रैगर गरिमा

अनुक्रमणिका

क्र. विषय सूची

1. महत्‍वपूर्ण फोन नम्‍बर (अहमदाबाद)

2. बस एवं रेल समय सारणी

3. रैगर महाकुम्‍भ

4. आरक्षण, जाति प्रमाण पत्र एवं रैगर जाति

5. गुजरात में रैगर समाज

6. रैगर आन्‍दोलन

7. नव रैगर समाज बनाये (कविता)

8. मौसर

9. रैगरों के रीति-रिवाज एवं उनके ऐतिहासिक संदर्भ

10. गर्व से कहो हम रैगर है, लेकिन कैसे ?

11. हर नहीं होती /बाबा रामदेव जी (कविता)

12. माँ गंगे (कविता)

13. महिला शिक्षा

14. उन्‍नति के पथ पर रैगर समाज

15. देहज रोकने के लिए शिक्षा का महत्‍व

16. आनन्‍द पावो जी / मनरे कर सिमरण दु:ख नाहीं (कविता)

17. रैगर गोत्र और धाराड़ी

18. सहयोग एवं शक्ति से स्‍वस्‍थ समाज का निर्माण

19. झगड़ो जाजम रो

20. रैगर समाज : ऐतिहासिक दृष्टि

21. हमारे संत श्री

22. शिक्षित बनों

23. जनगणना एवं रैगर जाति

24. मान-सम्‍मान

25. जागो रैगर

26. गुजरात में रैगर जाति को अनुसुचित जाति में शामिल करनें का प्रतिवेदन

27. 10,000 वर्ष का केलेन्‍डर

28. आदर्श समाज का निर्माण

29. रैगर अर्थव्‍यवस्‍था

30. हनुमान चालिसा एवं गंगा मैया की आरती

31. सामूहिक विवाह के भामाशाहों की सूची

32. अखिल भारतीय रैगर समाज अहमदाबाद के ऑडिट किये हुए खाते

33. गुजरात में रैगर जनगणना की अनुक्रमणिका

कुल पृष्‍ठ 550


            2 दिसम्‍बर 2009 को अहमदाबाद में 54 जोडों का सामूहिक विवाह सम्‍मेलन का कार्यक्रम किया गया, उस समय यह निश्‍चय किया गया था कि इस विवाह सम्‍मेलन को यादगार बनाने के लिए एक पुस्तिका छपवाई जाएगी । जिसमें विवाह समारोह में सहयोग करने वाले महानुभावों के बारे में समाज को जानकारी दी जाएगी । बाद में समाज द्वारा यह महसूस किया गया कि क्‍यों न इस पुस्तिका को विवाह समारोह के बारें में जानकारी तक ही सीतित नहीं रखकर गुजरात में बसे रैगर बंधुओं की पूरी जनगणना, जिसमें परिवार के सदस्‍यों के नाम, गोत्र, उम्र, शिक्षा, व्‍यवसाय व पता आदि का विवरण दिया जाए, ताकि एक दूसरे को ज्ञात हो कि किस परिवार में कितने सदस्‍य है एवं कितने व्‍यक्ति पढे-लिखे व नौकरीपेशा व शादी-शुदा है , कि जानकारी मिल सके । जनगणना में दी गई जानकारी में उनके घर का एवं मूल स्‍थान का पता व टेलिफोन नम्‍बर आदि दिए गये ताकि व्‍यक्ति आवश्‍यकता होने पर एक दूसरे से सम्‍पर्क कर सके व किसी भी प्रकार के सामाजिक कार्यों में एक दूसरे का सहयोग लिया जा सके ।
पुस्‍तक में समाज के रीति-रिवाजों, मन्दिरों, साधु-संतों, धर्मशालाओं आदि के बारे में भी जानकारी दी गई है, ताकि रैगर बंधुओं में उनके बारे में पता लगे व अपना ज्ञानवर्धन कर सके । इसमे अहमदाबाद से आने व जाने वाली ट्रनों एवं बसों की समय सारणी, महत्‍वपूर्ण टेलिफोन नम्‍बर आदि की जानकारी को भी दिया गया है, ताकि यह बहुउद्देशीय पुस्‍कत का काम कर सके व समाज के बंधु इससे लाभान्वित हो सके । इतिहास एवं रीति-रिवाजों पर लिखे गये लेख, अब तक ज्ञात जानकारी के आधार पर की गई पहल हैं । इसमें शोध और अनुसंधान की आवश्‍यकता है । समाज शिक्षित वर्ग से अपेक्षा रखता है कि वे इतिहास को खंगालकर और तथ्‍यात्‍मक जानकारी निचोडे जिससे हमारा गौरवशाली इतिहास समाज में स्‍वाभिमान की भावना विकसीत करें ।

इस पुस्‍तक को मंगवाने के लिए सम्‍पर्क करें –

श्रीनारायण देवतवाल, बी-74, गिरिवर बुंगलोवस, स्‍वामी नारायण स्‍कुल के पास में, निरन्‍त चार रास्‍ता, वस्‍त्रल रोड़, अहम्दाबाद Pin 382418 गुजरात, मोबाईल नम्‍बर 9825795428, 8530091192

E-Mail – [email protected]

(पुस्‍तक का मुल्‍य केवल 100/- रूपये पोस्‍टल चार्जस अलग से)



