अखिल भारतीय रैगर छात्रावास – जयपुर

राजस्‍थान रैगरों का उद्गम स्‍थल है । भारत के अन्‍य प्रदेशों की तुलना में रैगरों की संख्‍या राजस्‍थान में सर्वाधिक है । जयपुर राजस्‍थान की राजधानी है । जयपुर में रैगर छात्रावास तथा रैगर धर्मशाला की आवशयकता काफी समय से महसूस की जा रही थी । इस दिशा में दो दशक पहले रैगर समाज ने प्रयास शुरू कर दिए थे । मगर सार्थक प्रयास सन् 1998 में प्रारंभ हुए । ग्‍यारहवीं राजस्‍थान विधान सभा (1998-2003) में रैगर समाज के ती सदस्‍य- श्री छोगाराम बाकोलिया, श्री मोहनलाल चौहान तथा श्री बाबुलाल सिंगारिया चुन कर आए थे । तीनों ही कांग्रेस पार्टी के विधायक थे । सन् 1998 में कांग्रेस की सरकार बनी और श्री अशोक गहलोत मुख्‍य मंत्री बने । श्री छोगाराम बाकोलिया को केबीनेट मंत्री के रूप में मंत्रीमण्‍डल में शामिल किया गया । जयपुर में रैगर छात्रावास के लिए सरकार से भूमि आवंटन हेतु सक्रिय प्रयास करने का राजनैतिक दृष्टि से यह उपयुक्‍त अवसर था । श्री छोगाराम बाकोलिया मंत्री राजस्‍थान सरकार के नेतृत्‍व में प्रयास शुरू हुए । अखिल भारतीय रैगर महासभा ने जयपुर में रैगर छात्रावास के लिए भूमि आवंटन का आवेदन किया । श्री छीतरमल मौर्य उस समय अखिल भारतीय रैगर महासभा में संगठन मंत्री थे । रैगर छात्रावास के लिए भूमि आवंटन करवाने में श्री छोगाराम बाकोलिया के बाद श्री छीतरमल मौर्य की भूमिका महत्‍वपूर्ण है । श्री टी.आर. वर्मा ने भी इस कार्य में सहयोग किया । अन्‍तत: यह स्‍वप्‍न साकार हुआ जब दिनांक 26.08.2001 को अखिल भारतीय रैगर धर्मशाला रामदेवरा (जिला जैसलमेर) का उद्घाटन करते समय राजस्‍थान के त्‍तकालीन मुख्‍य मंत्री श्री अशोक जी गहलोत ने यह घोषणा की कि अखिल भारतीय रैगर महासभा को जयपुर में बेशकीमती जमीन में से भूखण्‍ड आवंटित कर दिया गया है । यह घोषणा सुनकर सम्‍मेलन में उपस्थित लगभग 20 हजार समाज बंधुओं ने करतल ध्‍वनि से इस घोषणा का स्‍वागत किया । इस त‍रह राजस्‍थान में प्रमुख रैगर समाज सेवियों के प्रयासों से वर्ष 2001 में राजस्‍थान की राजधानी गुलाबी नगरी जयपुर के हृदय स्‍थल जवाहर लाल नेहरू मार्ग पर भास्‍कर कार्यालय के पीछे भूखण्‍ड सं. 5ए क्षेत्र 1005.85 वर्ग मीटर रैगर छात्रावास के लिए राज्‍य सरकार द्वारा आवंटित कर दिया गया । इस भूखण्‍ड की कुल कीमत रूपये 13,14,545.22 थी । अस सम्‍बंध में 22 सितम्‍बर 2001 को श्री कल्‍याण नगर करतारपुरा, जयपुर में रैगर समाज की एक विशाल सभा का आहवान किया गया । इसमें बहुत बड़ी संख्‍या में लोगों ने भाग लिया । इस मीटिंग में रैगर छात्रावास प्रबन्‍ध समिति का गठन किया गया । श्री टी.आर. वर्मा (आई.ए.एस. सेवा निवृत) को सर्व सम्‍मति से समिति का अध्‍यक्ष बनाया गया । भूखण्‍ड की कीमत राजकोष में समय पर जमा करवाने की महत्‍वपूर्ण जिम्‍मेदारी छात्रावास प्रबन्‍ध समिति के कन्‍धों पर थी । धन संग्रह का कार्य प्रारंभ किया गया । समाज के लोगों से भरपूर सहयोग मिला । 24 सितम्‍बर 2001 को भूखण्‍ड की कीमत पेटे रूपये 3,28,655.00 जे.डी.ए. जयपुर में जमा करवा दिए गए । शेष रकम बाद में जमा करवा दी गई । 14 सितम्‍बर, 2002 को मुख्‍य मंत्री राजस्‍थान श्री अशोक गहलोत के कर कमलों से रैगर छात्रावास का शिलान्‍यास किया गया । शिलान्‍यास समारोह की अध्‍यक्षता श्री छोगाराम बाकोलिया मंत्री राजस्‍थान सरकार ने की । छात्रावास के लिए जयपुर में एक कीमती भूखण्‍ड का आवंटन हो जाना रैगर समाज की बहुत बड़ी उपलब्धि है । श्री टी.आर. वर्मा वर्ष 2004 से लगातार दूसरी बार अखिल भारतीय रैगर महासभा का अध्‍यक्ष चुना जाना सौभाग्‍य की बात है । श्री टी.आर. वर्मा के कार्यकाल में अखिल भारतीय रैगर महासभा ने समाज के दानदाताओं से लगभग 1 करोड़ रूपयों के आर्थिक सहयोग से 30000 वर्ग फुट में छात्रावास, धर्मशाला, अतिथिगृह तथा सभा भवन का निर्माण एक ऐतिहासिक उपलब्धि है । तीन मंजिल के दो विशाल भवनों में समस्‍त सुविधायुक्‍त 44 कमरें, 3 बड़े बरामदे तथा 2 सभा भवन बनाये गए हैं । इसके अलावा चारो तरफ परकाटा, टय्यूबवेल एवं पानी बिजली पुख्‍ता व्‍यवस्‍था की गई है । आज यह संस्‍थान सम्‍पूर्ण रैगर समाज की चेतना, विकास, त्‍याग तथा आस्‍था का केन्‍द्र बन गया है ।

छात्रावास का पता

9, संस्‍थानिक क्षेत्र जे.एल.एन. मार्ग, दैनिक भास्‍कर कार्यालय के पास, जयपुर, फोन – 0141-2706735

(साभार- चन्‍दनमल नवल कृत ‘रैगर जाति : इतिहास एवं संस्‍कृति’)

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