क्या राजस्थान विधानसभा चुनाव-2018 में रैगर समाज निभाएगा निर्णायक भूमिका

आगामी दिसम्बर में राजस्थान विधानसभा की 200 सीटो पर चुनाव होने है l  प्रमुख राजनीतिक पार्टियाँ रैगर समाज को छोड़कर अन्य सभी समाज के वोटरों को रिझाने के लिए अपनी-अपनी गोटियां फिट करने में लगी हुई है । जबकि राजस्थान प्रदेश में रैगर जाति अनुसूचित जाति की सबसे बड़ी जाति होते हुए भी प्रदेश में वर्तमान समय में उसका राजनैतिक प्रतिनिधित्व घटता चला जा रहा है अर्थात प्रमुख राजनीतिक पार्टियों द्वारा रैगर जाति को अनदेखा किया जा रहा है, लेकिन अब समाज के लोग राजनीति में अपने हक की लड़ाई में अहम भूमिका निभाने को तैयार हो गए हैं । सच्चाई ये है कि प्रदेश की सभी सीटो पर रैगर समाज के मतदाता ही उम्मीदवारों की हार-जीत में निर्णायक भूमिका निभाते है l

अखिल भारतीय रैगर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया ने सभी राजनीतिक पार्टियों को चेतावनी देते हुए कहा कि आने वाले विधानसभा चुनाव में अगर राजनीतिक पार्टियों ने रैगर समाज के लोगो को उचित प्रतिनिधित्व नहीं दिया तो रैगर समाज 142 सामान्य (जनरल) सीटो पर भी खुद के स्वतंत्र उम्मीदवार खड़े करने से भी पीछे नहीं हटेगा l रैगर समाज के मतदाता ही प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवारों की हार-जीत में निर्णायक भूमिका निभाते है l

राष्ट्रीय अध्यक्ष ने आगे कहा कि राजस्थान विधानसभा में 1952 से लेकर 1990 तक चार विधायक रैगर समाज के हुआ करते थे l  आज राजनैतिक दलों की उदासीनता से रैगर समाज के विधायक प्रतिनिधियों की संख्या घट कर काफी कम रह गई । प्रदेश की राजनीति में जातिगत समीकरण बहुत महत्त्व रखते हैं। जो राजनैतिक दल रैगर समाज के लोगों को अधिक टिकट देगा, उसी दल को समर्थन किया जाएगा । रैगर समाज की उपेक्षा करने पर उन राजनैतिक दलों को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं । इस बार के विधानसभा चुनावो में  रैगर समाज अपनी ताकत दिखाएगा । आज के दौर मे मजबूत लोकतंत्र में परिवार व समाज के सर्वांगीण विकास व संरक्षण के लिए राजनीति में उचित प्रतिनिधित्व होना आवश्यक हो गया है ।