बोलों (रैगरों) का सांवता – श्री सांवता सोलिया

ये जालिया गाँव के रहने वाले थे । इन्‍होंने शेर को मारने में बड़ी बहादूरी दिखाई । चित्‍तौड़गढ़ के राणाजी ने प्रसन्‍न होकर सांवता जी से कहा की जो चाहो वो मांगो । सांवता जी ने कहा की मुझे जमीन दी जाए । जहाँ मैं गाँव बसाऊंगा । राणा जी ने उनकी मांग स्‍वीकार कर ली । सांवता जी ने अपने नाम पर गाँव बसाया जो आज भी बोलों का सांवता के नाम से जाना पहचाना जाता है । यह गाँव चित्‍तौड़गढ़ जिले मे आज भी है । मेवाड़ अर्थात चित्‍तौड़गढ़ जिले में रैगरों को बोला कहते है ।

(साभार- चन्‍दनमल नवल कृत ‘रैगर जाति : इतिहास एवं संस्‍कृति’)

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