अखिल भारतीय रैगर महासभा की ओर से सुधारवादी प्रस्तावों के प्रचार हेतु राजस्थान के प्रसिद्ध मेलों के अवसरों पर प्रतिनिधि भेजे गए । मेलें का समय एक उपयुक्त समय था क्योंकि इस समय आस-पास के गाँव के लोग वहां एकत्रित हो जाते हैं । वहां उन्हें कुरीतियों को त्याग एवं अच्छाईयों को ग्रहण कराने हेतु, भजन, कीर्तन, प्रवचन आदि द्वारा प्रयास किया जाता रहा है साथ ही मेलों के अवसर पर ही अगर स्वजातीय बन्धुओं ने कहीं आपसी तनाव हो उसे भी दूर किया जाता रहा है । महासभा के सदस्य महासभा के कार्यों से अवगत कराते रहे एंव स्थानीय लोगों को दृढ़ता एवं संगठित हो, सुधारवादी कार्यों में प्रवृति होने का निर्देशन भी करते है । शिक्षा के प्रसार के लिए मुख्यत: प्रचार किया गया । कुछ मुख्य मेलों का संकेत देना ही यहां पर्याप्त होगा । सेढ़ बलाली मेला, बाणगंगा मेला, भृतहरी मेला, पुष्कर तीर्थराज मेला, रींगस मेला, लोहागढ़ मेला, नारायणी मेला, तीजों का मेला आदि मेलों पर महासभा के प्रतिनिधि गए और उन्होंने पारित प्रस्तावों को अमल में लाने हेतु स्थानीय लोगों से शपथ दिलवाई । इनमें से कुछ प्रमुख मेलों का आयोजन किया गया उनके बारे में जानकरी यहा पर निम्नानुसार है –
अखिल भारतीय रैगर महासभा की और से एक शिष्टमण्डल सर्व श्री चौ. कन्हैयालाल रातावाल, चौ. पदम सिंह सक्करवाल, श्री मोहनलाल पटेल, प्रभुदयाल रातावाल, श्री कँवरसेन जी मौर्य ने मेले की विशेष विशाल पंचायत में भाग लिया । शिष्टमण्डल ने आये हुए सजातीय बन्धुओं को महासम्मेलनों के पारित प्रस्तावों को अमल में लाने के लिए पूर्ण रूप से जोर दिया और बताया कि जाति में अच्छे कार्य करने व शिक्षा पर जोर दिया । शिष्टमण्डल को इस कार्य में पूर्ण रूप से सफलता मिली ।
अखिल भारतीय रैगर महासभा की ओर से एक शिष्टमण्डल इस मेले के शुभावसर पर पहुँचा । सर्व श्री चौ. कन्हेयालाल रातावाल, चौ. ग्यारसा राम चान्दोलिया, चौ. पदमसिंह सक्करवाल, श्री कंवरसेन मौर्य, श्री प्रभुदयाल रातावाल ने भाग लिया । इस शुभावसर पर आये हुए जातीय बन्धुओं को महा सम्मेलन के पारित प्रस्तावों को अमल में लाने के लिए प्रतिज्ञा करवाई गई और कहा गया कि शिक्षा में हम दूसरे लोगों से पीछे न रहे, सब संगठन से रहे ।
अखिल भारतीय रैगर महासभा की ओर से एक शिष्टमण्डल सर्व श्री चौ. पदमसिंह जी सक्करवाल, श्री रामस्वरूप जाजोरिया, श्री कँवरसेन मौर्य, श्री प्रभुदयाल रातावाल, चौ. ग्यारसाराम जी चान्दोलिया ने भाग लिया । मेले के अवसर पर आये हुए रैगर बन्धुओं को महा सम्मेलनों के पारित प्रस्तावों को मलन में लाने के लिए विशेष रूप से जोर दिया गया और बताया गया कि संगठन से ही कोम आगे बढती है । शिष्टमण्डल को इस पंचायत में सफलता मिली ।
