जयपुर महासम्मेलन के उपरान्त समय-समय पर बड़ी पंचायतें हुई । यह पंचायतें मख्यत: रैगरों एवं स्वर्ण हिन्दुओं में आपस में मतभेद होने पर, रैगरों में आपस में झगड़ा होने एवं पारित प्रस्तावों के विपरीत आचरण करने वाले रैगर बन्धुओं को दंडित करने, आदि उद्देश्यों के कारण हुर्इ । इन सभी बड़ी-बड़ी पंचायतों में महासभा के प्रतिनिधि पहुँचते थे और वहां शान्ति स्थापित कराने का भरसक प्रयत्न करते थे । कुछ मुख्य पंचायतों के बारे में ही बात देना पर्याप्त होगा । बीकानेर, फुलेरा, जोबनेर, रघुनाथपुरा, रामनगर, रूपनगर, किशनगढ़, चौमू-सामोद, उदयपुरिया, (चौमू), हरसौली, दौसा, जयपुर, रायसर, खरकड़ी, सोजतसीटी (मारवाड़), बसवा, रामगढ़, आम्बेर अचरोल, सूरतगढ़, धानूता, खरवा, चावड़या, बधाल, कनगट्टी, नीमच, झाडली, हस्तेड़ा आदि स्थानों पर हुई पंचायतें मुख्य हैं । इन सभी पंचायतों में समय-समय पर महासभा के प्रतिनिधि आए और रैगर बन्धुओं को सम्मेलन के पारित प्रस्तावों पर दृढ़ता से चलने के लिए कहा गया । उपरोक्त पंचायतों में जिन महानुभावों ने समय-समय पर भाग लिया सर्व श्री नवल प्रभाकर, श्री कन्हैयालाल रातावाल, श्री कंवरसेन मौर्य, श्री सर्यमल मौर्य, श्री रामस्वरूप जाजोरिया, श्री नारायण जी आलोरिया, पं. घीसूलाल सिवासिया, चौ. गयारसाराम, श्री प्रभुदयाल रातावाल, पं. छेदीलाल पटेल, श्री मोहनलाल कांसोटिया, चौ. पदमसिंह सक्करवाल, श्री भौलाराम तोणगरिया, स्वामी ज्ञान स्वरूप जी महाराज, श्री लालारामजी जलूथरिया, श्री बिहारीलाल जागृत, श्री शम्भु दयाल गाडेगावंलिया, श्री खुशहालचन्द मोहनपुरिया, श्री छोगालाल कँवरिया, श्री दौलतराम सबलानिया प्रमुख थे ।
इन पंचायतों में महासभा के उपस्थित प्रतिनिधियों ने समस्या का निराकरण करने के उपरान्त शान्ति स्थापित की । कई पंचायतों में तो इन प्रतिनिधि मण्डलों को बड़ी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा । उदाहरणार्थ रूपनगर में 44 गाँवों की एक विशाल पंचायत हुई । महासभा के ओर से रेगर बन्धुओं को पोत्साहित एवं संगठित करने हेतु सर्व श्री कंवरसेन जी मौर्य, श्री गौतमसिंह सक्करवाल, श्री नारायण जी आलोरिया, रूपनगर पहुँचे । वहां इन्होंने रैगरों को महासम्मेलनों के प्रस्ताव को कार्यरूप देने का प्रचार किया । इस प्रचार को स्वर्ण हिन्दुओं ने सहन नहीं किया और उपरोक्त शिष्टमण्डल को काठ (जेल) में दे दिया गया । इनमें से कुछ प्रमुख पंचायतों का विवरण निम्नलिखलित है –
मालवा प्रान्त कनगट्टी के सजातीय बन्धुओं की प्रार्थना पर अखिल भारतीय रैगर महासभा की ओर से दिनांक 15-05-1946 को गंगोज प्रचारार्थ प्रचार मंत्री श्री कंवर सेन मौर्य को भेजा गया । श्री कंवर सेन मौर्य ने उस अवसर पर सजातीय बन्धुओं को अखिल भारतीय रैगर महा सम्मेनल में पारित प्रस्तावों के बारे में बताया और कहा कि दौसा – जयपुर महासम्मेलनों के पारित प्रस्तावों को अमल में लाने के लिए ठोस कदम उठाने के लिए सभी सजातीय बन्धुओं को वचन बद्ध किया गया ताकि पारित प्रस्तावों को स्थानिय समाज बन्धु अमल करे । साथ ही प्रचार में केरीति निवारण के लिए अधिक जोर दिया । लौटते हुए नीमच ग्राम बघाना में भी प्रचार किया, और जो घृणित कार्य करते थे उसके लिए स्थानिय बन्धुओं से प्रतिज्ञाएं करवाई ।
