रैगर समाज की गंगा माता जी में अटूट आस्था है । रैगर समाज को जात गंगा के नाम से भी पुकारा जाता है । इतिहास में गंगा माता को रैगर समाज की कुल देवी भी बताया गया है । जहां जहां रैगर समाज की बस्ती होती है वहां पर गंगा माता का मन्दिर अवश्य होता है ।
दिल्ली में जब रैगर पुरा की स्थापना सन् 1910 में हुई थी तभी कुछ समय पश्चयात् ही यह मन्दिर बनवाया गया था । उस समय यह एक मंजिला था इसका पुर्ननिर्माण सन् 1950 में हुआ जिसके अन्तर्गत मन्दिर के अतिरिक्त इसमें एक सभाभवन भी बनाया गया जिसमें समय – समय पर रैगर समाज की पंचायतें, सभायें, गोष्ठियाँ एवं विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहता है । मन्दिर में जन्माष्टमी, शिवरात्री, नवरात्री पर विशेष कार्यक्रमों का अयोजन किया जाता है । श्री गंगा मंदिर में जुलाई 1979 में पुर्ननिर्माण के अंतर्गत मरम्मत एवं साजसज्जा के साथ-साथ शौचालय, स्नानागृह एवं पानी की टंकी तथा पानी की मोटर-पम्प आदि लगवा कर विशेष सुविधाओं की वयवस्था की गई । अखिल भारतीय रैगर महासभा का पंजीकृत कार्यालय श्री गंगा माता का मन्दिर ही है ।
श्री गंगा माता मन्दिर का प्रबंधन सन् 1993 में दिल्ली प्रान्तीय रैगर प्रबंधक कमेटी (पंजी.) से लिख पड़ी कर श्री गंगा मन्दिर जिणौद्धार संचालन समिति को सौंप दिया गया । इस समिति तत्कालिन कार्यकारिणी में श्री प्रकाश रातावाल (प्रधान), सतिश माधपुरिया (उप प्रधान), श्री हेमन्त शैरसिया (महामंत्री), श्री फुलचन्द्र तौणगरिया (कोषाध्यक्ष), श्री देवा राम अटल (प्रचार मंत्री) थे । इस समिति ने सन् 1994 में पूरे मन्दिर को तोड़कर पुर्ननिर्माण हेतु 1994 की बसंत पंचमी शिलान्यास करवाया । 8 वर्षों तक मन्दिर का निर्माण कार्य चला । जिसमें रैगर समाज व अन्य समाज के लोगों ने तन-मन-धन से अपना सहयोग प्रदान किया । मन्दिर में बारिक मार्बल की कारिगरी श्री रमेश मिस्त्री के द्वारा की गई जोकि देखने में बहुत की सुन्दर लगती है । सन् 2003 में मन्दिर का निर्माण कार्यपूर्ण हुआ ।
निर्माण कार्य पूर्ण होने पर मन्दिर की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा का समारोह का आयोजन सोमवार 9 जून 2003 को रखा गया । इसी दिन प्रात: 7 बजे भव्य शोभायात्रा का शुभारम्भ गंगा मन्दिर हाथी वाला चौक से हुआ । इस शुभ अवसर प्रात: 10:30 बजे प्रज्ञापीठाधीश्वर स्वामी प्रज्ञानन्द जी महाराज व कालिका पीठाधीश्वर महंत सुरेन्द्रनाथ अवधूत के सानिध्य में भव्य समारोह के आयोजन के साथ मन्दिर की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा हुई । इसके बाद प्रात: 11:00 बजे से 12:00 बजे तक प्रवचन हुए और फिर 12:30 बजे से भव्य भण्डारा का आयोजन किया गया ।
मन्दिर में गंगा माता की मूर्ति के साथ साथ श्री बाबा रामदेव जी, शंकर पार्वती जी, हनुमान जी, राधा – कृष्ण जी व शिव लिंग की प्राण प्रतिष्ठा के साथ स्थापना की गई । मूर्तियां राजस्थान के अलवर जिले से बनवाकर लाई गई । सन् 2005 में दान-दाताओं व निर्माण समिति के सदस्यों के नाम शिला पर लिखवाकर मन्दिर परिसर में लगवाये गये ।
गंगा माता मन्दिर 30 X 30 वर्ग फिट में फेला हुआ है । मन्दिर के भूतल पर दुकानें है । प्रथम मंजिल पर गंगा माता का मन्दिर है । द्वितीय मंजिल पर 400 लोगों के बेठने लायक एक सभा ग्रह है जहां पर 100 कुर्सियों की भी व्यवस्था मन्दिर की ओर से है । तृतीय मंजिल पर मन्दिर के पुजारी के रहने के लिए दो कमरे बने हुए है । साथ ही 21 फिट ऊंचा मन्दिर का भव्य शिखर बना हुआ है ।
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