श्री छीतरमल चान्‍दोलिया : एक परिचय

           इतिहास उसका बनता है, जो औरों के दिलों को अपनी सौरभ से सुवासित कर दे । जिस के रोम रोम में विकास की धारा एवं प्रगतिशील विचारों का वास हो, वो शख्स हर आम के दिल में राज करता हैं । राजस्थान की गुलाबी नगरी के तहसील विराटनगर के गांव मैड़ में धर्मनिष्ठ, श्रेष्ठीवर्य स्व. श्री मानसिंह चान्दोलिया माता श्रीमती घीसीदेवी के घर 5 जुलाई 1958 को जन्में सरल स्वभावी, मिलनसार श्री सी. एम. चान्दोलिया समाज के हर वर्ग का उत्थान करने के साथ वर्तमान में महानगर कलकत्ता में भारतीय राजस्व सेवा में आयुक्त सीमा शुल्क के उत्पाद शुल्क एवं कर के उच्च पद पर पदासीन होते हुए रैगर समाज का गौरव बढ़ा रहे है।

बचपन से विलक्षण प्रतिभा, सुसंस्कारों व उच्च विचारों से ओत-प्रोत श्री चान्दोलिया की प्राथमिक शिक्षा ग्राम मैड़ में हुई तथा उच्च माध्यमिक शिक्षा शाहपुरा में हुई । परास्नातक वर्ष 1981 में जयपुर से कर आप सरकरी सेवा में व्याख्याता (भूगोल) राजकीय महाविद्यालय प्रतापगढ़, बार, चिमनपुर (जयपुर) के पद पर रहते हुए । आपका 1984 में भारतीय राजस्व सेवा में आई आर. एस. के पद पर चयन हो गया और आप महाराष्ट्र की माया नगरी मुम्बई 1986 में सहायक कमीशन के पद पर रहे । आप मुम्बई से पदोन्नति होकर गुजरात के राजकोट, अहमदाबाद, काण्डला तथा उतरप्रदेश के लखनऊ में उपायुक्त के पद सफलता पूर्वक कार्य करते हुए अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। वर्ष 1997 में अपर आयुक्त के पद पर बिहार के हजारीबाग, पटना रहे । आप 2004 मे पदोन्नति होकर अहमदाबाद में आयुक्त सीमा शुल्क के उत्पाद शुल्क एवं सेवा कर के पद पर पदासीन रहे । आपका 2011 में स्‍थानांतरण कलकत्ता हो गया और आप यहां पर आसुक्त सीमा शुल्‍क के उत्‍पादन एवं सेवा कर के पद पर पदासीन होकर रैगर समाज की शोभा बढ़ा रहे ।

कुशल प्रशासक, नेतृत्व दक्ष, विकास के आधार पुरुष, निष्काम सेवा भावी समाज को सर्वपरी मानने वाले श्री सी. एम चांदोलिया ने समाज के चहुमुखी विकास के लिए सदैव तत्पर रहते हैं आपने रैगर धर्मशाला हरीद्वार, रामदेवारा, मैड़, रैगर छात्रावास जयपुर में हर संभव आर्थिक सहयोग प्रदान किया । श्री चान्दोलिया समाज के कार्यो में भी पूरी उत्साह एवं समर्पण भाव से काम करते आ रहे है आपने प्रथम चुनाव अधिकारी के रुप सन् 2003 में अखिल भारतीय रैगर महासभा (पंजी.) के विधिवत् चुनाव करवाकर एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी होने का परिचय दिया । आप समाज कई सामुहिक विवाह समारोह महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे आप त्रिवेणीधाम में 2 मई 2007 का आयोजीत सामुहिक विवाह में मुख्य अतिथि के रुप में पधारे, 19 मई 2008 में अपनी जन्म भूमि मैड़ में संरक्षक के रुप 54 जोड़ों का सामुहिक विवाह सम्मेलन करवाया । 13 जून 2009 को नेरहेठ तह थाना गाजी जिला अलवर में भी आप के संरक्षक में सामुहिक विवाह का आयोजन हुआ । 2 दिसम्बर 2009 को गुजरात के अहमदाबाद शहर प्रथम 54 जोड़ों का विशाल सामुहिक विवाह सम्मेलन आपके अथक प्रयासों व आपकी अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ वर्तमान में आप रैगर समाज के इतिहास के शोध में प्रयासरत है आपके अध्‍यक्षता में गुजरात के अहमदाबाद में सम्‍पन्‍न सामुहिक विवाह सम्‍मेलन की स्‍मारिका के तोर पर पुस्तक रैगर गरिमा का सम्पादन कर प्रकाशन किया इस पुस्‍तक के सम्‍पादन में श्री प्रकाश चन्‍द्र चौहान, श्री श्रीनारायण देवतवाल एवं श्री दशरथ भट्ट ने महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा की । अनुभव के आलोक, आदर्श जीवन की प्रतिभा, धर्मनिष्ठ श्री चांदोलिया अपने जीवन में समाज के विकास, युवा वर्ग को शिक्षा तथा सामाजिक एकता के साथ धार्मिक क्रियाओं, उच्च विचारों, सरलता व सादगी को खास अहमियत देते है ।

श्री सी. एम. चान्दोलिया की धर्मपत्नी श्रीमती बसन्ती चान्दोलिया अपने अच्छे संस्कारों एवं मिलनसार व्यक्तित्व के कारण मैड़ की जनरल सीट पर वर्ष 2004 में सरपंच बनी । अपने कार्य काल में मानव सेवा को सर्वोपरी मानते हुऐ सभी वर्गो के लोगो के लिए हर संभव कार्य किया जो बहुत ही सराहनीय है । संस्कारों के महकता परिवार में श्री चान्दोलिया के एक पुत्र डॉ. वरुन है तथा एक सुपुत्री सुमन जिसकी शादी हो चुकी है आप वर्तमान में ए-163 महेश नगर जयपुर में निवास करते है ।

(साभार – गौविन्‍द जाटोलिया, सम्‍पादक ‘रैगर ज्‍योति’)

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