दिनांक 28-05-1946 को ग्राम बारोवड़ में मारवाड़ परगने के लगभग 80 ग्रामों के रैगर बन्धुओं की एक विराट पंचात हुई । इस पंचायत में महासम्मेलन दौसा व जयपुर के प्रस्ताव नं. 2 के अंतर्गत घृणित कार्य को छोड़ने का निश्चय कराया गया । अखिल भारतीय रैगर महासभा की ओर से सर्व श्री चौ. कन्हैयालाल रातावाल, श्री नवल प्रभाकर, श्री कँवरसेन मौर्य, श्री कानाराम जी (विदयाद), श्री नारायण जी आलोरिया (फुलेरा), श्री सूर्यमल मौर्य (ब्यावर), श्री मूलचन्द रातावाल आदि ने पंचायत में भाग लिया ।
दिनांक 10-08-1946 को ग्राम परबतसर में 210, गाँवों की एक विराट पंचायत, उस क्षेत्र के 45 ग्रावों के सम्बन्ध में हुई, जिनमें दौसा – जयपुर महासम्मेलनों के पारित प्रस्तावों के विपरीत घृणित कार्यों को तिलांजली नहीं दी थी । इस पंचायत में अखिल भारतीय रैगर महासभा द्वारा किए गए सद् प्रयत्नों की प्रशंसा की गई । जाति-बन्धुओं को प्रतीज्ञा पर दृढ़ रहने की प्रेरणा दी गई और उन 45 गाँवों के रैगर भाईयों ने भी उन घृणित कार्यों को छोड़ दिया और हमेशा के लिए न करने की प्रतिज्ञा की सर्व श्री कंवर सेन मौर्य, श्री सूर्यमल मौर्य ने अखिल भारतीय रैगर महासभा का प्रतिनिधित्व किया ।
दिनांक 13-01-1947 को बीकानेर में एक पंचायत हुई, जिसमें महासभा की ओर से सर्व श्री चौ. कन्हेयालाल रातावाल, रामस्वरूप जाजोरिया, पं. नाथूराम अटल व पं. छेदीलाल भजनोपदेशक का एक शिष्टमण्डल प्रतिनिधित्व एवं प्रचारार्थ पहुँचा । पंचायत में महासम्मेलनों के पारित प्रस्तावों पर बल दिया गया ।
दिनांक 01-05-1947 को श्री कंवरसेन मौर्य प्रचार मंत्री जोबनेर व फुलेरा में हुए काण्डों की जाँच और सजातीय बन्धुओं को धैर्य बंधाने हेतु भेजा गया । साथ में पं. छेदीलाल व महासभा के सदस्य श्री नारायण जी आलोरिया थे । शिष्टमण्डल ने पीड़ित बन्धुओं को धैर्य बँधायां ।
दिनांक 11-05-1947 को अखिल भारतीय रैगर महासभा की ओर से एक शिष्टमण्डल प्रचार हेतु पहुँचा । सर्व श्री कंवरसेन मौर्य, श्री नारायण जी आलोरिया (फलेरा वाले) व पं. छेदीलाल जी ने इन स्थानिय ग्रामों में दौसा-जयपुर महासम्मेलनों में पारित प्रस्तावों को सफल बनाने के लिए ठोस प्रचार किया और सफलता प्राप्त की ।
