महासम्मेलन से रैगर जनता को प्राप्त प्रेरणा के फलस्वरूप बैतड़ गाँव निवासी रैगरों ने भी घृणित कार्यों का त्याग कर दिया । समाज सुधारक प्रवृत्तियों स्वर्ण हिन्दुओं को असहनशील प्रतीत हुई । परिणाम स्वरूप उन्होंने स्वजातीय बंधुओं को चुनौती दी कि अगर आपको यहाँ रहना है तो सभी तथाकथित घृणित कार्य करने होंगे । वहाँ के रैगर समाज सुधारकों को यह अच्छा प्रतीत नहीं हुआ और वहाँ दोनों के मध्य विवाद उत्पन्न हो गया । यह विवाद इतना उग्र हो गया कि शक्ति सम्पन्न स्वर्णों के सन्मुख इन्हें हारना पड़ा और स्वर्णों के अत्याचारों का शिकार बनना पड़ा । इसकी सूचना अखिल भारतीय रैगर महासभा के मुख्य कार्यालय दिल्ली में पहुँची जहाँ से एक शिष्टमण्डल चौ. कन्हैयालाल रातावाल, चौ. नवल किशौर, श्री बिहारीलाल जाजोरिया एवं श्री लेखराम सेरशिया का गाँव बैतड़ पहुँचा और स्वजातीय बन्धुओं को धैर्य एवं सान्तवना प्रदान कर जिला अधिकारियों एवं पुलिस अधिकारियों से मिलकर जाँच कराई गई । जहां अधिकारियों ने स्वर्ण हिन्दुओं के अमानुषिक अत्याचारों के लिए भर्त्सना की । विवाद को अधिक न बढ़ाते हुए उनका आपस में समझौता करा दिया गया । इस प्रकार शिष्टमण्डल को पूर्ण सफलता प्राप्त हुई ।
(साभार – रैगर कौन और क्या ?)
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