घनी आबादी के दबाव की वजह से बड़ली नागौर शहर से पूरी तरह जूड़ चुका है । पक्की सड़कें हैं, पानी-बिजली की सुविधा है तथा परिवहन के साधन हर समय उपलब्ध है । बड़ली में मुख्य रूप से रैगर समाज की आबादी है । अन्य जातियें- मेघवाल और माली बहुत कम संख्या में बसे हुए है । बड़ली में रैगरों के दो बड़े मोहल्ले हैं – कुर्डियों का बास तथा फलवाड़ियों का बास । स्वामी गोपालरामजी महाराज का भव्य आश्रम बड़ली (नागौर) में कुर्डियों के बास में आया हुआ है । आश्रम का नाम- ”कृष्ण-गोपाल आश्रम” रखा गया है । स्वामी गोपालरामजी महाराज के गुरूजी का नाम किशनारामजी ऊर्फ अल्फूरामजी है । किशनारामजी के ना को संशोधित करते हुए कृष्ण किया गया है । इस तरह आश्रम का नाम ”कृष्ण-गोपाल आश्रम” गुरू-शिष्य की स्मृति को चिर स्थाई बनाने के लिए रखा गया है । यह आश्रम एक बड़े भूखण्ड पर निर्मित है । आश्रम परिसर में प्रवेश करते ही दांई तरफ खुली जगह है जहां पेड़ पौधे लगे हुए है । हरियाली है । खुली हवा का आनन्द लिया जा सकता है । इसके एक कोने पर आधुनिक सुविधाओं से युक्त शौचालय बना हुआ है।
आश्रम का प्रवेश द्वार बहुत भव्य और कलात्मक बना हुआ है । आश्रम में प्रवेश करते ही बाई तरफ एक कक्ष में स्वामी गोपालरामजी महाराज के बैठने का आसन लगा हुआ है । यहां बैठ कर स्वामीजी आश्रम में प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति पर नजर रख सकते है । यह कक्ष सादगी से परिपूर्ण है । दरियें बिछी हुर्इ है । शिष्य एवं आगुन्तुक यहां बैठकर स्वामीजी से आशीर्वाद, परामर्श तथा मार्गदर्शन लेते रहते हैं । स्वामी जी बच्चों और भक्तों को प्रसाद देना नहीं भूलते हैं । आश्रम में दाखिल होते ही दाई तरफ एक विशाल सत्संग भवन 40’X25′ का बना हुआ है । इसमें लगभग 200 व्यक्तियों के बैठने की व्यवस्था है । स्वामीजी हर वर्ष अपने गुरूजी की बरसी मनाते हैं तब सत्संग का आयोजन इसी भवन में करते हैं । बरसी में नागौर, जोधपुर, बीकानेर तथा राजस्थान के अन्य जिलों के अलावा दिल्ली, मुम्बई, अहमदाबाद आदि कई दूर दराज से भक्त आते हैं । आश्रम में पानी के लिए दो बड़े टांके बने हुए हैं । बिजली एवं अन्य सामान्य सुविधाएं यहां उपलब्ध हैं । आश्रम के पीछे की तरफ बड़ी भोजनशाला बनी हुई है । वहीं बैठ कर खाने की सुविधा है । ऐसा इसलिए है कि आश्रम में स्वच्छता बनी रहे । भोजनशाला से जुड़े भूभाग में गुरू महाराज श्री किशनारामजी ऊर्फ अल्फुरामजी की स्मृति में जोधपुर के छीतर के पत्थर की एक सुन्दर छतरी बनी हुई है । इसमें गुरू महाराज के पवित्र चरण-कमल हैं । इनकी राजाना पूजा होती है । आश्रम में कुल 20 कमरे हैं । सैकड़ों लोगों को आश्रम मेंएक साथ ठहराया जा सकता है । इतने लोगों के ठहराने के लिए बिस्तर, बर्तन और अन्य सुविधाएं आश्रम की अपनी है । यह आश्रम रैगर समाज की एक महत्ती धरोहर है । इस आश्रम का जीर्णोद्धार तथा विस्तार का कार्य सन् 1976 में स्वामी गोपालराम जी महाराज ने शुरू किया था । जीर्णोद्धार पर काफी बड़ी राशि खर्च की गई । यह राशि भेंट पूजा के रूप में भक्तों से प्राप्त हुई । सम्वत् 2034 में गुरू महाराज का भण्डारा सम्पन्न हुआ । उस अवसर पर जीर्णोद्धार के बाद नवनिर्मित आश्रम का लोकार्पण स्वामी केवलानन्द जी महाराज के कर कमलों से करवाया गया था ।
(साभार- श्री चन्दनमल नवल कृत ‘सेवा और समर्पण की परम विभूति स्वामी श्री गोपालरामजी महाराज’)
157/1, Mayur Colony,
Sanjeet Naka, Mandsaur
Madhya Pradesh 458001
+91-999-333-8909
[email protected]
Mon – Sun
9:00A.M. – 9:00P.M.