अखिल भारतीय रैगर महासम्मेलन

स्‍वामी आत्‍मारामजी लक्ष्‍य ने समाज सुधार और जाति उत्‍थान का अपने जीवन का लक्ष्‍य बनाकर प्रचार कार्य शुरू किया। सत्‍संगों के माध्‍यम से यह प्रचार कार्य चलता रहा। स्‍वामीजी प्रचार करते हुए आंधी थौलाई गांव में पहुंचे। वहाँ के रैगर बंधुओं ने स्‍वामीजी से एक विशाल सत्‍संग उनके गांव में आयोजित करने का निवेदन किया। वे चाहते थे कि इस सत्‍संग में दिल्‍ली, जयपुर, अजमेर आदि जगहों से रैगर बंधु आएं और उस अवसर पर जाति सुधार पर विचार विमश्र हो। स्‍वामीजी यह विचार लेकर दिल्‍ली पधारे और वहाँ के प्रमुख लोगों – श्री रामस्‍वरूप जाजोरिया, कंवरसैन मौर्य, खुशहालचन्‍द्र मोहनपुरिया, शम्‍भुदयाल गाडेगांवलिया के समक्ष रखे। उन्‍होंने स्‍वामीजी को सुझाव दिया कि विशाल सत्‍संग की बजाय एक विशाल रैगर महा सम्‍मेलन बुलाया जाय। इसमें आर्य समाज का भी सहयोग लेना निश्चित हुआ। आंधी थौलाई गांव यातायात के साधनों आदि की दृष्टि से सम्‍मेलन के लिए उपयुक्‍त स्‍थान नहीं समझा गया । इसलिए दौसा में सम्‍मेलन किया जाना निश्चित हुआ। यह सम्‍मेलन 2, 3 तथा 4 नवम्‍बर, 1944 में दौसा में सम्‍पन्‍न हुआ। और अब तक कुल मिलाकर 5 सम्‍मेलन आयोजित हो चुके है।

☞ प्रथम अखिल भारतीय रैगर महासम्‍मेलन (दौसा, 1944)

☞ द्वितीय अखिल भारतीय रैगर महासम्‍मेलन (जयपुर, 1946)

☞ तृतीय अखिल भारतीय रैगर महासम्‍मेलन (पुष्‍कर, 1964)

☞ चतुर्थ अखिल भारतीय रैगर महासम्‍मेलन (जयपुर, 1984)

☞ पंचम अखिल भारतीय रैगर महासम्‍मेलन (दिल्‍ली, 1986)

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