क्र. विषय सूची
1. रैगर जाति का उद्भव
(क) शूद्र कौन
(ख) रैगर कौन
2. बीसवीं शताब्दी के पूर्वाद्ध में रैगर जाति
3. ”लक्ष्य का उद्भव”
4. दौसा महासम्मेलन की परिस्थितियां एवं प्रभाव
5. ”जयपुर” महासम्मेलन एवं उसके प्रभाव
6. रैगर जाति का विकास
7. ”पुष्कर” महासम्मेलन की पृष्ठभूमि
8. कुछ कथनीय
कुल पृष्ठ 128
लेखक- श्री चिरंजी लाल बोकोलिया एवं स्व. श्री राजेन्द्र प्रसाद गाडेगांवलिया)
श्री चिरंजीलाल बोकोलिया : एक परिचय
प्रतिभा किसी परिचय की मौहताज नहीं होती है आदर्श प्रतीभा अपने जीवन की हर सांस से सारे जहां को महका देती है । श्री चिरंजीलाल बोकोलिया का जन्म 15 फरवरी 1940 को करोल बाग दिल्ली निवासी श्री पन्नालाल बोकोलिया के घर हुआ। इनकी माता प्रसिद्ध समाज सेवी श्री कंवर सैन मौर्य की बड़ी बहन थी । आपने 1958 में हायर सैकण्डरी परीक्षा पास की । इसी वर्ष आपका विवाह डीग भरतपुर चौधरी कन्हैयालाल की पौत्री व श्री प्रसादीलाल कांसोटिया की सुपुत्री सावित्री के साथ हुआ । 1958 में आप दिल्ली कार्पोरेशन व अगले वर्ष भारत सरकार के वाणिज्य मन्त्रालय में नौकरी प्रारभ की । नौकरी करते हुए आपने 1959 में पंजाब विश्वविद्यालय से प्रभाकर व 1962 में दिल्ली विश्वविद्यालय में स्नतक परीक्षा पास की । 1964 में रैगर समाज के पहले अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तत परीक्षा पास की व उस वर्ष संघ लोक सेवा आयोग द्वारा इनका सहायक पद पर चयन हुआ । 1967 में इन्होंने इतिहास में द्वितीय स्नातकोत्तर परीक्षा पास की व इसी वर्ष इनका आई.ए.एस. परीक्षा में चयन हुआ तथा इनको आयकर विभाग आंवटित हुआ । आयकर विभाग में विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए 1996 में इनका चयन भारत सरकार के न्याय व विघि मंत्रालय में आयकर न्यायिक अभिकरण में सदस्य के रुप में हुआ जहां से फरवरी 2002 में सेवा निवृत हुए । आप भारत सरकार के उच्च पदो रह कर व वर्तमान में दिल्ली प्रांतीय रैगर मंदिर प्रबंध समिति के प्रधान पद पर रैगर समाज का गौरव बढ़ाया ।
आपका सामाजिक क्षेत्र में सहरानीय योगदान रहा है 1963 में स्थापित ‘‘रैगर शिक्षित समाज’’ दिल्ली के संस्थापक सदस्य व उसें पहले निर्वाचित प्रधान रहे । 1964 में इन्होने सह लेखक के रुप में ‘‘रैगर कोन और क्या’’ नाम पुस्तक लिखी । 1983 में ‘‘हरीद्वार धर्मशाला’’ की स्थापना प्रधान व मुख्य संचालक की भूमिका निभाई । इसी प्रकार 1984 में ‘‘अखिल भारतीय रैगर महासभा’’ के जयपुर अधिवेशन जिसे भारत की प्रधानमंत्री स्व. श्रीमती इन्दिरा ने सम्बोधित किया व 1986 में विज्ञान भवन में आयोजीत ‘‘रैगर अलंकरण समारोह’’ जिसमें मुख्य अतिथि भारत के राष्ट्रपति स्व. श्री ज्ञानी जैलसिंह थे में एक मुख्य पदाधिकारी के रुप में योगदान दिया । 1998 में ‘‘रैगर विकास संस्था राजस्थान’’ जयपुर की स्थापना की । जिसके यह आजीवन संरक्षक है तथा जिसके तत्वाधान में रैगर जाति में सामुहिक विवाह प्रथा हुई । सामुहिक विवाह पद्धति की सफलता इसी से साबित होती है कि 5 जुलाई 1998 में शुरु हुई प्रयास अब राजस्थान के विभिन्न अचंलो में फैल चुका है दिल्ली में भी इस प्रकार के कई आयोजन हो चुके है ।
आपकी सामाजिक क्षेत्र में लोकप्रियता व कार्यक्षमता को देखते हुए जून 2003 में ‘‘श्री त्रिवेण गंगा मंदिर रैगर धर्मशाला’’ साईवाड़ सीकर राजस्थान का प्रधान चुना गया । 2005 में आप दिल्ली प्र्रांतीय रैगर मन्दिर प्रबन्ध कमेटी के प्रधान चुने गये । अखिल भारतीय रैगर महासभा के अर्न्तगत बनने वाले रैगर छात्रावास जयपुर में भी इनका समर्थन व सहयोग सराहनीय है । आज भी श्री बाकोलिया समाज के उन कतिपय लोगों में से एक है, जिन्होने समाज उत्थान व उन्नती के लिए हर क्षैत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया । उसी का फल कि ‘‘ श्री गुरु रविदास समारोह’’ ठक्कर बापा कॉनोनी चेम्बूर मुम्बई में 1 मार्च 2002 को हुए समारोह के मुख्य अतिथि व अखिल भारतीय रैगर महासभा की बीकानेर इकाई के ‘‘प्रतिभा सम्मान समारोह’’ 31 अगस्त 2003 के अध्यक्ष बनाए गये । इसी तरह समाज के विभिन्न कार्यक्रमों अपना योगदान देकर रैगर समाज का गौरव बढ़ाया । आपके महकते परिवार में तीन पुत्र है जिसमें राजीव सबसे बड़े स्पाइस जेट एयरवेज में मैनेजर के पद पर कार्यरत है । दूसरे पंकज गुड़गांव में प्रोपर्टी डीलर का कार्य कर रहे है सबसे छोटा विशाल आस्ट्रेलिया की नागरिकता ग्रहण कर वहीं के हो गये है ।
(साभार- गोविन्द जाटोलिया : सम्पादक ‘रैगर ज्योति’)
रैगर कौन और क्या? के सह लेखक स्व. श्री राजेन्द्र प्रसाद गाडेगांवलिया का जीवन परिचय बहुत प्रयास करने के बावजुद भी हमें उपलब्ध नहीं हो पाया है इसलिए हम क्षमा प्रार्थी है।
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