चित्तौड़गढ़ जिले में मातृ कुण्डियाँ नामक स्थान पर रैगर समाज द्वारा निर्मित यह विशाल यह विशाल गंगा मन्दिर है। इस मन्दिर के निर्माण के समय जाट जाति के लोगों ने पहले आगे की जमीन को लेकर विवाद खड़ा कर दिया था और आपस में कोर्ट में मुकदमा भी चला जिससे उस समय के स्थानीय विधायक श्री जयचन्द जी मोहिल ने जाति वालों का जोरदार पक्ष लिया। श्री जयचन्द जी मोहिल व श्री रूपचन्द जी जलुथरिया माननीय वी.पी. बेरी जो बाद में राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे को समाज की ओर से वकील बनाया और उन्हें साथ ले जाकर मौका मुआयना भी कराया । इस केस में रैगरों की जीत हुई और मन्दिर उसी स्थान पर बना, किन्तु श्री मोहिल जी को राजनैतिक हानि उठानी पड़ी और आगामी चुनावों में उन्हें कांग्रेस का टिकिट नहीं मिलपाया । वे स्वतन्त्रता सैनानी तथा 1952 से 62 तक दो बार विधायक रहे । अब यह मन्दिर लगभग 10 लाख की लागत से जन सहयोग द्वारा बनकर पूर्ण तैयार हो गया । यह मन्दिर पूर्णरूपेण संगमरमर द्वारा बना हुआ है तथा उस क्षेत्र का रैगर समाज का विशाल मन्दिर हैं इसमें गंगामाता की भव्य मूर्ति है ।
(साभार- स्व.श्री रूपचन्द जलुथरिया कृत ‘रैगर जाति का इतिहास’)
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