श्री एस.के. दास

जन्‍म एवं शिक्षा – श्री एस.के. दास पुत्र श्री पन्‍नालालजी मूण्‍डोतिया का जन्‍म ग्राम नेछवा जिला सीकर (राजस्‍थान) में 9 मार्च, 1945 को रैगर समाज के एक मध्‍यवर्गीय परिवार में हुआ । श्री दास की प्रारम्‍भिक शिक्षा नेछवा में ग्राम भारती विद्यापीठ कोठ्यारी में हुई । बी.काम. की डिग्री कानोंरिया कॉलेज, मुकनदगढ जिला झुंझुन से प्राप्‍त की । उच्‍च शिक्षा के लिए जयपुर गए । राजस्‍थान विश्‍वविद्यालय, जयपुर से आपने एम.ए. अर्थशास्‍त्र में किया ।

 व्‍याख्‍याता – वर्ष 1967 में राजकीय महाविद्यालय, भीनमाल में व्‍याख्‍याता अर्थशास्‍त्र के पद पर नियुक्‍त रहे । वर्ष 1968 में राजकीय महाविद्यालय डूंगरपुर तथा दौसा में आपने व्‍याख्‍याता अर्थशास्‍त्र के पद पर कार्य किया ।

भारतीय पुलिस सेवा (आई.पी.एस.) – वर्ष 1969 में भारतीय पुलिस सेवा में आपका चयन हुआ । आपको मध्‍य प्रदेश काडर मिला । दिसम्‍बर, 1970 तक माउण्‍ट आबू एवं मसूरी में आपने आई.पी.एस. का प्रशिक्षण प्राप्‍त किया । दिसम्‍बर, 1972 तक दो वर्ष फील्‍ड ट्रेनिंग के दौरान आप सहायक महानिरीक्षक पुलिस, इन्‍दौर में नियुक्‍त रहे । इसके बाद जशपुर नगर में अनुविभागीय अधिकारी पदस्‍थापित रहे ।

मणिपुर में नियुक्‍त – जुलाई, 1973 से फरवरी, 1975 तक लगभग डेढ साल मणिपुर के करॉग जिले में नागा समस्‍या के समाधान हेतु 14वीं बटालियन विशेष शस्‍त्र बल में आपका पदस्‍थापन रहा । वहाँ आपने प्रशंसनीय कार्य किया । इसलिए वर्ष 1973 में भारत सरकार ने आपको ‘कठिन सेवा पदक’ से सम्‍मानित किया ।

जिला पुलिस अधीक्षक – फरवरी, 1975 से जनवरी, 1976 तक श्री दास मध्‍य प्रदेश के जिला मुरैना में अतिरिक्‍त पुलिस अधीक्षक नियुक्‍त रहे । मुरैना जिले में कुख्‍यात डकैत गेंगों का आतंक था । आपने अपनी नियुक्ति के दौरान नबाव कहार तथा हीरा बाबू डकैत गेंगों का सफाया किया । इसके लिए मध्‍य प्रदेश शासन ने आपको प्रशंसा पत्र प्रदान किया ।

जनवरी, 1976 से अप्रेल, 1978 तक लगभग सवा दो साल आप जिला पुलिस अधीक्षक, नरसिंहपुर तथा अप्रेल, 1978 से अप्रेल, 1980 तक दो साल जिला पुलिस अधीक्षक, भीण्‍ड नियुक्‍त रहे । भीण्‍ड जिले में नियुक्ति के दौरान आपने कुख्‍यात डकैत बलवानसिंह एं कमलाबाई गेंग का सफाया किया और मलखानसिंह गेंग से कई बार मुठभेड़ें हुईं ।

जून, 1984 से जून, 1986 तक दो साल जिला पुलिस अधीक्षक, रायपुर (अब छत्‍तीसगढ़ की राजधानी) में नियुक्‍त रहे । रायपुर आबादी की दृष्‍ट‍ि से मध्‍यप्रदेश का सबसे बड़ा जिला था । उस समय अकेले रायपुर जिले की आबादी 40 लाख थी । रायपुर जिले में 3 सांसद और 20 विधायक चुने जाते थे । तात्‍कालीन रायपुर के अब 4 जिले बन चुके हैं । श्री दास ने रायपुर में पुलिस अधीक्षक नियुक्‍त रहते हुए जिले की कानून एवं व्‍यवस्‍था को बखूबी नियंत्रण में रखा और अपनी प्रशासनिक योग्‍यता का परिचय दिया ।

उप महानिरीक्षक रेंज – आप भोपाल रेंज में दो बार उप महानिरीक्षक नियुक्‍त रहे । प्रथम बार सितम्‍बर, 1987 से जनवरी, 1988 तक तथा दूसरी बार अप्रेल, 1993 से जुलाई, 1994 तक भोपाल रेंज डी.आई.जी. पदास्‍थापित रहे । भोपाल रेंज के सभी जिले अपराध एवं साम्‍प्रदायिकता की दृष्टि से अतिसंवेदनशील हैं । श्री दासने साम्‍प्रदायिक एवं अन्‍य अपराधों पर नियंत्रण रखा ।

जनवरी, 1988 से अगस्‍त, 1988 तक आप डी.आई.जी. चम्‍बल रेंज नियुक्‍त रहे और कुख्‍यात डकैत गेंगों का सफाया करवाया । इसके बाद आप को इन्‍दौर रेंज का डी.आई.जी. बनाया गया । सितम्‍बर, 1989 से अप्रेल, 1993 तक तीन साल छ: माह आप इन्‍दौर रेंज डी.आई.जी. नियुक्‍त रहे । यह रेंज अपराध एवं साम्‍प्रदायिकता की दृष्टि से बहुत संवेदनशील है । श्री दास ने प्रभावी कार्य-योजना से सभी तरह के अपराधों पर नियंत्रण रखा और अपनी कार्यकुशलता एवं योग्‍यता का परिचय दिया ।