रूपनगर में दिनांक 21-06-1947 को निकटवर्ती 44 गाँवों की एक विशाल पंचायत हुई । महासभा की ओर से रैगर बंधुओं को प्रोत्साहित और संगठित करने के लिए सर्व श्री कंवरसेन मौर्य, श्री गौतमसिंह सक्करवाल, नारायण जी आलोरिया रूपनगर जहाँ उन्हें काठ (जेल) में दे दिया गया । रूपनगर के समीप ही रघुनाथपुरा ग्राम में मृत पशु को उठाने के लिए स्थानीय स्वर्णों ने रैगर बन्धुओं पर बहुत जोर दिया । रैगर बन्धुओं ने संगठित होकर इस घृणित कार्य को करने से मना कर दिया । फलस्वरूप रैगर बन्धुओं के साथ मारपीट हुई और उन्हें जेल में डाल दिया गया । महासभा के प्रतिनिधियों को पता चलते ही तत्काल रघुनाथपुरा घटनास्थल पर पहुँचे । स्थिति को सँभाल कर सजातीय बन्धुओं को मुक्त कराया और समझौता करा दिया ।
दिनांक 16-06-1947 को किसनगढ़ में एक विशाल पंचायत हुई जिसमें महासभा की ओर से सर्व श्री चौ. गोदाराम जी रातावाल, पटेल श्री मोहनलाल जी कांसोटिया और भजनोपदेशक पं. छेदीलाल जी ने महासभा का प्रतिनिधित्व किया । महासम्मेलनों के प्रस्तावों का पंचायत में पुरजोर समर्थन किया गया ।
15 अगस्त, 1947 को भारत देश आजाद हुआ और लेकिन साथ ही एक बहुत बड़ी घटना देश में घटी और उसका नाम था ”भारत विभाजन” इस विभाजन से पश्चिमी पंजाब और सिंध से हजारों की संख्या में सजातीय बन्धु विस्थापित हो दिल्ली, अजमेर, जयपुर, जौधपुर और बीकानेर पहुँचे । हर स्थान पर पुरूषार्थी बन्धुओं के दुख में सम्वेदना प्रकट की और इस राष्ट्रीय विपत्ति में धैर्य बंधाया । स्थान-स्थान पर सजातीय विस्थापित बन्धुओं के आवास, भोजन एवं रोजगार के लिए व्यवस्थायें की गई और सफलता प्राप्त की गई ।
सामोद पंचायत में महासभा का एक पाँच सदस्यों का शिष्ट मण्डल दिनांक 23 जून, 1948 को भेजा गया । शिष्टमण्डल ने जातीय समस्याओं के निराकरण के लिए संघठन पर बल दिया । शिष्टमण्डल के सदस्य सर्व श्री रामस्वरूप जाजोरिया, श्री लालाराम जलूथरिया, श्री लेखराम शेरसिया, श्री बीजाराम खटूम्बरिया श्री मंगलाराम कुरड़िया और श्री मूलचन्द रातावाल ने पंचायत में दौसा – जयपुर महासम्मेलनों के पारित प्रस्तवों का पूर्ण रूप से समर्थन किया और पचास गाँवों के रैगर पंचों ने घृणित कार्यों कोन न करने की प्रतिज्ञा की । इस सामोद की विराट पंचायत में आये हुए पंचों को किराया-भाड़ा, रोटी-पीनी और मिठाई का व्यय महासभा की तरफ से किया गया । जिसका कुल खर्च 266.40 रूपये आया ।
उदयपुरिया ग्राम में दिनांक 13-12-1950 को एक विशाल पंचायत सर्व श्री चौ. कन्हैयालाल रातावाल, श्री रामस्वरूप जाजोरिया, पटेल मोहनलाल कांसोटिया, चौ. ग्यारसाराम चान्दोलिया, श्री लालाराम जलूथरिया, श्री लेखराम शैरसिया, श्री भैरूराम और श्री गंगा सहया जी पहुँचे । शिष्टमण्डल ने स्वर्णों द्वारा रैगर बन्धुओं पर दिन प्रतिदिन होने वाले अत्याचारों की निन्दा की गई एवं महासम्मेलनों के प्रस्तावों को पुन: दोहरया गया । प्रस्तावों को मानते हुए एकता पर बल दिया गया एवं राज्य सरकार से मांग की गई कि रैगर समाज की स्वर्णों के अत्याचार से रक्षा की जाय ।
गाँव हरसौली की एक विशाल पंचायत में अखिल भारतीय रैगर महासभा का एक शिष्टमण्डल सर्व श्री चौ. कन्हैयालाल जी रातावाल, चौ. पदम सिंह सक्करवाल, चौ. ग्यारसाराम जी चान्दोलिया, ने महासभा की ओर से प्रतिनिधित्व किया और उपस्थित रैगर जनता को महासम्मेलनों के पारित प्रस्तावों को मानने की प्रतिज्ञा करवाई ।
