नाथ

इनको जोगी भी कहते है । इनको अजमेर क्षेत्र में जागी तथा अन्‍य जगहों पर नाथ कह कर पुकारा जाता है । ये जोधपुर, अजमेर, कोटा, जयपुर, दिल्‍ली, मुम्‍बई वगैरा में फैले हुए हैं । पंच पंचायती में नाथ पंचों की तरह से फैसले सुनाता है । विवाह का लग्‍न देने जाना, यजमानों के कहे अनुसार मोहल्‍लों में न्‍यौता देना तथा बुलाना आदि काम करते हैं । शादी विवाह में इनका नेक चुकाया जाता है । साल में एक बार फेरी पर आते है, उस समय यजमान श्रद्धा अनुसार इनको पैसे देते हैं । आज कल नाथों ने व्‍यापार, मजदूरी आदि धन्‍धे अपना लिए हैं । इनका परम्‍परागत धन्‍धा समाप्‍त होता जा रहा है ।

(साभार- चन्‍दनमल नवल कृत ‘रैगरजाति : इतिहास एवं संस्‍कृति’)

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