दिनांक 10-11-1950 को अखिल भारतीय रैगर महासभा की ओर से एक शिष्टमण्डल पुष्कर राज तीर्थ के शुभावसर पर पहुँचा । इस शिष्टमण्डल में महासभा की ओर से सर्व श्री चौ. पदम सिंह सक्करवाल, चौ. कन्हैयालाल रातावाल (प्रधान), श्री नवल प्रभाकर जाजोरिया (प्रधान मंत्री), श्री भोलाराम तौणगरिया, श्री रामस्वरूप जाजोरिया, श्री घनश्याम सिंह सेवलिया, श्री प्रभुदयाल रातावाल, श्री मूलचन्द रातावाल ने भाग लिया । मेले में आये हुए सजातीय बन्धुओं को महासम्मेलनों में पारित हुए प्रस्तावों को अमल में लाने के लिए पूर्ण रूप से जोर दिया गया और शिक्षा और संगठन के ऊपर बल देते हुए कहा कि जो कौम शिक्षा ग्रहण करती है और बुरे कामों को छोड़ती है वही कौम दुनिया में तरक्कीं करती है ।
अखिल भारतीय रैगर महासभा की ओर से एक शिष्टमण्डल रींगय के मेले में पहुँचा । सर्व श्री चौ. कन्हैयालाल रातावाल, चौ. पदमसिंह सक्करवाल, चौ. ग्यारसाराम चान्दोलिया, श्री कँवर सेन मौर्य, श्री प्रभुदयाल रातावाल, श्री भोलाराम तौणगरिया ने भाग लिया । मेले में आये हुए सजातीय बन्धुओं को महासम्मेलनों में पारित प्रस्तावों के बारे में बताया गया और उन्हे अमल में लाने के लिए पूर्ण रूप से जोर दिया गया और समझाया गया कि बुरे कार्यों को छोड देना चाहिए जिससे जाति की तरक्की में बाधा आती हो इस पर रैगर बन्धुओं ने प्रस्तावों का समर्थन करतें हुए वचन दिया कि बरु कार्य नहीं करेंगे । शिष्टमण्डल को सफलता मिली ।
दिनांक 10-02-1951 को अखिल भारतीय रैगर महासभा की ओर से एक शिष्टमण्डल इस शुभावसर पर पहुँचा । सर्व श्री चौ. पदमसिंह सक्करवाल, चौ. ग्यारसाराम जी चान्दोलिया, श्री प्रभुदयाल रातावाल ने सजातीय बन्धुओं को महासम्मेलनों के पारित प्रस्तावों को अमल में लाने के लिए जोर दिया और रैगर बन्धुओं ने शिष्टमण्डल को आश्वासन दिया कि हम प्रस्तावों का पूरा-पूरा पालन करेंगे ।
दिनांक 14-08-1951 को अखिल भारतीय रैगर महासभा की ओर से एक शिष्टमण्डल सर्व श्री चौ. ग्यारसाराम जी चान्दोलिया, श्री प्रभुदयाल रातावाल, श्री मूलचन्द रातावाल का इस शुभावासर पर पहुँचा । शिष्टमण्डल ने आए हुए सजातीय बन्धुओं को महासम्मेलनों में पारित प्रस्तावों पर अमल करने के लिए प्रचार किया और शिष्टमण्डल को समफलता मिली ।
दिनांक 1-8-1951 तीजों के मेले पर एक पंचायत स्थानीय रैगर बन्धुओं के पूर्व निर्णयानुसार हुई । इस पंचायत में अखिल भारतीय रैगर महासभा की ओर से सर्व श्री कन्हैयालाल रातावाल, पटेल मोहनलाल कांसोटिया, चौ. ग्यारसा राम चान्दोलिया, चौ. पदमसिंह सक्करवाल, पटेल रामदेव अटोलिया आदि वरिष्ट नेतागणों ने महासम्मेलनों के पारित प्रस्तावों पर बल देते हुए रैगर समाज को सामाजिक अधिकार प्राप्त कराने व कुरीतियों को दूर करने के लिए प्रेरित एवं प्रोत्साहित किया ।
(साभार- अखिल भारतीय रैगर महासभा संक्षिप्त कार्य विवरण पत्रिका : 1945-1964)
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