महासभा की ओर से एक प्रतिनिधिमण्डल सर्व श्री भोलाराम तौणगरिया व श्री लेखराम जी शैरसिया ने स्थानीय पंचायत में भाग लिया और सजातीय बन्धुओं को महासम्मेलनों के पारित प्रस्तावों को अमल में लाने के लिए विशेष रूप से जोर दिया ।
अखिल भारतीय रैगर महासभा की ओर से दिनांक 1-2-1951 को एक प्रतिनिधि श्री लेखराम शेरसिया भेजे गए जिन्होंने दोनों जगहों की पंचायतों में भाग लिया और महासभा को रिपोर्ट दी कि महासम्मेलनों में पारित प्रस्तावों को सभी जगह समर्थन मिला ।
सूरतगढ़ पंचायत दिनांक 23-03-1951 को अखिल भारतीय रैगर महासभा की और से सर्व श्री कँवरसेन मौर्य एवं श्री खुशहालचन्द्र मोहनपुरिया ने भाग लेकर स्थानीय स्वर्णों द्वारा किये गए अत्याचारों पर सम्मिलित पंचायत में डटकर सामना किया और रैगर बन्धुओं का उत्साहवर्धन किया एवं अत्याचारों का डटकर सामाना करने के लिए एकता एवं संगठन की आवश्यकता पर बल दिया तथा महासभा की ओर से पूर्ण मदद का आश्वासन दिया । इसी मद्धे महासभा की ओर से 100/- एक-सौ रूपये की सूरतगढ़ पंचायत को नकद सहायतार्थ श्री चैनाराम जी चान्दोलिया द्वारा दिये गए ।
दिनांक 14-08-1951 को सोजत में समाज सुधार के लिए एक विराट पंचायत का आयोजन किया गया । अखिल भारतीय रैगर महासभा की ओर से सर्व श्री नवल प्रभाकर जाजोरिया, श्री कँवरसेन मौर्य, श्री देवेन्द्र कुमार चान्दोलिया, श्री खुशहालचन्द्र मोहनपुरिया का एक शिष्टमण्डल उक्त पंचायत में पहुँचा । शिष्टमण्डल ने स्थानीय रैगर बन्धुओं के उत्साह की प्रशंसा की एवं महासभा की ओर से हर सम्भव सहायता देने का वचन दिया ।
अखिल भारतीय रैगर महासभा की ओर से एक शिष्टमण्डल रायसर व खरकड़ी पंचायत में पहुँचा । शिष्टमण्डल में सर्व श्री चौ. पदमसिंह, चौ. ग्यारसाराम जी चान्दोलिया, श्री रामस्वरूप जी जाजोरिया, श्री कँवरसेन मौर्य व खुशहालचन्द्र मोहनपुरिया ने भाग लिया स्थानीय रैगर बन्धुओं को महासम्मेलनों के पारित प्रस्तावों को अमल में लाने के लिए विशेष जोर दिया । सब बन्धुओं ने मान लिया और प्रतिज्ञा की कि भविष्य में इन प्रस्तावों को मानेंगें और खरकड़ी के रैगर बन्धुओं को महासभा की ओर से 200/- रूपये नगद सहायतार्थ भी दिये गए ।
स्थानीय रैगर बन्धुओं के प्रयत्नों से एक विराट पंचायत दिनांक 06-01-1953 को बसवा में हुई जिसमें सर्व श्री चौ. पदम सिंह जी सक्करवाल, चौ. ग्यारसाराम जी चान्दोलिया, श्री कँवरसेन मौर्य, श्री खुशहालचन्द जी मोहनपुरिया ने महासभा की ओर से रैगर जनता को हर सम्भव सहयोग देने का आश्वासन दिया और सुधार कार्य को गति प्रदान करने के लिए सामाजिक संगठन को शक्तिशाली बनाने की प्रेरणा दी और महासभा ने दो बार करके 200/- दो सौ रूपये बसवा पंचायत को सहायतार्थ नकद दिये ।
