यहां पर भी अखिल भारतीय रैगर महासम्मेलन दौसा व जयपुर के पारित प्रस्तावों के अन्तर्गत बाड़ी (टौंक राज्य) के रैगर भाईयों ने घृणित कार्यों को छोड़ दिया । स्वर्णों को रैगर बन्धुओं की यह बात सहन नहीं हुई । अत: स्वर्णों ने रैगर बन्ध्ुाओं अत्याचार किए और सामाजिक बहिष्कार कर दिया । जब रैगर इनका विरोध करते थे तो स्वर्ण जाति वाले उन पर अत्याचार करना शुरू कर दिया । स्वर्ण हिन्दुओं द्वारा स्थानीय रैगर बंधुओं पर किए गए अत्याचारों की सूचना पाते ही सर्व श्री नवल प्रभाकर, श्री सूर्यमल मौर्य, श्री घनश्यासिंह सेवलिया, श्री कालूराम कुरड़िया का एक शिष्टमण्डल महासभा की ओर से घटनास्थल पर भेजा गया । वस्तुस्थिति से पूर्णतया अवगत हो वहाँ के स्वर्ण हिन्दुओं को समझाने का प्रयास किया गया जिसमें उन्हें सफलता प्राप्त हो सकें । तदुपरान्त दूसरा कदम उठाया गया और शिष्टमण्डल तत्कालीन राज्य के मुख्यमंत्री श्री माणिक्यलाल वर्मा से मिला जिन्होंने पूर्णतया आश्वासन दिया । इस प्रकार जाँच के उपरांत समस्या का निराकरण हो गया ।
(साभार – रैगर कौन और क्या ?)
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