समाज के संत महात्मा

पवित्र भारत की मात्रभूमि पर समय – समय पर संत महात्माओ व सिद्ध पुरुषों ने अवतरित होकर परोपकार हेतु जनकल्याण किया है ! समाज पर जब भी अत्‍याचार और अन्‍याय के बादल छाये या समाज में भटकाव और बिखराव की स्थिति उत्‍पन्‍न हुई तब संत महात्‍‍माओं ने ही समाज को सही राह दिखाई। इसलिए संत महात्‍माओं की हर युग में पूजा होती रही है। कई बार संत महात्‍माओं ने अपने नैतिक और आध्‍यात्मिक बल से समाज की दिशा को ही बदल डाली और युग सृष्‍टा बन गए। जब भी धर्म पर संकट आया संत महात्‍माओं ने ही निवारण किया । साधु संतों की वाणी और उपदेशों का आज भी मानव जीवन पर सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है । समाज की इनके प्रति आज भी प्रगाढ़ आस्‍था बनी हुई है । समाज में जो भी नैतिकता शेष रह गई है वो इन संत महात्‍माओं के बदौलत ही है । आध्‍यात्मिकता तथा नैतिकता के अभाव में किसी भी समाज की हम कल्‍पना नहीं कर सकते।

साधु संतों की कोई जाति, वर्ग अथवा धर्म (सम्‍प्रदाय) नहीं होता है फिर भी समाज ने इन्‍हें इन सीमाओं में बांधा है । इसलिए यह कहा जा सकता है कि संत महात्‍मा हर युग, हर समाज तथा हर जाति में हुए हैं और उन्‍होंने समाज को मार्ग दर्शन दिया है । रैगर जाति में भी अनेकों विद्वान् संत महात्‍मा हुए हैं जिन्‍होंने समाज में व्‍याप्‍त कुरीतियों तथा बुराइयों का विरोध किया तथा सद् आचरण की प्रेरणा दी । समाज को गिरी हुई स्थिति से ऊपर उठाया । समाज सुधार और उत्‍थान के क्षेत्र में संत महात्‍माओं ने ही पहल की और उन्‍हीं के प्रभाव से यह जाति गौरवपूर्ण स्थिति तक पहुँची । रैगर जाति में मारवाड़ पाली निवासी साधु लक्ष्‍मणरामजी प्रथम महात्‍मा थे जिन्‍होंने सबसे पहले समाज सुधार के लिए सफल प्रयास किये । वे केवलानन्‍दजी को छोड़कर रैगर जाति में सबसे विद्वान् महात्‍मा हुए हैं । उनका समाज पर जबरदस्‍त प्रभाव था । प्रभाव की दृष्टि से साधु लक्ष्‍मणदासजी के बाद स्‍वामी श्री ज्ञानस्‍वरूप महाराज हुए हैं । समाज संगठन का जो कार्य स्‍वामी आत्‍मारामजी लक्ष्‍य ने किया वैसा अन्‍य कोई संत महात्‍मा नहीं कर सके । समाज सेवा और विकास के कार्यों में स्‍वामी गोपालरामजी का विशिष्‍ठ स्‍थान है । इस तरह रैगर जाति के सुधार और विकास के लिए अनेकों संत महात्‍माओं ने प्रयास किये । रैगर जाति में अब तक हुए सभी संत महात्‍माओं का वर्णन देना संभव नहीं है, इसलिए प्रमुख संत महात्‍माओं का वर्णन दिया जा रहा है ।

हमारा देश संतों महात्माओ का देश है, और हम संतो ऋषि यों की परंपरा के कारण ही आज हम अपनी संस्कृति और सभ्यता को बचाए हुये है, इस संत परंपरा को हमें ख़तम नहीं होने देना है .राष्ट्र के विकास के लिए उच्च कोटि के संतों का होना बहूत जरूरी है । संत-महात्मा सदा ही समाज में ज्ञान का प्रचार कर मानव को सत्य व धर्म का मार्ग दिखाते हैं। सन्त-महात्मा हमारे से तभी प्रसन्न होते हैं, जब हमारा जीवन महान्‌ पवित्र, निर्मल हो जाये और हमारा कल्याण हो जाय। आप भले ही उन्हें रोटी मत खिलाओं, उनकी कुछ भी सेवा मत करो; परंतु उनकी बातों को धारण करके वैसे ही बन जाओ तो वे बड़े प्रसन्न हो जायँगे; क्योंकि यही उनकी असली सेवा है।

हमारे रैगर समाज में भी इसी प्रकार कई सन्‍त महात्‍मा हुए है जिनके योगदान से रैगर जाति और भारतीय समाज में नई चेतना पैदा हुई। और उन्‍होने समाज कल्‍याण एवं जाति उद्धार के लिए अनेको कार्य किए हम उन्‍ही रैगर सन्‍त-महात्‍मओं के बारे में यहां पर उनकी जीवनियों को आपके सामने प्रस्‍तुत कर रहे है ताकि आपभी उनके सद्कर्मों से प्रभावित होकर समाज के कल्‍याण हेतु अपना महत्‍वपूर्ण योगदान प्रदान करे।

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BRAJESH HANJAVLIYA



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