दिनांक 22-02-1953 को अखिल भारतीय रैगर महासभा की ओर से एक शिष्टमण्डल रायसर, रामगढ़, आम्बरे, अचरोल, सूरतगढ इन पाँचों गाँवों में पंचायतें की गई शिष्टमण्डल में सर्व श्री चौ. पदम सिंह सक्करवाल, चौ. ग्यारसाराम चान्दोलिया, श्री रामस्वरूप जाजोरिया, श्री कंवरसेन मौर्य ने भाग लिया । हर ग्राम में महासम्मेलनों के पारित प्रस्तावों को अमल में लाने के लिए विशेष रूप से जोर दिया गया और बताया गया कि बुरे कार्यों को छोड़ने से ही जाति ऊँची उठती है इसलिए आप अपनी, सन्तानों को शिक्षा दिलाऐं ।
दिनांक 09-04-1953 को अखिल भारतीय रैगर महासभा की ओर से एक शिष्टमण्डल दोनों ग्रामों की पंचायतों में पहुँचा । शिष्टमण्डल में सर्व श्री चौ. ग्यारसाराम चान्दोलिया, श्री रामस्वरूप जाजोरिया, चौ. पदम सिंह सक्करवाल व श्री भेरूराम जी ने भाग लिया । स्थानीय रैगर बन्धुओं को महासम्मेलनों के पारित प्रस्तावों को अमल में लाने के लिए जोर दिया और शिष्टमण्डल को सफलता मिली ।
दिनांक 19-07-1954 को विवाहोपलक्ष में रैगर बन्धुओं के ढोल बजाने पर स्थानीय स्वर्णों ने संगठित रूप से आक्रमण कर दिया जिसमे रैगर बन्धुओं के जन-धन की क्षति हुई । जब महासभा को इस घटनाक्रम की सूचना मिली तो महासभा की और से एक शिष्टमण्डल घटना स्थल के लिए रवाना हुआ जिसमें सर्व श्री कन्हेयालाल रातावाल, श्री कँवरसेन मौर्य घटनास्थल पर पहुँचे । महासभा के स्थानीय सदस्य सर्व श्री सूर्यमल मौर्य, श्री छोगाराम कँवरिया, श्री बिहारी लाल जागृत, श्री दौलत राम सबलानिया एवं श्री सोहनलाल सिवांसिया खरवा पहुँचे । तुरन्त अधिकारियों व पुलिस से मिलकर शान्ति स्थापित करवाई । रैगर बन्धुओं एवं स्वर्णों के मध्य समझौता कर दिया । 100/- एक सौ रूपया सहायतार्थ खरवा रैगर पंचों को इस काण्ड में नकद दिये गये महासभा की ओर से ।
अखिल भारतीय रैगर महासभा के महामंत्री श्री नवल प्रभाकर जाजोरिया, श्री कँवरसेन मौर्य जी श्रीनगर (अजमेर) दौरे पर गये, सजातीय बन्धुओं से मिलकर बड़ी प्रसन्नता हुई कि यहाँ के सजातीय बन्धु महासम्मेलनों में पारित प्रस्तावों को मानकर चल रहे हैं ।
अखिल भारतीय रैगर महासभा का एक शिष्टमण्डल सर्व श्री चौ. ग्यारसाराम जी चान्दोलिया, चौ. तोताराम जी खोरवाल व श्री भोलाराम बन्दरवाल दिनांक 30-04-1955 को छातई ग्राम पंचायत में प्रचारार्थ गये और समाज को संगठित कर अपने अधिकारों की प्राप्ति के लिए तत्पर रहने को प्रेरित किया ।
वाला-सत्ताईसा-नैड़ा कुण्डला में महासभा के सुधार कार्यों में गतिरोध एवं शिथिलता की जांच करने के लिये महासभा ने सर्वश्री रामस्वरूप जी जाजोरिया एवं कँवरसेन मौर्य का एक शिष्टमण्डल भेजा । शिष्टमण्डल ने चारों पट्टियों का भ्रमणकर एक प्रतिवेदन दिया । अत: महासभा ने तत्काल ही ”चेतावनी” नामक विज्ञप्ति प्रकाशित कर सुधार व समाज विरोधी तत्वों का दमन किया ।
