श्री चन्दनमल नवल का जीवन संघर्षों से भरा हुआ है । इनका जन्म 28 अप्रेल, 1946 को जोधपुर जिले के ग्राम भेटण्डा में एक सम्पन्न परिवार में हुआ। शिक्षा गांव में गुरूजी की पाठशाला से शुरू हुई । साठ के दशक में ग्राम भेटण्डा में तालाब के किनारे स्थित शिवजी के मंदिर में सरकारी प्राथमिक स्कूल प्रारम्भ हुई । उस समय छुआछूत चरम पर था । दलित जातियों के बच्चों को शिवजी के मंदिर की सीढ़ियों पर पड़ी स्वर्ण जाति के लोगों की जूतियों पर बैठकर पढ़ना पड़ता था । मास्टरजी दलित बच्चों की पाटियों को पानी का छींटा देकर शुद्ध करने के बाद छूते थे या छड़ी से छूकर गलतियाँ बताते थे । भेटण्डा ग्राम विकास की दृष्टि से अतिपिछड़ा हुआ था । इसलिए श्री नवल के पिता श्री मंगाराम आज से लगभग 60 साल पहले जोधपुर जिले के ही ग्राम सतलाना में जाकर बस गये । सतलाना ग्राम रेल्वे से जुड़ा हुआ था । मगर सड़क और बिजली की कोई भी सुविधा नहीं थीं । श्री नवल ने सीनियर हायर सैकण्ड्री तक शिक्षा लूनी जंक्शन से ग्रहण की । सतलाना लूनी जंक्शन छ: किलोमीटर दूरी पर है । श्री नवल कक्षा 6 से 11 तक छ: साल प्रतिदिन 12 कि.मी. पैदल गांव से चल कर स्कूल जाते थे । :सर्दी, गर्मी और बरसात की कभी परवाह नहीं की । आगे की उच्च शिक्षा आपने जोधपुर विश्वविद्यालय से ग्रहण की । आप बी.ए. प्रथम वर्ष से लेकर एम.ए. तक समाज कल्याण छात्रावास में रहे । वर्ष 1967 में आपने एम.ए. राजनीति विज्ञान में किया और उसी वर्ष राजकीय महाविद्यालय सरदारशहर में अस्थाई व्याख्याता के पद पर नियुक्त हुए । श्री नवल ने अपना शैक्षणिक जीवन गांव के मंदिर की सीढ़ियों से शुरू किया और कठोर मेहनत एवं लगन से आगे बढते हुए पुलिस विभाग से अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जैसे उच्च पदों पर आसीन रह कर कई उपलब्धियों के साथ समाप्त किया । आप की शादी जटिया कालोनी जोधपुर में भगवती देवी के साथ सम्पन्न हुई । आपके दो पुत्रियाँ और दो पुत्र हैं । बड़ी पुत्री माया ने एम.ए. भूगोल प्रथम श्रेणी से जाधपुर विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण किया । दामाद श्री योगेश फुलवारिया निवासी अजमेर डॉक्टर हैं । दूसरी पुत्री मधु ने एम.ए. हिन्दी में जोधपुर वि.वि. से उत्तीर्ण किया । जिसकी शादी बड़ी सादड़ी जिला चित्तोड़गढ़ के श्री दुर्गाप्रसाद रेडिया के साथ हुई जो वर्तमान में जे.टी.ओ. के पद पर गावा में नियुक्त हैं । बड़े पुत्र मुकेश नवल ने एम.ए. लोक प्रशासन जोधपुर वि.वि. से उत्तीर्ण किया । उसका विवाह मुम्बई निवासी श्यामलालजी सेवलिया की पुत्री सीमा से हुआ है । सीमा ने एम.कॉम. बम्बई विश्वविद्यालय से किया । छोटा पुत्र विक्रम नवल वर्तमान में ब्रिसबेन (आस्ट्रेलिया) में एम.पी.ए. तथा एम.बी.ए. की पढ़ाई कर रहा है । श्री नवल का परिवार एक सुशिक्षित परिवार है । रैगर समाज को इन पर गर्व है ।
श्री नवल सरकारी सेवा में रहते हुए कई सामाजिक संगठनों से भी जुड़े रहे हैं । राजस्थान जटिया (रैगर) विकास सभा, जोधपुर के महासचिव पद पर आपने 10 वर्षों तक सराहनीय सेवाएं दी । आप वर्तमान में अखिल भारतीय रैगर महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं तथा भारतीय दलित साहित्य अकादमी राजस्थान प्रदेश के वरिष्ठ सलाहकार हैं ।
