स्वामी ब्रह्मानन्द जी

श्री श्री 1008 ब्रह्मनिष्‍ठ परमहंस स्‍वामी ब्रह्मानन्‍द जी महाराज पुष्‍कर निवासी पुज्‍य पाद स्‍वामी जगत् गुरू शंकराचार्य जी जोशी मठ द्वारा वेषधारी शिष्‍यों में गिने जाते थे और टोकनगढ़ के राजा प्रताप सिंह को शिष्‍य बनाकर उन्‍ह‍ें मोक्ष गीता का उपदेश व ज्ञान देकर मोक्ष प्राप्‍ति कराई थी। स्‍वामी जी ने अपने जीवन काल में संस्‍कृत भाषा में दस शास्‍त्रों की रचना की।

1. श्री ब्रह्मानन्‍द मोक्ष गीता

2. ईश्‍वर दर्शनम्

3. नित्‍याचार दर्पण

4. श्री विचार दीपिका

5. श्री योग रसाषनम्

6. श्री ब्रह्मानन्‍द प्रश्‍नोत्तरी

7. श्री ब्रह्मानन्‍द भजनमाला (हिन्‍दी)

8. श्री ब्रह्मानन्‍द पद मंजरी

9. श्री परमेश्‍वर प्रार्थना

10. श्री विष्‍णु महिम् स्‍त्रोत्र

आप मौजी राम सत्‍संग सभा के गुरू श्रृंखला के प्रथम संत के रूप में जाने जाते हैं।

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