अखिल भारतीय रैगर महासभा कार्यकर्ता सम्मेलन जयपुर (27-28 मार्च, 1958) के पश्चात् गाँव बघाना में सजातीय बन्धुओं के मतभेदों को निपटाने के लिए महासभा के आदेश पर क्षत्रीय पंचों ने एक विराट पंचायत 27-28 मई, 1958 को बुलाई जिसमें महासभा की ओर से एक शिष्टमण्डल सर्व श्री चौ. कन्हैयालाल रातावाल, श्री जयचन्द मोहिल, श्री बिहारी लाल जागृत, श्री शम्भुदयाल गाडेगांवलिया, श्री घनश्याम सिंह सेवलिया व दयाराम जलूथरिया का नीमच रेल्वे स्टेशन पर पहुँचा, जिसका स्थानीय रैगर बन्धुओं ने धूम-धाम से स्वागत किया और सामूहिक रूप से जातीय जलूस भी निकाला । महासभा के शिष्टमण्डल के पंचायत में ती दिन तक रहकर सबको संगठित किया और समस्याओं को सुलझाकर निराकरण किया । जिससे स्थानीय सजातीय बन्धुओं को बड़ा हर्ष हुआ ।
अखिल भारतीय रैगर महासभा की ओर से महासम्मेलनों के प्रस्तावों को मानने पर स्वर्णों ने जो सजातीय बन्धुओं को सताने व दावे मुकदमें करने पर अखिल भारतीय रैगर महासभा ने गाँव सेडूसिंह की ढाणी के रैगरों को 200/- दो सौ रूपये का नकद सहायतार्थ दिये और आश्वासन दिया कि महासभा आप से दूर नहीं है ।
अखिल भारतीय रैगर महासभा महासम्मेलनों के पारित प्रस्तावों का उल्लंघन करने व जाति द्रोह के कारण उन पर लगाए गए आरोपों के निवारणार्थ निकटवर्ती ग्रामों के जारे देने पर एक विशाल पंचायत का आयोजन झाड़ली ग्राम में बुलाई गई । जिसमें महासभा का एक शिष्टमण्डल भाग लेने पहुँचा जिसमे सर्व श्री कन्हैयालाल रातावाल, चौ. पदम सिंह सक्करवाल, चौ. ग्यारसा राम जी चान्दोलिया, श्री प्रभुदयाल रातावाल, श्री रामस्वरूप जाजोरिया, श्री खुशहालचन्द्र मोहनपुरिया व श्री लक्ष्मी नारायण दौतानिया और श्री दयाराम जलूथरिया पहुँचे । शिष्टमण्डल ने अपनी नीति से वहाँ के वातावरण को ठीक करके दूरदर्शिता का परिचय दिया और पंचायत सफल बना कर विरोधियों को सही रास्ते पर लाकर कार्य को पूरा किया और शिष्टमण्डल ने सफलता प्राप्त की ।
अखिल भारतीय रैगर महासभा की ओर से ग्राम हस्तेड़ा में दिनांक 22-09-1958 को इस चोखले के तीस गाँवों की एक विशाल पंचायत का आयोजन किया गया । इस महा पंचायत में महासभा की ओर से एक शिष्टमण्डल भेजा गया जिसमें सर्व श्री चौ. कन्हैयालाल रातावाल, चौ. पदमसिंह जी सक्करवाल, चौ. ग्यारसाराम जी चान्दोलिया, श्री कँवरसेन मौर्य, श्री बिहारी लाल जागृत, श्री लाला राम जी जलूथरिया और दयाराम जलूथरिया पहुँचे । चार गाँवों के रैगर बन्धुओं द्वारा महासम्मेलनों में पारित प्रस्तावों के विरूद्ध कार्य करने का आरोप था इस कारण ही निकटवर्ती ग्रामों में फूट और द्वेषता फैल गई थी । आपस में रिशते व सम्बन्धों में बिगाड़ पैदा हो गया था । महासभा के शिष्टमण्डल के पहुँचते ही उन लोगों को बुलवाया और उनकी पंचायत करके भविष्य के लिए ऐसा बुरा कार्य न करने की शपथ दिलवाई । सभी सजातीय बन्धुओं को संगठन बनाकर संगठित होकर कार्य करने के लिए प्रात्साहित किया ।
