मालपुरा के सजातिय बन्धुओं पर महासम्मेलनों के प्रस्तावों पर अमल करने के कारण स्वर्णों ने अनेक अत्याचार किये। जब अखिल भारतीय रैगर महासभा को इस घटना क्रम की जानकारी मिली तो महासभा ने सजातीय बन्धुओं की इस विकट स्थिति को सँभालने के लिए दिनांक 11 मई, 1948 को सर्व श्री राममस्वरूप जी जाजोरिया, श्री कंवरसेन मौर्य, श्री प्रभुदयाल रातावाल, श्री यशपतराय गिरधर और श्री मूलचन्द रातावाल को शिष्टमण्डल के रूप में मालपुरा भेजा। शिष्टमण्डल को आशातीत सफलता मिली और एक विज्ञप्ती प्रकाशित की।
(साभार – रैगर कौन और क्या ?)
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