स्वामी आत्माराम लक्ष्य की अभिलाषा थी कि रैगर जाति के बच्चों की शिक्षा के लिए रैगर छात्रावासों की समुचित व्यवस्था को जहाँ विद्यार्थी को शिक्षा सम्बंधी समस्त सुविधाएं उपलब्ध कराई जाय जिससे छात्र उच्च शिक्षा ग्रहण कर सकें । स्वामी आत्मारामजी लक्ष्य ने अपने जीवन काल में यह कल्पना कर ली थी कि बिना शिक्षा के रैगर जाति का उत्थान नहीं हो सकता । शिक्षा से ही समाज आगे बढ़ सकता है । स्वामीजी की इस अभिलाषा को मूर्त रूप देने के लिए ही ‘राजस्थान रैगर सुधारक संघ’ ने सितम्बर, 1960 में रींगस जिला सीकर में प्रांतीय स्तर का रैगर सम्मेलन बुलाया । इस सम्मेलन में रींगस में एक छात्रावास के निर्माण का निर्णय लिया गया । इस छात्रावास का नाम स्वामी आत्मारामजी लक्ष्य की पुण्य स्मृति को चिर स्थाई बनाने के उद्देश्य से ‘श्री आत्माराम लक्ष्य छात्रावास, रींगस’ रखा गया । प्रारम्भ में यह छात्रावास पच्चीस छात्रों से शुरू किया गया था । रींगस छात्रावास में 14 कमरों के अलावा, दो बड़े हाल, एक विशाल सभा भवन एवम् एक कुआ है । यह छात्रावास सर्व सुविधाओं युक्त है । इसमें 40 छात्रों के रहने की व्यवस्था है । प्रवेश प्रतिमाह जुलाई में कक्षा 6 से 12 वीं तक के विद्यार्थियों के लिए है तथा सभी सुविधाए नि:शुल्क है । इसके निर्माण में राजस्थान के रैगरों के अलावा दिल्ली के दानदाताओं ने भी उदार हृदय से आर्थिक सहायता प्रदान की । सितम्बर 1964 में इस छात्रावास का वार्षिकोत्सव सम्पन्न हुआ जिसकी अध्यक्षता श्री नवल प्रभाकर ने की थी । इस छात्रावास को साकार रूप देने तथा संचालन में श्री मूलचन्द मौर्य तथा श्री कालूराम कुलदीप का विशेष योगदान रहा है ।
(साभार- चन्दनमल नवल कृत ‘रैगर जाति : इतिहास एवं संस्कृति’)
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