आज से हजारों वर्ष पूर्व से ही इस क्षेत्र में जो शहर अजीत गढ़ के पहाड़ों से झरनों की तीन जल की धाराएं जिनकल कर बहती है । इस पवित्र (निर्मल) जल को देखकर इसे गंगाजल समझ उस समय के महान पुरूषों ने इस धारा को श्री त्रिवेणी गंगा माँ के नाम से उच्चारण करना शुरू कर दिया । उस समय से आज तक इस पर्व पर लाखों लोग गंगा स्नान करने आते है और अमावश्या पूर्णमासी एकादशी व नित प्रतिदिन इस धार की पूजा वन्दना करते हैं । और अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए मन्नत मागंते है । इसी धार्मिक मान्यता को देखते हुए । यहां पर रैगर समाज के गंगा माता मंदिर की स्थापना की गई ।
यह त्रिवेणी गंगा मंदिर साईंवाड़ शाहपुर से 6 कि.मी. दूर सीकर खेतड़ी मार्ग पर स्थित है । इस मंदिर को बनाने का उद्देश्य धार्मिक सामाजिक शिक्षा प्रसार हेतु इस भवन की स्थापना का आयोजन किया गया । स्वामी माधोनाथ जी महाराज की हार्दिक इच्छा थी कि – मेरे रैगर समाज के उत्थान हेतु ऐसा धार्मिक स्थान धर्मशाला बने जिसमें धार्मिक, सामाजिक, शिक्षा, समाज सेवा और एकता संगठन लायब्रेरी, वाचनालय, औषधालय ताकि प्रत्येक मानव के कल्याण हेतु आवश्यक हो ऐसी महान भावना को लेकर स्वर्गीय श्री श्री 108 त्यागमूर्ति स्वामी माधोनाथ महाराज भारत के राष्ट्रपति के द्वारा ”रैगर विभूषण” से सम्मानित के कर कमलो से इस मंदिर की स्थापना भादवा सुदी शुक्ल पक्ष पंचमी मंगलवार स्वति नक्षत्र शुभ घड़ी सिंह लग्न के दिन प्रात: सवा नो बजे सूर्योदय में रखी गई विक्रम सम्वत् 2019, (सन् 1962) ईसवी को की गई । इसकी व्यवस्था श्री त्रिवेणी गंगा मंदिर रैगर धर्मशाला सभा (पंजीकृत) भवन ट्रस्ट द्वारा चलाई जाती है । मंदिर के निर्माण हेतु त्रिवेणी के रैगर समाज और जनता ने तन-मन-धन से सेवा की और पूर्णरूप से पूरा-पूरा सहयोग प्रदान किया । और इस क्षेत्र के सीकर जिले और दिल्ली के दान दाताओं से भी धन की मांग की और सहयोग मांगा गया ।
स्वामी माधोनाथजी महाराज जब तक जीवित थे तब तक इस मंदिर का उत्सव प्रतिवर्ष मनाया जाता था । उन्होंने नियमित 20 वर्षों तक उत्सव मनाये । उनकी स्वर्गवास (9 दिसम्बर 1983) के बाद भी ट्रस्ट द्वारा वार्षिकोत्सव लगातार मनाया जाता है । स्वामी माधोनाथजी के स्वर्गवासी होने के बाद तीसरा महात्सव 26 मार्च, 1986 को मनाया गया जिसमें सत्संग और सम्मेलन आयोजित किए गए । इसमें सभी प्रदेशों के संत, महात्मा, भजनोपदेशक, कवि वगैरा आए थे । इसकी आमद, दान वगैरा से होती है । ट्रस्ट द्वारा संचालन होने से प्रतिवर्ष आय-व्यय की रिपोर्ट पेश होती है । यह रैगरों का बहुत प्राचीन और भव्य मंदिर है । समस्त्ा रैगर बंधुओं द्वारा निर्मित श्री त्रिवेणी गंगा मंदिर दर्शनीय है ।
(साभार- श्री त्रिवेणी गंगा मंदिर रैगर धर्मशाला सभा (पंजीकृत) स्मारिका)
157/1, Mayur Colony,
Sanjeet Naka, Mandsaur
Madhya Pradesh 458001
+91-999-333-8909
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Mon – Sun
9:00A.M. – 9:00P.M.