्षक पूरे नहीं रहेंगे तो शिक्षा का स्तर कहां तक ऊपर उठ पाएगा।यह सोचनीय बातें बनकर रह गयी है ।

सरकारी फाइलें भले ही जो कहती हो लेकिन जब जमीनी स्तर से पड़ताल की जाए तो वर्तमान शिक्षा प्रणाली बद से बदतर स्थिति में मालूम पढ़ती है।

शिक्षा के निजी करण से तो इसकी स्थिति और भी ज्यादा खराब हो गई है । निजी स्कूल के संचालकों ने पूरी तरह से शिक्षा को बेचने का धंधा शुरू कर दिया है ।इसके लिए शिक्षा पैसा कमाने का एक जरिया बनकर रह गया है ना की ऊंची शिक्षा  देने का काम किया है।

बाकी सरकार ने शिक्षा में आरक्षण देकर पूरी कर दी है ।आज निम्न वर्ग के छात्र आरक्षण के लोभ  में पर कर अपने लक्ष्य से भटक रहे हैं ।आज सरकार को जरूरत है कि हम मुद्दों पर विचार करके कोई ठोस कदम उठाएं।,

शिक्षा का स्तर सामान्य कर देना चाहिए पूंजीपति वर्ग और गरीब वर्ग दोनों वर्ग के बच्चे का कएक ही स्कूल में शिक्षा दीक्षा होनी चाहिए  । शिक्षा थियोरीकल के जगह प्रैक्टिकल टेक्नोलॉजी वाला शिक्षा होनी चाहिए ,जैसे चीन और जापान में टेक्नोलॉजिकल शिक्षा का प्रादुर्भाव है टेक्निकल शिक्षा ग्रहण करने पर हर गरीब अमीर को कार्य मिल सकता है ।

कोई भी आदमी भूखे नहीं मर सकता है । कोई भी विद्यार्थी नौकरी के तलाश में नहीं भटक सकता है । नौकरी देने वाला बन सकता है, लेकिन नौकरी लेने वाला नहीं इस प्रकार से हमारा देश शक्ति  संपन्न ,सुखी बन सकता है

और हमारा देश पहले की तरह सोने की चिड़िया बन सकती है हमारा देश पूरे विश्व में एक अलग पहचान छोड़ सकता है । चुकेे बच्चे तो देश का भविष्य होते हैं । बच्चे पर ही पूरे देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व का भविष्य टिका होता है ।

इसलिए हमारी सरकार को चाहिए की टेक्नोलॉजी शिक्षा अपने देश में अविलंब लागू करेऔर अपने बच्चे को कार्यकुशल बनाकर देश में एक अलग छाप छोड़ने का काम करे ।

इस तकनीकी शिक्षा से हमारे देश में उत्पादित माल दूसरे परोशी देश को बेच कर उस बच्चे को stipan देकर student को प्रोत्साहित कर शेष रुपया देश का उत्थान कार्य में लगाकर देश को नवीन ऊर्जा देने का काम कर सकते हैं ।

इस प्रकार हमारे देश का हर बच्चा इंजीनियर और डॉक्टर बनकर दूसरे देश को अपना पहचान दे सकते हैं । इतना ही नहीं हमारे देश में तकनीकि खेती से ज्यादा से ज्यादा फसल उत्पादन कर विश्व में नंबर वन स्थान ले सकते हैं।