समाज की पुस्तकें

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पुस्तकों का अपना एक संसार होता है। पुस्तकें मानव जीवन की सबसे बड़ी मित्र होती है। ज्ञान गंगा में गोते लगाना अपने आप में एक अनूठा अनुभव होता है। पुस्तकें जीवन रुपी समुद्र में स्थित प्रकाश स्तम्भ की भांति होती हैं जो किसी भी जलपोत को भटकने नहीं देती। पुस्तकों का एक भिन्न संसार है जो एक ऐसे उपवन के सामान है। जहाँ भांति-भांति के पुष्प अपनी-अपनी महक से वातावरण को सुरभित करते हैं। आज के युवा वर्ग के लिए और समाज के लिए एक आदर्श ग्रन्थ है पुस्‍तक क्‍योंकि बिना ज्ञान के जीवन में कुछ नहीं मिलता और अपार ज्ञान हमें पुस्‍तकों से ही मिलता है। पुस्‍तकें हमारी सबसे अच्‍छी साथी व दोस्‍त होती है ओर अगर वो पुस्‍तक समाज की हो तो क्‍या चाहिए ! अपने समाज के बारे में कौन नहीं जानना चाहता हर व्‍यक्ति चाहता है कि उसने जिस समाज में जन्‍म लिया है उस समाज का अपना इतिहास क्‍या है। समाज के विकास के लिए किन-किन व्‍यक्तियों ने अपना महत्‍वपूर्ण योगदान दिया है। समाज के प्रतिष्‍ठा के प्रतिक क्‍या-क्‍या है। समाज में क्‍या-क्‍या और कहां-कहां पर है और ये सब आपकों केवल पुस्‍तकों से ही मिल सक‍ता है आज हमारे रैगर समाज की भी दर्जनों पुस्‍तकें है। समाज के बुद्धिजीवी व्‍यक्तियों ने समाज से सम्‍बंधीत पुस्‍तकें लिखी है जिनमें समाज के इतिहास, संस्‍कृति, उत्‍पत्ति, वंशावली, गौत्र, संत-महात्‍मा, रीति-रिवाज, मान्‍यताऐ, मंगणियार, ऐतिहासिक कार्य, ऐतिहासिक तथ्‍य, धार्मिक एवं सांस्‍कृतिक संस्‍थान, सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक स्थिति, व्‍यवसाय, संस्‍थाए, सभाए एवं विभुतियों का परिचय हम से कराते हुए सजीव चित्रण प्रस्‍तुत किया है एवम् समाज को अमूल्‍य उपहार दिया है किसी पुस्‍तक को लिखना अर्थात् किसी बड़ी जंग को जितना होने के बराबर होता है इसलिए हम उन सभी बुद्धिजीवी व्‍यक्तियों का आभार प्रकट करते जिन्‍होंने अपना अमूल्‍य समय निकाल कर हमें समाज के बारे में जानकारियां प्रदान की है। हमने भी समाज की इस वेबसाईट के निर्माण में इन पुस्‍तकों के द्वारा ही जानकारियों को एकत्रित कर आपके सामने प्रस्‍तुत किया है वे इस प्रकार है – श्री चिरंजी लाल बोकोलिया एवं स्‍व. श्री राजेन्‍द्र प्रसाद गाडेगांवलिया कृत ‘रैगर कौन और क्‍या ?’, श्री चन्‍दनमल नवल कृत ‘रैगर जाति का इतिहास एवं संस्‍कृति’, स्‍व. श्री रूपचन्‍द जलुथरिया कृत ‘रैगर जाति का इतिहास’ एवं श्री सी.एम. चान्‍दौलिया कृत ‘रैगर गरिमा’ हम इन पुस्‍तकों के लिखने में जिन लेखकों का योगदान रहा है हम उनके शुक्रगुजार है और आभारी है। और इनके बारे में भी जाति बन्‍धुओं को जानकारी होना अत्‍यंत आवश्‍यक है। हम अपनी तथा अन्‍य महानुभावों द्वारा इी गई जानकारी के आधार पर यहाँ समाज की इन पुस्‍तकों के प्रथम प्रष्‍ठ एंव लेखक का विवरण आपके सामने प्रस्‍तुत कर रहे है –

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