दलितो के मसीहा

जब से यह दुनिया बनी, तब से समय-समय पर कई दलित आंदोलन हुए है जिन्होने दलितो का मार्गदर्शन किया है । जिसमे मुख्यतः ‘‘महात्‍मा बुद्ध, गरू नानकजी ,संत कबीरदास, संत रैदास जी, महात्‍मा ज्योतिबा फुले, नारायण गुरू, छत्रपति साहू जी महाराज, रामास्वामी नायकर, बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर” के नाम प्रमुख है ।

दलित आन्‍दोलन की सशक्त शुरूआत संत शिरोमणी रैदास ने अपने उपदेशों के माध्यम से समाज मे एक नयी रीति विकसित की, तथा ब्राह्मणों के पाखण्‍डों को उजागर किया, उनके उपदेशो मे भगवान बुद्ध का प्रभाव साफ दिखाई देता है ।

उन्नीसवीं शताब्दी मे दलितों के उत्थान के लिए माली जाति मे जन्मे ज्योतिबा फुले ने समाज मे व्याप्त छुआछूत, अंधविश्वास, अमानवीय और धर्म के नाम पर अधर्म व पाखण्ड को समाप्त करने के लिए आजीवन संघर्ष किया व महिला शिक्षा पर विशेष बल दिया तथा सरकारी सेवाओ मे आरक्षण कि वकालत की, जिसे कोल्हापुर के छत्रपति शाहूजी महाराज ने अपनी रियासत मे लागू किया तथा दलितो व पिछड़ों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए अभुतपूर्व कार्य किया और जिसके कारण उन्हे भारत मे आरक्षण का जनक कहा जाता है ।

दलितों को शिक्षित करने तथा उनमे शिक्षा का संचार करने के लिए नारायण गुरू ने ताउम्र प्रयास किये जिसके कारण उन्हे सामाजिक क्रान्ति के अग्रदुत के रूप मे जाना जाता है ।

1930 दक्षिण भारत मे दलित आंदोलन की शुरूआत अच्छे व्यवसायी परिवार मे जन्मे रामास्वामी नायकर पेरियार के द्वारा की गई जिन्हे हम पेरियार के नाम से जानते है । उन्होने देखा कि ब्राहमण द्वारा दलितो का शोषण किया जाता है और उन्हे नारकीय जीवन जीने पर मजबूर किया जाता। दक्षिण मे उनका आंदोलन दलितो को अपने अधिकार दिलाने मे सफल रहा ।

इसी दौरान डॉ. भीमराव अम्बेडकर एक युवा बेरिस्टर का उदय हुआ पहली बार छत्रपति शाहूजी महाराज ने मंच से संबोधित करते हुए ऐलान किया की दलितो को अपना नेता मिल गया है जिसका नाम डॅा. बी. आर. अम्बेडकर है जो आगे चलकर सम्पूर्ण भारत में दलितों के नेता कहलायेंगे ।

डॅा अम्बेडकर ने अंग्रेजी सरकार के सामने दलितो की समस्याओ को प्रमुखता से रखा नतीजा अंग्रेजो द्वारा साम्प्रदायक पंचाक के द्वारा दलितो को पृथक निर्वाचन तथा दो वोट का अधिकार प्रदान किया गया, नतीजा गॉधीजी ने खुलकर इसका विरोध किया और पूना की जेल मे इसके विरूद्ध अनशन किया जिसका प्रभाव डॉ. अम्बेडकर को मजबुर करके पूना पेक्ट समझोता किया, जिसके कारण साम्प्रदायिक पंचाग के द्वारा दलितो को मिले अधिकार से हाथ धोना पड़ा और इसके तहत आरक्षण कि व्यवस्था कि गई, यह आरक्षण, स्वर्णो व दलितो के बीच हुऐ पूना पेक्ट समझौते का परिणाम था ।

दलितो के उत्थान के लिये जो ठोस प्रयास डॅा. बी.आर. अम्बेडकर ने किये जिसके कारण आज छुआछूत जैसी गम्भीर बीमारी जो 4 हजार साल से चल रही थी कुछ हद तक उसे मिटाने मे सफल हुए है । साथ ही आरक्षण की मजबुत व्यवस्था लागू कर दलितो को अपने अधिकार दिलाये । उसी का परिणाम है की आज दलित, आदिवासी, पिछड़े वंचित समाज के लोग कुछ सम्मान से जी रहे है । दलितो व आदिवासियो को सरकारी सेवाओं, तथा राजनैतिक सता मे आरक्षण की व्यवस्था कर उन्हे अपना हक प्रदान किया ।

वही पिछड़ी जातियो के लिए भारतीय संविधान मे अनुच्छेद 340 का प्रावधान कर आरक्षण का मार्ग प्रशस्त किया, जिससे आगे चलकर ‘‘केलकर कमेटी ‘‘ तथा उसके बाद ‘‘मण्डल कमीशन‘‘ बनाकर उन्हे आरक्षण का लाभ पहुँचाया ।

कानून के विद्धान और बेरिस्टर डॉ. अम्बेडकर पिछड़ी जातियो को आरक्षण देने के लिए अनुच्छेद 340 को लागू करने तथा महिलाओ की स्थिति मे सुधार के लिए हिन्दू कोड बिल पास करने की वकालत के कारण डॉ. अम्बेडकर ने नेहरू मंत्रीमण्डल से इस्तीफा दिया । जिससे उत्पन्न दबाव के कारण पिछड़ी जातियो के आरक्षण के लिए केलकर कमेटी बनी तथा हिन्दू कोड बिल भी अन्ततः पास किया गया ।

आज जो आरक्षण अन्य पिछड़ी जातियो को मिला है वह डॉ. अम्बेडकर द्वारा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 340 के प्रावधान के तहत ही दिया गया है । महिलाओं की स्थिति जो हजारो सालो से दलितो के सम्मान ही थी उसे भी सुधारने के लिए उन्होने हिन्दु कोड बिल बनाया जो आगे चलकर कानून बना, उसी का परिणाम है की आज हमारे समाज मे महिलाओ की भागीदारी कई गुना बढी़ है तथा उनकी स्थिति में अभुतपूर्व सुधार हुआ है । इसलिए डॉ. अम्बेडकर को आधुनिक भारत के संस्थापक पितामह कहा जाता है ।

डॉ. अम्बेडकर चाहते थे की दलितो, आदिवासीयो, पिछड़ों की सत्ता मे भागीदारी हो, उसी कमी को पूरा करने के लिए पूरा जीवन न्योछावर करने वाले, पंजाब के रैदासिया जाति के मान्यवर काशीराम जिन्होने उत्तर भारत मे दलितो के लिए राजनैतिक सत्ता मे भागीदार तय की तथा उन्हे नेृतत्व प्रदान किया, जिसका जिताजागता उदाहरण उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बहन मायावती है जो आज दलितो कि पहचान है ।

कुशालचन्द्र रैगर, एडवोकेट

M.A., M.COM., LLM.,D.C.L.L., I.D.C.A.,C.A. INTER–I

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