रामदेवरा में स्थित रामदेवजी के वर्तमान मंदिर का निर्माण सन् 1939 में बीकानेर के महाराजा श्री गंगासिंह जी ने करवाया था । इस पर उस समय 57 हजार रुपये की लागत आई थी । इस विशाल मंदिर की ऐतिहासिकता, पवित्रता और भव्यता देखते ही बनती है । देश में ऐसे अनूठे मंदिर कम ही हैं जो हिन्दू मुसलमान दोनों की आस्था के केन्द्र बिन्दु हैं । बाबा रामदेव का मंदिर इस दृष्टि से भी अनुपम है कि वहां बाबा रामदेव की मूर्ति भी है और मजार भी । यह मंदिर इस नजरिये से भी हजारों श्रद्धालुओं को आकृष्ट करता है कि बाबा के पवित्रा राम सरोवर में स्नान से अनेक चर्मरोगों से मुक्ति मिलती है । इन्हीं रामसा पीर का वर्णन लोकगीतों में ‘‘आँध्यां ने आख्यां देवे म्हारा रामसापीर’’ कह कर किया जाता है । श्रद्धालु केवल आसपास के इलाकों से ही नहीं आते वरन् गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से भी हजारों की संख्या में आते हैं ।
यहाँ पर भादवा शुक्ला द्वितीया से भादवा शुक्ला एकादशी तक भरने वाले इस मेले में सुदूर प्रदेशों के व्यापारी आकर हाट व दूकानें लगाते हैं । पैदल यात्रियों के जत्थे हफ्तों पहले से बाबा की जय-जयकार करते हुए अथक परिश्रम और प्रयास से रूंणीचे पहुंचते हैं । लोकगीतों की गुंजन और भजन कीर्तनों की झनकार के साथ ऊँट लढ्ढे, बैलगाडयां और आधुनिक वाहन यात्रियों को लाखों की संख्या में बाबा के दरबार तक पहुंचाते हैं । यहां कोई छोटा होता है न कोई बडा, सभी लोग आस्था, भक्ति और विश्वास से भरे, रामदेव जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करने पहुंचते हैं । यहां मंदिर में नारियल, पूजन सामग्री और प्रसाद की भेंट चढाई जाती है । मंदिर के बाहर और धर्मशालाओं में सैकडों यात्रियों के खाने-पीने का इंतजाम होता है । प्रशासन इस अवसर पर दूध व अन्य खाद्य सामग्री की व्यवस्था करता है । विभिन्न कार्यालय अपनी प्रदर्शनियां लगाते हैं । प्रचार साहित्य वितरित करते हैं और अनेक उपायों से मेलार्थियों को आकृष्ट करते हैं । मनोरंजन के अनेक साधन यहां उपलब्ध रहते हैं । श्रद्धासुमन अर्पित करने के साथ-साथ मेलार्थी अपना मनोरंजन भी करते हैं और आवश्यक वस्तुओं की खरीददारी भी । निसंतान दम्पत्ति कामना से अनेक अनुष्ठान करते हैं तो मनौती पूरी होने वाले बच्चों का झडूला उतारते हैं और सवामणी करते हैं । रोगी रोगमुक्त होने की आशा करते हैं तो दुखी आत्माएं सुख प्राप्ति की कामना और यू एक लोक देवता में आस्था और विश्वास प्रकट करता हुआ यह मेला एकादशी को सम्पन्न हो जाता है ।
रामदेवरा किसी समय जोधपुर राज्य का गांव था जो जागीर में मंदिर को दे दिया गया था । इस गांव के ऐतिहासिक व प्रामाणिक तथ्य केवल यही तक ज्ञात हैं कि इसकी स्थापना रामदेवजी की जन्म तिथि और समाधि दिवस के मध्य काल में हुई होगी । वर्ष 1941 से यह फलौदी तहसील का अंग बनगया और बाद में जैसलमेर जिले की पोकरण तहसील बन जाने पर उसमें शामिल कर दिया गया ।
समय सारिणी : |
पट्ट खुलने का समय पट्ट बंद होने का समय गर्मी में (SUMMER) सुबह 4:00 बजे रात्रि 9:00 बजे सर्दी में (WINTER) सुबह 5:00 बजे रात्रि 9:00 बजे |
आरती का समय : |
आरतियाँ गर्मी में (SUMMER) सर्दी में (WINTER) मंगला आरती (अभिषेक) सुबह 4:30 बजे सुबह 5:00 बजे भोग आरती सुबह 8:00 बजे सुबह 8:00 बजे श्रृंगार आरती शाम 3:45 बजे शाम 3:45 बजे संध्या आरती शाम 7:00 बजे शाम 6:00 बजे शयन आरती रात्रि 9:00 बजे रात्रि 9:00 बजे |
आवश्यक सामग्री |
1 . अभिषेक – सुबह 4 बजे दूध, दही, शहद, शक्कर एवं घी 2 . भोग – सुबह 8 बजे काजू, बादाम, किशमिश, मिश्री, पेडे इत्यादि 3 . श्रृंगार – हींगलू, चन्दन, इत्र, वर्क, पुष्पमाला, मखमली चादर |
“जय बाबा रामदेव जी री”
157/1, Mayur Colony,
Sanjeet Naka, Mandsaur
Madhya Pradesh 458001
+91-999-333-8909
[email protected]
Mon – Sun
9:00A.M. – 9:00P.M.