आपने ‘रैगर जाति का इतिहास’ पुस्तक लिखी । इन्होंने इस पुस्तक मे रैगर जाति को प्रमाणिक, खोजपूर्ण और गौरवशाली इतिहास दिया । पंचम अखिल भारतीय रैगर महा सम्मेलन के अवसर पर विज्ञान भवन दिल्ली में दिनांक 27 सितम्बर, 1986 को भारत के तात्कालीन राष्ट्रपति श्री ज्ञानी जैलसिंह के कर-कमलों से इसका विमोचन हुआ । श्री नवल बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं । आप एक आदर्श शिक्षक, कुशल प्रचारक, समाज सेवी, प्रख्यात लेखक, कवि और विद्वान् हैं । आपने सात साल तक राजस्थान में राजकीय महाविद्यालय सरदार शहर, कोटा, नीमकाथाना, कोटपूतली, जैसलमेर तथा बाड़मेर में व्याख्याता राजनीति विज्ञान के पद पर कार्य किया । तीन साल तक शासकीय महाविद्यालय खरगौन (मध्य प्रदेश) में व्याख्याता राजनीति विज्ञान के पद पर नियुक्त रहे । वर्ष 1977 में आपका चयन राजस्थान पुलिस सेवा में उप अधीक्षक के पद पर हुआ । आप भीम जिला राजसमन्द, जालौर, मकराना तथा जोधपुर (यू.आई.टी.) में उप अधीक्षक के पर पर नियुक्त रहे । पदौउन्नती के बाद आप अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सी.आई.डी. बार्डर इन्टेलीजेन्स जैसलमेर और जयपुर में नियुक्त रहे । पुलिस ट्रनिंग सेन्टर खेरवाड़ा जिला उदयपुर तथा जोधपुर में कमाण्डेन्ट के पद पर आपने सराहनीय सेवाएं दी । अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जिला जालोर तथा मालपुरा जिला टोंक में पद स्थापित रहे । 30 अप्रेल, 2004 को आप 37 वर्षों की प्रशंसनीय सेवाओं के बाद सेवा निवृत हुए । पुलिस विभाग नें नियुक्ति के दौरान आपने कई साहसिक और चुनौतीपूर्ण कार्य किए ।
पुलिस जैसे विभाग में व्यस्त रहते हुए मौलिक ग्रन्थों की रचना करना और राष्ट्रीय स्तर के सर्वोच्च पुरस्कार प्राप्त करना आमतौर पर किसी भी पुलिस अधिकारी केलिए सपना है । मगर श्री नवल ने इन सपनों को साकार किया और उच्चाईयों को छुआ है । आप द्वारा लिखी गई ‘भारतीय पुलिस’ को पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो, गृह मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पं. गोविन्द वल्लभ पंत पुरस्कार से नवाजा गया । इसमें आपको प्रशंसा पत्र के साथ भारत सरकार द्वारा 7,000/- (सात हजार रूपया) नकद पुरस्कार राशि भी प्रदान की गई । यह पंत पुरस्कार पुलिस से सम्बन्धित विषयों पर हिन्दी में उत्कृष्ट लेखन के लिए दिया जाने वाल सर्वोच्च पुरस्कार है । श्री नवल रैगर समाज के पहले ख्यातिनाम लेखक है जिन्हें पंत पुरस्कार मिला है ।
श्री नवल ने ‘रैगर जाति का इतिहास’ और ‘भारतीय पुलिस’ के अलावा ‘मारवाड़ का अमर शहीद राजराम’ ग्रंथ भी लिखा है । यह दलित चेतना पर लिखा गया एक शोधपूर्ण ग्रन्थ है । भारतीय दलित साहित्य अकादमी, दिल्ली ने इस ग्रन्थ के लिए श्री नवल को 24 सितम्बर, 1994 को तात्कालीन समाज कल्याण मंत्री भारत सरकार श्री सीताराम केसरी के कर-कमलों से ताल कटोरा इन्डोर स्टेडियम, दिल्ली में दलित साहित्य अकादमी के समारोह में ‘डॉ. अम्बेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार’ प्रदान किया गया । इसन ग्रन्थों के अलावा श्री नवल के कई शोधपूर्ण लेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके है । आकाशवाणी से वार्ताएँ भी प्रसारित हुई है । श्री नवलजी के द्वारा किये गए इन गौरवशाली कार्यो के लिए रैगर समाज को इन पर गर्व है ।
मुकेश कुमार गाड़ेगावलिया
(पत्रकार एवं कार्यकारिणी सदस्य, अ.भा.रै.महासभा, जयपुर)
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