द्वितीय अखिल भारतीय रैगर महासम्मेलन, जयपुर के प्रभाव

यहाँ पर हम द्वितीय अखिल भारतीय रैगर महासम्‍मेलन, जयपुर (1946) के पारित प्रस्‍तावों के बाद उत्‍पन्‍न हुई परिस्थितियां के बारे में बात करेंगे । जिस प्रकार स्‍वर्णं हिन्‍दूओं ने दौसा में हुए प्रथम महासम्‍मेनल के पश्‍चात् रैगर बंधुओं पर अत्‍याचार किये उसी प्रकार द्वितीय महासम्‍मेलन के पश्‍चात् भी अत्‍याचार बढ़े और कई काण्‍डों को स्‍वर्णों द्वारा अन्‍जाम दिया गया। जयपुर महासम्‍मेलन के पश्‍चात् घटित काण्‍डों में भी अखिल भारतीय रैगर महासभा द्वारा प्रमुख रूप से इन काण्‍डों वाली जगह पर जाकर उचित कदम उठाए गए एवं इनका निराकरण किया । उनमें से कुछ घटित प्रमुख काण्‍डों का विवरण इस प्रकार प्रस्‍तुत है-

☞ काराणा काण्‍ड – जून 1946

☞ बैतड़ (सवाई माधोपुर) काण्‍ड : जनवरी 1947

☞ मालपुरा-निवाई काण्‍ड : मई 1948

☞ नीम्‍बाहेड़ा काण्‍ड : जून 1948

☞ बलेसर काण्‍ड : जुलाई 1948

☞ नरवर (किशनगढ़) काण्‍ड : नवम्‍बर 1949

☞ दौसा काण्‍ड : नवम्‍बर 1949

☞ टौंक – निवाई काण्‍ड : नवम्‍बर 1949

☞ बाड़ी टोंक काण्‍ड

☞ बौली-श्रीनगर काण्‍ड : सन् 1959

☞ अजमेर (210 गाँवों ) पर हमला

उपरोक्‍त मुख्‍य काण्‍डों पर दृष्टिपात करने पर हमें सभी काण्‍डों में घटना सम्‍बंधी साम्‍य मिलता है सभी काण्‍डों में मुख्‍य रूप से यही देखने को मिलता है कि प्रथम अखिल भारतीय रैगर महासम्‍मेलन दौसा एवं द्वितीय अखिल भारतीय रैगर महासम्‍मेलन जयपुर के पारित प्रस्‍तावों पर आचरण करने से रैगर बंधुओं पर स्‍वर्ण हिन्‍दुओं के अमानुषिक व्‍यवहार एवं निर्दयतापूर्ण अत्‍याचार होने लगे थे । लेकिन रैगर बंधुओं ने अपने समाज सुधार सम्‍बंधी कार्यों में दृढ़ रहे जिसके फलस्‍वरूप उप पर अधिक से अधिक विपत्तियाँ आने लगीं, ऐसे समयों पर अखिल भारतीय रैगर महासभा ने स्‍थान-स्‍थान पर शिष्‍टमण्‍डल भेजकर यथासंभव सहायता प्रदान करने का प्रयास किया और स्‍वजा‍तीय बंधुओं को विपत्ति से मुक्ति दिलवाई । वस्‍तुत: इस रूप में महासभा का कार्य विशेष सराहनीय रहा है ।

(साभार – रैगर कौन और क्‍या ?)

Website Admin

BRAJESH HANJAVLIYA



157/1, Mayur Colony,
Sanjeet Naka, Mandsaur
Madhya Pradesh 458001

+91-999-333-8909
[email protected]

Mon – Sun
9:00A.M. – 9:00P.M.

Social Info

Full Profile

Advertise Here