रैगर समाज की हरिद्वार व रामदेवरा स्थित धर्मशालायें तो मुख्य तीर्थ स्थानों पर होने के कारण अत्यधिक जन उपयोंगी हैं किन्तु अन्य स्थानों पर भी समाज बन्धुओं द्वारा व्यक्तिगत तथा पंचायत स्तर पर अनेक धर्मशालायें बनी हुई है जिनमें से कुछ की यहाँ जानकारी दी जा रही है-
श्री रूपाराम जी म्होरिया की धर्मशाला- बसवा निवास श्री रूपाराम जी म्होरिया ने रैगर समाज की धर्मशाला होने की आवश्यकता अनुभव की और सबसे पहले आज से कोई चालीस वर्ष पूर्व आरम्भ में पाँच कमरों की धर्मशाला बनवाई । इसके पश्चात् धीरे-धीरे हर साल निर्माण कार्य कराते रहे । आज यह दो मंजिली पूर्ण धर्मशाला है । इसमें एक हॉल तथा बीस बाईस कमरे है यहाँ पर बिजली व पानी की आवश्यक व्यवस्था है । पानी टैंकों द्वारा होज में भरा जाता है । कुछ कमरों में पंखे भी लगे हुये है । वैसे यहाँ पर ठहरने वालों से किराया व दान स्वरूप कुछ राशि भी ली जाती है जिससे वहाँ जानी बिजली की व्यवस्था की जाती है ।
चाकसू गाँव व शीतला मेलें में धर्मशाला- चाकसू गाँव में रैगर बस्ती व गोली राव तालाब व गोली राव तालाब के बीच एक बड़े मैदान में आज से लगभग 60 वर्ष पूर्व स्थानीय पंचायत द्वारा धर्मशाला बनावाई गई । इसमें कमरे तथा बीच में बहुत बड़ा चौक है । इसी प्रकार शीतला मेले के स्थान पर भी कुछ रैगर बन्धुओं की बनवाई हुई दो-तीन छोटी-छोटी धर्मशालायें है जो मेले के अवसर पर लोगों के बहुत काम आती है ।
जोबनेर में धर्मशाला- जोबनेर कस्बे में रैगर बस्ती के पास ही जयपुर रोड़ पर कुछ वर्षों पूर्व ही एक विशाल धर्मशाला का निर्माण कराया गया है । इसमें आगे दुकानें है व पीछे की ओर दो-तीन कमरे व बहुत बड़ा चौक है । इसमें अभी बहुत-सा निर्माण कार्य शेष है ।
सांगानेर में धर्मशाला- सांगानेर में दोनों बस्तियों में ही अलग-अलग मन्दिर व धर्मशालायें पंचायत द्वारा बनवाई गई है । इनके अतिरिक्त रामनगर के विशाल चौक में एक ओर तो जीवाराम जी महाराज का समाधि स्थल व मन्दिर तथा दूसरी और जयपुर नगर निगम द्वारा डॉ. अम्बेडकर मंगल भवन बनवाया गया है । जिसमें समाज के तीनों सामूहिक विवाह सम्मेलनों का आयोजन इसी स्थान पर हुआ है । इसके अतिरिक्त समाज के अनेक सार्वजनिक कार्य यहाँ सम्पन्न हुये है । यहाँ सांगानेर रैगर पंचायत ने बस स्टैण्ड के पास ही मुख्य बाजार की एक जमीन का विवादास्पद केस जीतकर उसमें भवन तथा अनेक दुकानें बनवाई है । इससे सांगानेर पंचायत को लाखों रूपये वार्षिक आय होती है ।
जयपुर चाँदपोल व घाटगे में भी धर्मशालायें- जयपुर शहर में वेसे तो स्थानाभाव होता ही है फिर भी बस्ती में जो भी स्थान रिक्त थे उनमें चान्दपोल बस्ती में दो जगह पर व घाटगेट में भी बगीचे में भवन बना दिये है । ये भवन बस्तियों में अनेक सार्वजनिक कार्यों में काम तो आते ही है । बाहर से आये हुये यात्रियों के ठहरने के काम भी आते है ।
गोनेर में धर्मशाला- गोनेर (जयपुर) में भी श्री जगदीश जी महाराज का वर्ष में दो बार मेला लगता है तथा बीच में भी अनेक लोग अपनी सुविधानुसार सवा मणियाँ लाते है । इसलिये यहाँ की आवश्यकता को देखकर कुछ समाज सेवकों ने तालाब की पाल पर दो छोटी-छोटी धर्मशालायें बनवा दी है जो समाज के यात्रियों के लिये बहुत उपयोगी रहती है । एक ओर धर्मशाला गोनेर ग्राम वासी बन्धु यहाँ बनवा रहे है ।
