बाबा रामदेव मंदिर : डबवाली

सत्तर साल से बाबा रामदेव मंदिर के लिए परंपरा निभा रहा है डबवाली का रैगर समाज, बात सुनने में अटपटी लगे । लेकिन है सच । ऐसा सच जिस पर सरलता से यकीन नहीं किया जा सकता हो । रैगर समाज के शहर में करीब एक हजार घर हैं । इन घरों में जब भी सुख-दु:ख का कोई कार्यक्रम होता है, उससे पूर्व बाबा रामदेव के मंदिर का भाग निकाला जाता है । ऐसा पिछले सत्तर सालों से चल रहा है । डबवाली का रैगर समाज इसे रसम मानकर निभाता है ।

न्यू बस स्टैण्ड रोड़ पर स्थित बाबा रामदेव के मंदिर की स्थापना विक्रमी संवत 1988 के दरमियान हुई थी । उस दौरान बाबा रामदेव के भक्त गीगा राम मंदिर वाली जगह आए । उन्होंने दो ईंट खड़ी करके ध्यान लगाया और वहां पर बाबा रामदेव मंदिर बनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया । लोगों को उनकी बात पर यकीन नहीं हुआ । लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, लोगों का विश्वास मजबूत होता गया । विक्रमी संवत 1989 में दो ईंटे कमरे में तबदील हो गई । जिसके ऊपर गुम्बद बनाया गया और कलश लगाए गए । मंदिर में सुबह-शाम को दो समय आरती होने लगी । मंदिर के विकास का जिम्मा रैगर समाज ने अपने हाथों में लिया । इसके लिए चौधरी रामलाल, त्रिलोक चंद सकरवाल, प्रभाती राम धोलपुरिया, कान्हा राम तथा मंगला राम ने बाबा रामदेव सेवक संस्था का निर्माण किया ।

मंदिर के ठीक सामने रहने वाले नपा डबवाली के पूर्व अध्यक्ष 81 वर्षीय चौधरी रामलाल बताते हैं कि इसी दौरान रैगर समाज से संबंध रखने वाले मुकंदा राम ने मंदिर के साथ लगती एक बिसवा जमीन मंदिर को दान कर दी । उस समय रैगर समाज के करीब 400 घर थे । प्रत्येक घर खुशी-गमी के मौके पर मंदिर को दान दिया जाने लगा । इसी दान के सहारे उन्होंने जमीन पर दुकानें काट दी । दुकानों के निर्माण के बाद आने वाली आमदन से मंदिर के पुजारी तथा वहां रूकने वाले संत-फकीर के भोजन की व्यवस्था होने लगी ।

खुशी का मौका हो या फिर गम का मौका रैगर समाज के लोगों ने इन दोनों अवसरों पर मंदिर को दान देने की रसम अपना ली । धीरे-धीरे मंदिर की मान्यता बढऩे लगी । साल में दो बार मेला भरने लगा । इस मेले में आने वाले लोगों की मनोकामना पूर्ण होने लगी । जिससे गली, मोहल्ले फिर शहर के लोग मंदिर में आने लगे । लेकिन सत्तर साल पहले रैगर समाज में शुरू हुई परंपरा आज भी कायम है । घर में छोटा सा कार्यक्रम होने पर भी मंदिर को दान देना नहीं भूलते ।

ऐसे बन गई परंपरा

मंदिर को संभाल रहे बाबा रामदेव सेवा मण्डल के अध्यक्ष प्रेम कनवाडिय़ा तथा सदस्य कृष्ण खटनावलिया ने बताया कि वे पीढ़ी दर पीढ़ी इस परंपरा का निर्वाह करते आ रहे हैं । उनके बुजुर्गों से उन्हें इस रसम की जानकारी मिली है । समाज के जिस भी घर में कोई कार्यक्रम होता है, उसी समय मंदिर के विकास के लिए परिवार खुद ब खुद दान देने की रसम निभाता है । उन्होंने बताया कि यह समाज के लोगों का सहयोग तथा बाबा रामदेव की कृपा है, जो एक कमरे का मंदिर विशाल मंदिर में परिवर्तित हो गया है और साथ में धर्मशाला बन गई है ।

(साभार- दैनिक लहू की लौ, समाचार पत्र, डबवाली, हरियाणा)

Website Admin

BRAJESH HANJAVLIYA



157/1, Mayur Colony,
Sanjeet Naka, Mandsaur
Madhya Pradesh 458001

+91-999-333-8909
[email protected]

Mon – Sun
9:00A.M. – 9:00P.M.

Social Info

Full Profile

Advertise Here