टौंक – निवाई काण्ड

टौंक – निवाई काण्‍ड : 3 दिसम्‍बर, 1949

महासम्‍मेलन के प्रस्‍तावों के अन्‍तर्गत टौंक राज्‍य के रैगर भाईयों ने घृणित कार्यों को छोड़ दिया । स्‍वर्णों को रैगर बन्‍धुओं की यह बात सहन नहीं हुई । अत: स्‍वर्णों ने रैगर बन्‍ध्‍ुाओं पर अमानुषिक अत्‍याचार किए और सामाजिक बहिष्‍कार कर दिया । लेकिन टौंक राज्‍य में रैगरों को उनकी इच्‍छा के विपरीत मुरदा, मवेशी घसीटने और खाल निकालने के लिए मजबूर किया जाता था । जब रैगर इनका विरोध करते थे तो स्‍वर्ण जाति वाले उन पर अत्‍याचार करना शुरू कर देते एवं टौंक राज्‍य ने तो एक काला कानून दफा 278 अर्थात् हुक्‍म अदूली बना दिया जो कि मानवता के खिलाफ था । रैगरों द्वारा इस कानून का विरोध करने के फलस्‍वरूप इनका सामाजिक बहिष्‍कार कर दिया साथ ही अठारह रैगर बन्‍धुओं को झूठे मुकदमों में फँसाकर जेल में बन्‍द करा दिया । इस पर स्‍थानीय रैगर बन्‍धुओं ने महासभा के पास अपना एक स्‍थानीय कर्मठ कार्यकर्ता श्री मोहनलाल बड़ीवाल को भेजा जिसने महासभा को घटना सम्‍बंधी परिस्थितियों से अवगत कराया । महासभा की ओर से सर्व श्री चौ. कन्‍हैयालाल रातावाल, श्री कँवरसेन मौर्य, श्री भोलाराम तोणगरिया, श्री नारायण जी आलोरिया एवं लेखराम सेरशिया का एक शिष्‍टमण्‍डल टौंक पहुँचा । शिष्‍टमण्‍डल ने टौंक राज्‍य प्रजामण्‍डल से मिलकर बताया कि इस प्रकार के अत्‍याचार जो टौंक राज्‍य में स्‍वर्णों द्वारा हो रहे थे वे मानवता एवं जन तन्‍त्रवाद के सर्वथा प्रतिकूल है । इस पर प्रजा मण्‍डल वालों ने डेलीगेशन का सहयोग देना स्‍वीकार कर लिया । प्रजा मण्‍डल एवं शिष्‍टमण्‍डल के सदस्‍य संयुक्‍त रूप से ‘होम मेंम्‍बर’ से मिलने गए एवं तथाकथित काले कानून को अवैधानिक बातते हुए उन्‍होंने कहा कि ऐसा कानून नागरिक अधिकारों को कुचलता है और मानवता विरोधी शक्तियों को प्रोत्‍साहन प्रदान करता हैं साथ ही पुरजोर शब्‍दों में कहा गया कि इस काले कानून को शीघ्रातिशीघ्र समाप्‍त करे एवं अठारह आदमियों को जल्‍दी से जल्‍दी छुटवाए । इस पर होम मेम्‍बर ने तीन दिन का समय मांगा । इस प्रकार कोई समझौता न होने पर प्रजा मण्‍डल ने सुचारू रूप से कार्यवाही करने हेतु एक बैठक बुलाई गई जिसमें अखिल भारतीय रैगर महासभा के शिष्‍टमण्‍डल के सभी सदस्‍य उपस्थित थे । इस बैठक में एक प्रस्‍ताव पास किया गया कि आज 10-04-1948 सायं के आठ बजे तक हमारे अठारह आदमियों को छोड़ दिया जाय, और जब तक कानून नहीं टूटे तब तक इसके अन्‍तर्गत किसी भी व्‍यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए वरना सत्‍याग्रह शुरू कर दिया जायेगा । इस निश्‍चय की सूचना होम मेम्‍बर को देने के लिए कुठ स्‍थानीय विशिष्‍ट व्‍यक्तियों को नियत किया गया । पास किए गए प्रस्‍तावों को देखते ही होम मेम्‍बर ने सारी शर्तें स्‍वीकार कर लीं और अठारह व्‍यक्तियों को जो जेल में थे छोड़ दिये बए साथ ही यह तय किया गया कि जिसका मवेशी मरेगा उसके उठाने का वह स्‍वयं जिम्‍मेदार है ।

(साभार – रैगर कौन और क्‍या ?)

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