प्रस्तुत रैगर गौत्र वंशावली ग्राम फागी के जागा तथा हरिद्वार के पं. गंगाराम जी पुरोहित एवं काशी निवासी गंगा गुरू श्री जयराम जी गौड ब्राह्मण की पुरानी हस्तलिखित (पाण्डूलिपि) बही से सन् 1940 ई. में प्राप्त सामग्री है एवं साथ ही रैगर जाति पर अब तक प्रकाशित कई पुस्तकों में रैगर गोत्रो के बारे में परिचय दिया जा चुका है, जिनमें से प्रमुख श्री रूपचन्द जलूथरिया कृत “रैगर जाति का इतिहास”, श्री जीवन राम गुसाईवाल कृत “प्राचीन रैगर इतिहास”, श्री चन्दनमल नवल कृत “रैगर जाति का इतिहास”, डॉ. पी.एन. रछोया कृत “रैगर जाति का इतिहास व संस्कृति” व रमेश जलूथरिया कृत “गंगा, भागीरथ और रैगर” है। गोत्रों की सूंची विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त की गई है अत: संभावना है कि कुछ त्रुटि रह गयी हो तो हम इसके लिए क्षमाप्रार्थी है।
गोत्र की सूची में जिलेवार किस गोत्र की उत्पत्ती कहाँ से हुई है साथ ही गोत्र के आखरी के शब्द जैसे : ”या”, ”वाल” व अन्य के अनुसार भी सुची में सर्च कर सकते है ….
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