महा निरीक्षक, जोन- श्री दास पदोन्‍नत होने पर जुलाई, 1994 से नवम्‍बर, 1995 तक लगभग सवा साल पुलिस महानिरीक्षक भिलाई जोन नियुक्‍त रहे । भिलाई जोन का पूरा क्षेत्र नक्‍सलवाद से ग्रसित है । श्री दास ने नक्‍सवादी गतिविधियों पर नियंत्रण रखा । इसके पश्‍चात् नवम्‍बर, 1995 से जुलाई, 1998 तक करीब 2 साल 8 माह श्री दास भोपाल जोन के आई.जी. पद पर स्‍थापित रहे । अपनी नियुक्ति के कार्यकाल में श्री दास ने भोपाल जोन में अपराधों पर नियंत्रण तथा कानून एवं व्‍यवस्‍था को बनाए रखा ।

अतिरिक्‍त महानिदेशक पुलिस – पदोन्‍नत होने पर श्री दास जुलाई, 1998 से जून, 1999 तक पुलिस मुख्‍यालय भोपाल में अतिरिक्‍त महानिदेशक योजना एवं प्रबंधन नियुक्‍त रहे । इसके पश्‍चात् जुलाई, 1999 से जून, 2002 तक मध्‍य प्रदेश के एक मात्र आर्म्‍ड पुलिस प्रशिक्षण कॉलेज, इन्‍दौर में पदस्‍थापित रहे । इस कॉलेज में मध्‍य प्रदेश पुलिस की विशेष सशस्‍त्र बटालियन के अफसरों एवं कर्मचारियों को सभी प्रकार का गहन प्रशिक्षण दिया जाता है । इन्‍दौर के बाद जून, 2002 से जून, 2003 तक एक वर्ष अतिरिक्‍त महानिदेशक विशेष सशस्‍त्र बल भोपाल में नियुक्‍त रहे जहाँ करीब 30 बटालियनों के प्रशिक्षण तथा कल्‍याण के कार्य कुशलतापूर्वक सम्‍पन्‍न किए ।

महानिदेशक, जेल- श्री दास जून, 2003 से दिसम्‍बर, 2003 तक महानिदेशक जेल पदस्‍थापित रहे । जहाँ मध्‍य प्रदेश की समस्‍त जेलों का पर्यवेक्षण एवं प्रबंधन का कार्य किया ।

महानिदेशक पुलिस- श्री एस.के. दास मध्‍य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक दिसम्‍बर, 2003 से 31 मार्च, 2005 तक करीब सवा साल नियुक्‍त रहे । मध्‍य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक रहते हुए श्री दास ने कई उपलब्‍धियाँ हासिल की । प्रदेश में कानून एवं व्‍यवस्‍था की स्थिति बेहतर बनाए रखी । इस अवधि में साम्‍प्रदायिक हिंसा गतिविधियों पर नियंत्रण रखा तथा चम्‍बल के बीहड़ों में कुख्‍यात डकैत रावत गेंग का सफाया किया । सबसे बड़ी उपलब्‍धि यह रही की उज्‍जैन में 21वी शताब्‍दी का पहला महाकुंभ अप्रेल, 2004 में आयोजित हुआ जिसमें करोड़ों की संख्‍या में श्रद्धालु दर्शनार्थ आए । आपने पुलिस की उच्‍च स्‍तरीय व्‍यवस्‍था करके कुम्‍भ मेले को शान्ति एवं सफलतापूर्वक सम्‍पन्‍न करवाया ।

पदक एवं प्रशंसा पत्र- श्री एक.के. दास को अपनी सेवाकाल में भारत सरकार तथा मध्‍य प्रदेश शासन द्वारा कई पदक एवं प्रशंसा पत्र प्रदान किए गए ।

1. भारत सरकार द्वारा ‘कठिन सेवा पदक’ – 1993
2. राष्‍ट्रपति द्वारा ‘पुलिस पदक’ – 1986
3. राष्‍ट्रपति द्वारा ‘विशिष्‍ठ सेवा पदक’ – 1994
4. मध्‍यप्रदेश शासन द्वारा ‘सिंहस्‍थ ज्‍योति मेडल’ – 2004

महा निदेशक – डॉ. अम्‍बेडकर राष्‍ट्रीय सामाजिक विज्ञान संस्‍थान, महू

मध्‍य प्रदेश के महामहिम राज्‍यपाल ने श्री एस.के. दा को जून, 2005 में 4 वर्ष के लिए डॉ. अम्‍बेडकर राष्‍ट्रीय सामाजिक संस्‍थान, महू का महानिदेशक नियुक्‍त किया है । यह संस्‍थान समाज की ज्‍वलंत समस्‍याओं के बारे में अध्‍ययन एवं अनुसंधान कर सिफारिशें मध्‍य प्रदेश शासन को प्रस्‍तुत करता है ।

श्री एस.के. दास रैगर समाज के पहजे और एक मात्र आई.पी.एस. अधिकारी हैं जो किसी राज्‍य के पुलिस महानिदेशक रहे हैं । आप दिसम्‍बर, 2003 से मार्च, 2005 तक मध्‍य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक नियुक्‍त रहे हैं । सराहनीय सेवाओं के लिए आपको भारत सरकार तथा मध्‍य प्रदेश शासन ने कई पदक एवं प्रशंस पत्र प्रदान किए हैं । श्री दास ने रैगर समाज का गौरव बढ़ाया है ।

(साभार- चन्‍दनमल नवल कृत ‘रैगर जाति : इतिहास एवं संस्‍कृति’)

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