मारवाड़ जक्शन में धर्मशाला- जोधपुर के पास मारवाड़ जक्शन में भी रैगर बंधुओं द्वारा विशाल धर्मशाला बनवाई हुई है जो समाज के सार्वजनिक कार्यों में बहुत ही काम आती है ।
सामोद में धर्मशाला- सामौद (जयपुर) में पहाड़ पर हनुमान जी के मन्दिर की बगल में यहीं के पूर्व निवासी दिल्ली के दारा सिंह बसेठिया ने एक धर्मशाला बनवाई है लेकिन वह रैगर समाज के कम तथा मन्दिर वालों के ही अधिक काम में आती है । इसी प्रकार सामोद रैगर बस्ती के पास मुख्य सड़क पर ही यही के मूल निवासी श्री बालूराम जी बसेठिया दिल्ली वालों ने एक बहुत ही सुन्दर मन्दिर तथा पास ही छोटी सी धर्मशाला बनवाई है ।
मैड़ ग्राम में धर्मशाला- ग्राम मैड़ तहसील बैराठ (जयपुर जिले में) भी श्री छीतरमल जी चांदोलिया (कस्टम कलेक्टर) ने अपने ग्राम मैड़ में चांदोलिया बन्धुओं की बस्ती के पास ही गाँव के पूर्व की ओर प्रतापगढ़ रोड़ पर एक धर्मशाला बनवाई है । इसमें आठ-दस कमरे व हॉल है । यह धर्मशाला सभी सुविधाओं से युक्त बनी हुई है । इनके अतिरिक्त मारवाड़ में अनेक स्थानों पर तथा कोटा बूंदी क्षेत्र में भी अनेक धर्मशालायें बनी हुई है । ये धर्मशालायें समाज के विभिन्न कार्यों में बहुत उपयोगी रहती है ।
भादवामाता में धर्मशाला- मध्य प्रदेश के नीमच जिले में स्थित भादवामाता का मन्दिर बहुत पोराणिक व सिद्ध मंदिर है । यहाँ पर सेकड़ो श्रद्धालु रोज़ना दर्शन के लिए आते है एवम् हर वर्ष दोनों नवरात्रि में यहाँ पर 9 दिनों तक मेला भी लगता है एवम् साथ ही यहाँ पर लखवे से पीड़ित बीमार लोग यही पर रूक करते है माता में अपनी श्रद्धा दिखाते है ओर वे ठिक भी हो जाते है । यहाँ पर रैगर समाज की एक पुरानी धर्मशाला है । जिसमें 4-5 कमरे बनें है । यह धर्मशाला लगभग 50 वर्ष पुरानी है । और आज भी वो जीर्णोंधार की राह देख रही है ।
चित्तौड़गढ़ में धर्मशाला- चित्तौड़गढ़ में किले के नीचे की तरफ ही समाज के बी.एल. नवल रैगर समाज छात्रावास के पास ही रैगर समाज की एक पुरानी धर्मशाला है जिसका निर्माण 1950-1960 के दशक में कराया गया था । इसमें 5-6 कमरें बनें हुए है व आगे की तरफ दो दुकाने है व एक बड़ा हॉल बना है पर बहुत पुरानी होने के कारण यह धर्मशाला जीर्णोंद्धार की राह देख रही है ।
आवरीमाता में धर्मशाला- मेवाड़ में स्थित आवरीमाता का मन्दिर बहुत पोराणिक व सिद्ध मंदिर है । यहाँ पर हजारों श्रद्धालु रोज़ना दर्शन के लिए आते है एवम् हर वर्ष दोनों नवरात्रि में यहाँ पर 9 दिनों तक मेला भी लगता है एवम् साथ ही यहाँ पर लखवे से पीड़ित बीमार लोग यही पर रूक करते है माता में अपनी श्रद्धा दिखाते है ओर वे ठिक भी हो जाते है । यहाँ पर रैगर समाज की एक पुरानी धर्मशाला है । जिसमें 4-5 कमरे बनें है । यह धर्मशाला लगभग 50 वर्ष पुरानी है ।
समाज में ऐसी अनेकों धर्मशालाएँ है आपसे अनुरोध है कि आप हमें उन धर्मशालाओं का संज्ञान कराएं ताकी हम उन्हें भी यहां पोस्ट कर सकें ।
(साभार- स्व. श्री रूपचन्द जलुथरिया कृत ‘रैगर जाति का इतिहास’)
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