[vc_row type=”in_container” full_screen_row_position=”middle” scene_position=”center” text_color=”dark” text_align=”left” overlay_strength=”0.3″][vc_column column_padding=”no-extra-padding” column_padding_position=”all” background_color_opacity=”1″ background_hover_color_opacity=”1″ column_shadow=”none” width=”1/1″ tablet_text_alignment=”default” phone_text_alignment=”default” column_border_width=”none” column_border_style=”solid”][vc_text_separator title=”श्री छोगा लाल जी कंवरिया ” css=”.vc_custom_1537623817445{margin-top: 20px !important;margin-bottom: 20px !important;}”][vc_column_text]जन्म : श्री छोगा लाल जी कंवरिया जी का जन्म 12 अप्रैल, 1922 को ब्यावर (अजमेर) में श्री प्रताप मल जी कंवरिया के घर में हुआ । श्री प्रताप मल जी साधारण हिन्दी योग्यता रखते थे । लोगों को रामायण, गोपीचन्द, भरतरी पढ़ कर सुनाया करते थे । एक वर्ष के थे कि पिता का साया सर से उठ गया, जिस कारण उनकी माँ मजदूरी करने को उद्धत हुई; जिससे परिवार का भरण-पोषण हो सके ।
स्कूल शिक्षा : माँ ने 5 वर्ष की उम्र में ब्यावर के एक स्कूल में प्रवेश करा दिया । स्कूल में मेघावी छात्रों में गिनती होने लगी । हर वर्ष प्रथम स्थान प्राप्त करते । सन् 1940 में मैट्रीक परीक्षा प्रथम श्रेणी में विशेष योग्यता के साथ उत्तीर्ण की । ब्यावर के तीनों र्हा स्कूलों में एक मात्र छात्र रहे, जिसको प्रथम श्रेणी मिली थी ।
कॉलेज शिक्षा : उस समय Govt. Collage, Ajmer के प्रोफेसर डॉ. बी.एल. रावत (M.A. Ph.D.) के उत्साहवर्धन से Govt. Collage, Ajmer में प्रवेश लिया । संभ्रान्त परिवार के बच्चों की ट्यूशन कर 60/- रूपये मासिक आय प्राप्त कर सके, जिससे कॉलेज का खर्च एवं उसमें से 15/- रूपये मासिक माँ को भी भेजते थे । 1940में बी.एस.सी. की डीग्री प्राप्त की । इस बीच 1944 में छोटी उम्र में शादी कर दी गई । एल.एल.बी. की डीग्री राज्य सेवा में रहते प्राप्त की ।
राज्य सेवा : (अ) 1952-54 तक तहसीलदार मजिस्ट्रेट द्वितीय श्रेणी, केकड़ी में रहे । उस समय अजमेर राज्य के अनुसूचित जाति के प्रथम ग्रेज्यूएट एवं प्रथम तहसीलदार थे । (ब) 1955 में प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट अजमेर बनाया गया । (स) 1957-58 अलवर जिले में प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट बनया गया । (द) 1963 तक विकास अधिकारी निम्बाहेड़ा जिला चित्तौड़गढ रहे । (य) 1963-1967 सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट गुलाबपुरा, जिला- भिलवाड़ा रहे । (र) 1967 में एस.डी.एम. सांभर लैक । उसके पश्चात् सन् 1977 तक आर.ए.एस के विभिन्न पदों डिप्टी डायरेक्टर, डिप्टी कमीशनर, सेल्स टैक्स इत्यादि पदों पर रहे ।
राजनीतिक जीवन : 1977 में सेवा निवृत हुए । उसके पश्चात् राजनीति मके प्रवेश किया एवं कांग्रेस (आई.) के कियाशील सदस्य बन गये ।
अजमेर जिला देहात के महामंत्री बनाये गये । 1980 में दूदू विधान सभा क्षेत्र से विधायक रहे एवं केबिनेट स्तर का चिकित्सा एवं स्वास्थय मंत्री बनाया गया । 1980 से 1985 तक विधान सभा के सदस्य रहे ।
समाज सेवा : कॉलेज के विद्यार्थी रहते हुए 1942 में एक संस्था Depressed Classes Association अजमेर में बनाई, इस संस्था के द्वारा पिछड़े वर्ग के मौहल्लों में जाकर सभा करते और शिक्षा के लिए लोगों को प्रेरित करते । 1943-1949 तक इस संस्था के महामंत्री रहे । 9 फरवरी, 1947 को राजस्थान स्तर का दलित वर्ग सम्मेलन अजमेर में बुलवाया गया जिसमे श्री बाबू जगजीवन राम श्रम मंत्री, भारत सरकार को आमंत्रित किया गया । यह सम्मेलन बहुत सफल रहा । राज्य सेवा में रहते हुए गुलाबपुरा में लड़कियों के स्कूल की बिल्डिंग दानदाताओं के सहयोग से बनवाई । सांभर लेक में डिग्री कॉलेज की स्थापना हेतु 10 लाख रूपये का चन्दा इकट्ठा करवाने में सहयोग दिया ।
सन् 1964 में अखिल भारतीय रैगर महासभा के अध्यक्ष बने; अध्यक्ष के पद पर 1977-1984 तक रहे एवं 6-7 अक्टूबर 1984 में अखिल भारतीय रैगर महासम्मेलन जयपुर में आयोजित करवाने में महत्वपूर्ण भुमिका निभाते हुए उस समय देश की प्रधानमंत्री माननीय इन्दिरा गाँधी जी को बतोर मुख्य अतिथि के रूप में रैगर समाज के मंच पर बुलवाया । समाज की सेवा करते हुए 24 जुलाई, 1994 को हमसे सदा के लिए विदा हो गए । उनके चरणों में हमारा प्रणाम ।
(साभार : लक्ष्य रक्षक, लेखक – सुपुत्र चेतन कंवरिया)
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