बलेसर के स्थानीय रैगर बंधुओं ने दौसा – जयपुर महासम्मेलनों में पारित प्रस्तवों के अनुसार कार्य करना प्रारम्भ किया तो इसके फलस्वरूप स्थानीय स्वर्णों ने रैगर बन्धुओं पर अत्याचार किए। जब इसकी सूचना महासभा को मिली तो महासभा ने दिनांक 2 जूलाई, 1948 को बलेसर ग्राम में रैगर बंधुओं पर हुए अत्याचारों के निवारणार्थ महासभा की तरफ से चौ. कन्हैयालाल रातवाल के साथ में एक शिष्टमण्डल घटनास्थल पर पहुँचा। स्थानीय पीड़ित रैगर बंधुओं को स्वर्णों के अत्याचारों से रक्षा हेतु कानूनी सहायता दिलवाने के लिए वकील किये गए और इस प्रकार यहाँ पर रैगर बन्धुओं को अत्याचारों से मुक्त कराया गया।
(साभार – रैगर कौन और क्या ?)
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