रैगर जाति का इतिहास व संस्कृति

अनुक्रमणिका

क्र. विषय सूची
1. शुद्रों की उत्‍पत्ति व समय काल
2. रैगर जाति और सूर्यवंशी क्षत्रिय
3. रैगर जाति की उत्‍पत्ति, जनसंख्‍या व विस्‍तार
4. रैगर जाति के गोत्र वर्गीकरण व उद्गम स्‍थान
5. रैगर समाज पर अत्‍याचार व रूढ़िवादितायें
6. स्‍वामी आत्‍मा राम लक्ष्‍य द्वारा सामाजिक क्रांति
7. प्रथम रैगर समाज महासम्‍मेलन, 1944 दौसा
8. द्वितीय रैगर महासम्‍मेलन, 1946 जयपुर
9. सामाजिक सुधारात्‍मक क्रान्ति
10. रैगर महासम्‍मेलनों का प्रभाव व घटनायें
11. महासभा की शिथिलता का काल
12. पुष्‍कर महासम्‍मेलन, 1964
13. चतुर्थ अखिल भारतीय रैगर महासम्‍मेलन, जयपुर 1984
14. सुखराज आर्य नोगिया, स्‍वयंसेवकों का संघर्ष व सुधारात्‍मक कार्य
15. राजस्‍थान प्रांतीय रैगर महासभा
16. अखिल भारतीय रैगर महासभा का जयपुर में विघटन
17. रैगर जाति की स्‍वतंत्रता संग्राम में देन
18. रैगर जाति के राजनैतिक व्‍यक्ति
19. रैगर जाति के विशिष्‍ट व्‍यक्ति
20. रैगर जाति की संस्‍कृति
21. रैगर जाति का रहन सहन, पुराना व्‍यवसाय व खान पान
22. रैगर जीवन शैली में रिश्‍तों की महत्ता
23. रैगर जाति के लाकोत्‍सव व व्रत
24. रैगर जाति का पहनावा और गहने
25. रैगर जाति की परम्‍परायें और रिति-रिवाज़
26. रैगर जाति के धार्मिक संतों द्वारा सामाजिक उत्‍थान
27. रैगर जाति के धार्मिक, शैक्षणिक एवं सांस्‍कृतिक संस्‍थान
28. रैगर जाति के गीत
29. रैगर जाति की बोली

प्रथम संस्‍करण : 2015

कुल पृष्‍ठ 234

लेखक- डॉ. पी. एन. रछोया

भारतीय पुलिस सेवा (सेवा निवृत्‍त)

एम.ए., एल.एल.एम., पी.एच.डी.,

एडवोकेट, राजस्‍थान उच्‍च न्‍यायालय

फोन नम्‍बर (घर): 0141-2389035

मोबाईल : 9414055312

प्रकाशक : कीर्ति पब्लिकेशन्‍स

सी 250 (ए) मालवीय नगर, जयपुर 302017 (राज.)


डॉ. पी. एन. रछोया : एक परिचय

प्रतिभा किसी परिचय की मौहताज नहीं होती है आदर्श प्रतीभा अपने जीवन की हर सांस से सारे जहां को महका देती है । डॉ. पी. एन. रछोया का जन्म 15 फरवरी 1945 को दिल्ली में श्री कालूराम रछोया के घर हुआ । जहां उन्‍होंन दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय से एम.ए., एल.एल.बी. और राजस्‍थान विश्‍वविद्यालय से एल.एल.एम. की डिग्रियाँ प्राप्‍त की । आपके शोध ग्रंथ ”इण्डियन पुलिस एण्‍ड साईबर क्राइमस : चैलेंजीज एण्‍ड स्‍ट्रेटीज (Indian Police and Cyber Crimes : Challanges and Strateries) पर राजस्‍थान विश्‍वविद्यालय ने आप को पी.एल.डी. की डाक्‍ट्रेट की डिग्री देकर सम्‍मानित किया ।

कर्मयोगी जीवन लोह व इस्‍पात मंत्रालय, उद्योग भवन, नई दिल्‍ली से प्रारम्‍भ कर केन्‍द्रीय जल व शक्ति आयोग तथा भारतीय स्‍टेट बैंक नई दिल्‍ली में सेवायें देने के बाद अपनी योग्‍यता, परिश्रम व कठोर तपस्‍या के उपरान्‍त आपका पुलिस जीवन भारतीय पुलिस सेवा (राजस्‍थान कैडर) में वर्ष 1972 से आरम्‍भ हुआ । आप सहायक पुलिस अधीक्षक, अजमेर, कमाडेण्‍ट आर.ए.सी. पुलिस अधीक्षक, जिले जैसलमेर, झालावाड़, टोंक, सीकर व पाली, पुलिस उप महानिरीक्षक (सुरक्षा), पुलिस उप महानिरीक्षक भरतपुर रेंज (जिले भरतपुर, अलवर, सवाई माधोपुर, करोली व धौलपुर) और जयपुर रेंज (जिले सम्‍पूर्ण जयपुर शहर, जयपुर ग्रामीण, सीकर, झुंझुनू व दौसा), पुलिस महा निरीक्षक (अपराध व सतर्कता) व अतिरिक्‍त पुलिस महा निदेशक बन कर निदेशक, राजस्‍थान पुलिस अकादमी के रूप में पुलिस अधिकारियों व पुलिस कर्मियों को अपने ज्ञान से विभिन्‍न विषयों में प्रशिक्षण दिया ।

आप एक ईमानदार, कुशल व सफल पुलिस अधिकारी के अलावा मानवीय भावनाओं से ओतप्रोत एक सच्‍चे समाज सेवी और लेखक के रूप में भी प्रसिद्ध रहे हैं । कई अप्रकाशित पुस्‍तकों, गजलों व साहित्‍य के अलावा आपकी विभिन्‍न विषयों पर अंग्रेजी व हिन्‍दी भाषाओं में 20 से अधिक पुस्‍तकें प्रकाशित हो चुकी है जिनमें से कुछ महत्‍वपूर्ण पुस्‍तकें निम्‍न प्रकार है :-

1. Laws Relating to Terrorism & Disturbances

2. Bombs & Explosives : Investigation & Security Guide

3. Laws of Bombs & Explosives

4. Honour and Display of National Flag

5. Public Property Damage Act, 1984

6. Dr. Ambedkar Rediscovered

7. Information Technology Laws & Cyber Crimes

8. Vigilance Management : Practice & Procedure

9. Honour of National Flag

10. अपराध अन्‍वेषण कला

11. राजस्‍थान पुलिस का इतिहास

12. राजस्‍थान पुलिस के अमर शहिद

13. पद चिन्‍ह कला

14. दर्द के दीप

15. पांखुड़ी गुलाब की

16. नीर भरी पीर

17. भीष्‍म पितामह (खण्‍ड काव्‍य)

18. रैगर जाति का इतिहास व संस्‍कृति

(साभार- रैगर जाति का इतिहास व संस्‍कृति)

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