किशनगढ़ रेनवाल के रैगर बन्धुओं में अपने आपसी मन-मुटाव और वैमन्सय के कारण विगत कई वर्षों से न्यायिक मुकदमों के फलस्वरूप वादी-प्रतिवादी दोनों पक्षों की तन, मन, धन की मान हानि हुई । अब ऐसी अवस्था में निवारणार्थ एक वृहत सत्संग का आयोजन किया । इसमें भाग लेने के लिए दिनाँक 17-03-1958 को महासभा की ओर से एक शिष्टमण्डल सर्व श्री चौ. ग्यारसाराम जी चान्दोलिया, श्री कँवरसेन मौर्य ने विशिष्ट रूप से भाग लिया और शिष्टमण्डल ने दोनों पक्षों के लोगों को सम्बोधित करते हुए इस प्रकार के मुकदमें बाजी और तनाव को रोकने की अपील की सामान्य रूप से सत्संग में सदवृतियों और सुधार कार्यों को अपनाने के लिए जोर दिया गया और दोनों पक्षों ने इसे स्वीकार किया और इस प्रकार महासभा के द्वारा भेजे गये शिष्टमण्डल ने सफलता प्राप्त की ।
1959 ई. में डबलाणा के रैगर बन्धुओं का स्थानीय स्वर्णों ने महासम्मेलनों के पारित प्रस्तावों के अन्तर्गत घृणित कार्यों को छोड़ने के कारण सामाजिक बहिष्कार कर दिया । महासभा को सूचना प्राप्त होते ही एक शिष्टमण्डल सर्व श्री कन्हैयालाल रातावाल, चौ. ग्यारसाराम चान्दोलिया, श्री कँवरसेन मौर्य, श्री प्रभुदयाल रातावाल व श्री दयाराम जलूथरिया घटनास्थल पर पहुँचे ओर वहाँ की स्थिति से अवगत होकर स्थानीय पुलिस अधिकारीयों से मिले और सारी परिस्थितियों से अवगत कराया । वहाँ के अधिकारियों ने उचित हस्तक्षेप से तनाव समाप्त हुआ और अधिकारियों की देख-रेख में एक समस्त ग्राम की एक सम्मलित पंचायत हुई, जिसमें स्वर्णों ने अपनी भूल को माना और भविष्य में ऐसी भूल न करने का आश्वासन दिया और इस प्रकार महासभा के द्वारा भेजे गये शिष्टमण्डल ने सफलता प्राप्त की ।
1963 ई. में स्थानीय पंचों की प्रार्थना पर सजातीय बन्धुओं ने पारस्परिक विवाद में हस्तक्षेप करने और सम्बंधों को अच्छा बनाने के लिए अखिल भारतीय रैगर महासभा की ओर से सर्व श्री चौ. कन्हैयालाल रातावाल, चौ. पदम सिंह शक्करवाल, चौ. ग्यारसारा जी चान्दोलिया और श्री दयाराम जलूथरिया ग्राम खिल्चीपुर गये और विवाद को दोनों पक्षों को भ्रातृ-भावपूर्ण वातावरण बनाने के लिए प्रेरित कर विवाद का अन्त किया ।
अखिल भारतीय रैगर महासभा के सदस्य श्री नारायण आलोरिया द्वारा अधिग्रहीत भूमि के सम्बन्ध में ग्राम कांचरोदा ढाणी के रैगर बन्धुओं के मध्य विवाद चल रहा था । स्थानीय पंचों द्वारा इस मुद्दे को लेकर एक पंचायत बुलाई गई । अखिल भारतीय रैगर महासभा को भी इस पंचायत का बुलावा भेजा गया । महासभ की ओर से सर्व श्री कन्हैयालाल जी रातावाल, चौ. ग्यारसाराम चान्दोलिया, श्री गौतमसिंह सक्करवाल, ने प्रतिनिधित्व किया । पंचों के आग्रह पर श्री नारायण जी फुलेरा ने विवादस्पद भूमि का एक भाग सार्वजनिक कार्य के लिए दिया । जिससे जातीय विवाद का अन्त हो गया और दोनों पक्षों में शान्ति हो गई ।
(साभार- अखिल भारतीय रैगर महासभा संक्षिप्त कार्य विवरण पत्रिका : 1945-1964)
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