ये रतनगढ़ (चुरू) के रहने वाले थे । श्री परसराम अत्यंत कुशल और उच्च स्तर के कारिगर (कलाकार) थे। सिंध (पाकिस्तान) में कमाने गये थे । वहाँ रोड़ी शक्कर गाँव है । जहाँ लक्ष्मण झूले की तरह झूलता हुआ पुल बना हुआ है । उस पुल के निर्माण में परसरामजी ने अपनी कला, कुशलता का अनुठा परिचय दिया । परसरामजी की उच्च स्तर की कला कुशलता को देखकर अंग्रेजों ने पुल पुरा बनने के बाद उन्हें गोली से उड़वा दिया था । अंग्रेजों ने उनकी दो संतानों को ईसाई भी बना दिया ।
(साभार- चन्दनमल नवल कृत ‘रैगर जाति : इतिहास एवं संस्कृति’)
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