रूणिचा में बाबा रामदेव का मंदिर पूरे भारत में प्रसिद्ध है । वर्ष में दो बार भाद्रवा तथा माघ महीने में भारी मेला लगता है । इस मेले में राजस्थान के अलावा गुजरात, दिल्ली, महाराष्ट्र, हरियाणा आदि प्रान्तों से लाखों की संख्या में दर्शनार्थी आते हैं । इस मेले की विशेषता यह है कि बाबा रामदेव पीर को जितनी श्रद्धा से हिन्दू मानते हैं उतनी ही श्रद्धा से मुसलमान भी मानते हैं । हरिद्वार की तरह रामदेवरा भी यात्री प्रतिदिन आते जाते रहते हैं । रैगर जाति के लोग भी बाबा रामदेव में गाढ़ी आस्था रखते हैं और प्रति वर्ष हजारों की संख्या में रैगर बन्धु रामदेवरा आते रहते हैं । रामदेवरा में कई जातियों की अपनी धर्मशालाएं बनी हुई हैं मगर रैगर समाज की कोई धर्मशाला नहीं थी । रामदेवरा (रूणिचा) जिला जैसलमेर में स्थित है । यह थार का रेगिस्तानी इलाका है । रामदेवरा जहां बाबा रामदेव का मंदिर है एक छोटा-सा गांव है । इसलिए यात्रियों के ठहरने की सुविधा अन्य बड़े शहरों की तरह भी उपलब्ध नहीं है । ग्रामीण इलाका है इसलिए रैगरों को जातीयता की वजह से भी अन्यत्र ठहरने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था । रैगर जाति की इस समस्या को महसूस किया साध्वी बालकदासजी धर्माचार्य ने । यह काम सम्पूर्ण रैगर जाति के सहयोग से ही पूरा हो सकता था । समाज के लोगों ने उदार हृदय से दान दिया । साध्वी बालकदासजी ने रामदेवरा में 100×100 वर्ग फुट का भूखण्ड खरीद कर 21.04.1983 को रामनवमी के दिन रामदेवरा सरपंच श्री नखतसिंह के कर कमलों से रैगर धर्मशाला की नीव रखवाई । 72 कमरे बन कर तैयार हो चुके हैं । इस धर्मशाला के बन जाने से रामदेवरा जाने वाले रैगर बंधुओं को ठहरने की अब कोई कठिनाई नहीं होगी । इस धर्मशाला का उद्घाटन दिनांक 26.08.2001 को श्री अशोक गहलोत मुख्यमंत्री राजस्थान ने किया । यह धर्मशाला सम्पूर्ण रैगर समाज की अमूल्य धरोहर है ।
(साभार- चन्दनमल नवल कृत ‘रैगर जाति : इतिहास एवं संस्कृति’)
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