स्व. श्री हजारीलाल जाटोलिया

माता धन्‍या पिता धन्‍यो धन्‍यो वंश: कुलं तथा ।
धन्‍या च वसुधा देवी गुरूभक्ति: सुदुर्लभा ।।

यू तो इस धरा पर हर कोई जन्म लेते है, मगर जीवन के प्रबल पुरुषार्थ से अपना स्वर्णिम इतिहास रचने वाले इस धरा पर विरले ही व्यक्ति होते है । अपनी जिन्दगी की सौरभ से जो औरों को महका दे, वो इंसान हर दिल अजीज होते है । मैवाड़ उदयपुर के गांव चंगेड़ी की धरा पर जन्में समाज के प्रकाश स्तम्भ, विलक्षण प्रतिभा के धनी, धर्मनिष्ठा, उदारमान, मेवाड़ के गाधी के नाम की ख्याति प्राप्त करने वाले श्री हजारीलाल जाटोलिया जो अन्तराष्ट्रीय दक्षिण एशियाई बाल दासता विरोध संगठन के उपाध्यक्ष रहे । आप अपने जीवन काल में रैगर समाज एवं दलितों व श्रमिकों उत्थान में काला बैग लटकाएं विभिन्न राजकीय कार्यालय में सदैव नजर आते हुए अपने जीवन के 60 वर्ष इसी कार्य में गुजार कर रैगर समाज का गौरव बढ़ाया ।

आपका जन्म मार्च 1938 को निर्धन रैगर समाज में हुआ तथा स्वयं मेहनत व मजदूरी करके सीनियर स्कूल तक की शिक्षा ग्रहण की आर्थिक परिस्थितियों ने आगे न पढने पर मजबूर कर दिया । 1958 में आप राजकीय सेवा में दाखिल हुए तथा पांच वर्ष तक सेवा में गुजारने के पश्चात एकाएक अनुसूचित जाति/जन जाति दलितों पर हो रहे अत्याचार भेदभाव को सहन नहीं कर पाये व राजस्थान सरकार में ऋण इंपेक्टर की सेवा से सन् 1963 में इस्तीफा दे दिया व अपने उदेश्य दलितों की सेवा में निकल पड़े । सन् 1963 से 1998 तक कुल 35 वर्षो में आपने दलितों के उत्थान आन्दोलन के अन्तर्गत 1963 से 1974 तक पूरे राजस्थान में 11 वर्षो तक दलितों के अधिकारों को दिलाने में सघर्षरत रहे सन् 1975 में बन्धुआ मुक्ति का आन्दोलन सर्वप्रथम भारत के उदयपुर जिले के गांव चंगेड़ी से प्रारंभ किया तथा दिल्ली के राष्ट्रीय श्रम संस्थान तक आवाज पहुचाने के बाद एन.एल.आई. के सहयोग से पूरे भारत वर्ष में इस आन्दोलन को चलाया । सन् 1976-77 को राजस्थान प्रान्त में शराब बन्दी आन्दोलन की शुरुवात अपने पेतृक गांव चंगेड़ी से की । उसी के अनुसार राजस्थान सरकार ने 30 जून 1977 में आबकारी मंत्री मा. आदित्येन्द्र ने चंगेड़ी गांव में सर्वप्रथम शराब का ठेका हटाकर शराब बंदी की शुरुवात करवाई । सन् 1981 स्वामी अग्निवेश व कैलाश सत्यार्थी के साथ गैर राजनैतिक बन्धुआ मुक्ति मोर्चा का राष्ट्रीय स्तर का संगठन गठित किया उसके आप कई वर्षो तक राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे । दलितों के साथ अमानीय अत्याचारों की अनेक घटनाओं से 14 अप्रेल 1984 को राजस्थान में प्रण मुक्ति आन्दोलन की शुरुआत कर संघर्ष जारी रखा अपने बाल्या अवस्था में 60 वर्ष तक सदैव दलितों के उत्थान के प्रति संघर्षरत रहने से आज लगभग 5 क्विटल विभिन्न कार्यवाहीयों के कागज आपकी केतुनुमा निवास में जमा है ।

आपने दलितों उत्थान के क्रम में देश के राष्ट्रपति सहित केन्द्रीय मंत्रीयों के मंत्रालयों को अपनी दलितनुमा शैली में देश के दलितों के दुःख दर्दो को सुनाया । श्री जाटोलिया ने आन्दोलन में तीव्रता लाने के लिए देश के गैर राजनीति संगठन भारतीय किशान यूनियन, उत्तरप्रदेश शेतकार संगठन, किसान समन्वय संगठन, आस्था संस्थान, राष्ट्रीय श्रम संस्थान, भारतीय सामाजिक संस्थान आदि के सहयोग से भारत के सर्वोच्च न्यायलय में रिट दायर कर भारत सरकार के समक्ष अपनी सभी मांगों को मंजुरी दिलाते हुए भारत में कृषकों, दलितों के कर्ज की वसूली व नीलामी को निरस्त कराया एवम्ं साथ ही साथ कर्जे माफ कराते हुए देश के लाखों लोगों को लाभाविन्त किया । अपने जीवनकाल में आपने विधान सभा पंचायत प्रतिनिधि सहित कई चुनाव लड़े, परन्तु धन बल के आगे चुनाव में हार का मुह देखना पड़ा । उसी क्रम में आपने 22 से 24 अगस्त 98 को महाराष्ट्र के ओरंगाबाद में बचपन बचाओं आन्दोलन के राज्य स्तरीय समारोह के मुख्य अतिथि के रुप में हजारों लोगों को सम्बोधित किया । श्री जाटोलिया अपने स्वाभिमानी व्यक्तित्व के धनी होने के कारण ग्राम पंचायत चंगेड़ी के सरपंच तथा सरपंच समन्वय समिति के अध्यक्ष रहे । आप अखिल मैवाड़ रैगर महासभा के अध्यक्ष भी रहे तथा आपके कार्यकाल में 2 फरवरी 2006 में रैगर समाज के 51 जोड़ों का सामुहिक विवाह सम्पन्न करवाकर रैगर समाज का गौरव बढा है ।

17 जनवरी, 2012 को श्री हजारीलाल जाटोलिया का निधन उनके पेतृक ग्राम चंगेड़ी जिला उदयपुर में हो गया और रैगर समाज का दैदीप्‍यमान सूरज हमेशा के लिए अस्‍त हो गया ।

(साभार- गोविन्‍द जाटोलिया : सम्‍पादक ‘रैगर ज्‍योति’)

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