About Us

समर्पण

निर्भिक, स्‍पष्‍टवादी तथा सामाजिक चेतना के प्रणेता परम श्रद्धेय स्‍वामी श्री ज्ञानस्‍वरूप जी महाराज जो जीवन भर रैगर समाज को जगाते रहे और नश्‍वर शरीर त्‍यागने के बाद भी उनकी प्रेरणा इस समाज को हमेशा जगाती रहेगी, ऐसे महापुरूष के चरण कमलों में यह रैगर समाज की वेबसाईट सादर समर्पित है

स्‍मृति में

रैगर समाज में चेतना जागृत करने वाले अग्रदूत परम श्रद्धेय स्‍वामी श्री आत्‍माराम जी ‘लक्ष्‍य’ एवम् अन्‍य समाज सुधारक महानुभावों की स्‍मृति में यह वेबसाईट सादर समर्पित है


हमारे प्रणेता

इस वेबसाईट के प्रणेता मेरे फुफा जी स्‍व. श्री लक्ष्‍मीदेव जी जेलिया है


यंषा न विद्या न तपो न दानं, ज्ञानं न शीलं न गुणों न धर्म:।
ते मृत्‍युलोके भुवि भार भूता, मनुष्‍य रूपेण मृगश्‍चरन्ति।।


दो शब्‍द : संचालक की ओर से

रैगर समाज की इस वेबसाईट मे आपका स्‍वागत् है । इस वेबसाईट को आपके सामने प्रस्‍तुत करते हुए मुझे अत्‍यंत हर्ष की अनुभूति हो रही है । अपने विशाल समाज की स्थिति को देखते हुए कई दिनों से मन में एक ललक थी कि इस समाज को ऐसा मंच प्रदान किया जाए, जिसके माध्‍यम से रैगर जाति के विषय में सम्‍पूर्ण विश्‍वसनीय जानकारियां एक ही स्‍थान पर उपलब्‍ध हो सके, जिससे रैगर बंधु हमारे इस विशाल समाज को ओर अधिक निकटता से जान-पहचान सके । इन आधारभूत सामग्रीयों के साथ-साथ रैगर जाति के धर्म, उसके इतिहास, परम्‍पराएँ, आन्‍दोलनरतता, संगठन क्षमता, ज्‍वलन्‍त समस्‍याएँ, उद्यमिता एवं एवं परिश्रमशीलता, इस जाति के महापुरुष, राष्‍ट्र निर्माण में योगदान करने वाली विभूतियाँ, क्रांतिकारी एवं स्‍वतंत्रता सेनानी एवं उन्‍मुखता की भावना से ओत-प्रोत अपने अर्जित ज्ञान और अनुभव को आप जैसे सुधी पाठकों के समक्ष प्रस्‍तुत करने का प्रयास किया गया है।

वेबसाईट में सम्‍पूर्ण जानकारियां हिन्दी भाषा में उपलब्‍ध कराई जा रही है ताकि समाज के हर व्यक्ति के लिये पढ़ने एवं समझने में सहज हो सकें। इस वेबसाईट मे जो भी समाज के बारे मे जानकारियां दी जा रही है वो समाज के प्रतिष्ठित बुद्धिजीवी व्‍यक्तियों द्वारा लिखी गई समाज की पुरानी व नई किताबों के माध्‍यम से प्राप्त की गई है। इस वेबसाईट को बनाते समय जाति के अंतर्गत आने वाली सम्‍पूर्ण जानकारियों को पूरी निरपेक्षता से प्रदर्शित की गई है, फिर भी भूलवश कोई ऐसा प्रसंग आ गया हो, जिससे किसी की भावना को ठेस लगी हो, तो उसके लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूँ। सुधी पाठको से एक और निवेदन है कि कहीं कोई असंगति नजर आए या भावार्थ स्‍पष्‍ट न हो अथवा कोई सुझाव व जानकारी देना चाहें, तो उसे अवश्‍य ध्‍यान में लाएँ, जिससे उसे सुधार कर दुरूस्‍त किया जा सके। आप हमें अपने विचार व मार्गदर्शन प्रदान करे। ताकि हम समाज के इस आधुनिक महायज्ञ को सफल बना सकें। इस वेबसाईट से सम्‍बंधि‍त सुझाव आप हमे Feedback Option के द्वारा हमे भेज सकते है। वेबसाईट के बारे मे अपने परिचितों को अवश्य बताये ताकि समाज के बारे मे जारकारी अधिक से अधिक रैगर बंधुओं तक पहुच सकें।

यह कार्य एक छोटी-सी रूप रेखा बनाकर मैंने प्रारम्‍भ किया था जो बाद में बढ़ता ही चला गया। अगर इस वेबसाईट को बनाने से पहले ही मेरे मस्तिष्‍क में यह कल्‍पना उठ जाती की यह कार्य इतना बड़ा और कठिन हो जायेगा, तो शायद मैं इस कार्य को करने की हिम्‍मत ही नहीं कर पाता। इस कार्य को करने में मुझे कल्‍पना से भी ज्‍यादा सहयोग मिलता रहा और मेरी हिम्‍मत बढ़ती गई। रैगर जाति के विषय में जानकारी रखने वाले महानुभावों से मैने फोन के माध्‍यम से सम्‍पर्क किया और रौचक बात यह है कि इस कार्य के लिए मै किसी व्‍यक्ति से व्‍यक्तिगत रूप से नहीं मिला मुझे पुरा सहयोग फोन के माध्‍यम से ही मिल गया। सभी ने मुझे डाक के माध्‍यम से सम्‍पूर्ण पुस्‍तके मेरे घर पर ही उपलब्‍ध करवा दी।

मैं उन लेखकों का आभारी हूँ, जिनकी पुस्‍तकों से संदर्भ सामग्री इस वेबसाईट में प्रयुक्‍त की गई है विषय की प्रमाणिकता और प्रभावोत्‍पादकता की दृष्टि से जिन विद्वानों के लेखों को सम्‍पादित रूप में समाविष्‍ट किया गया है उनके प्रति विशेष कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ ओर आशा करता हूँ कि उनका आशिर्वाद हमेशा मुझ पर बना रहेगा। मैं इसके लिए स्‍व. श्री लक्ष्‍मीदेव जैलिया (मल्‍हारगढ़), श्री के.एल. कमल (जयपुर), श्री चिरंजी लाल बोकोलिया (नई दिल्‍ली), श्री भागीरथ जी धोलखेड़िया (नई दिल्‍ली), श्री चन्‍दनमल नवल (जौधपुर), श्री सी.एम. चान्‍दोलिया (जयपुर), श्रीमति अंजू कुरड़िया (जयपुर), श्री कुशाल जी रैगर (पाली), श्री श्रीनारायण देवतवाल (अहमदाबाद), श्री गणेश चन्‍द आर्य (मन्‍दसौर), श्री अम्‍बालाल शेरसिया (निम्‍बाहेड़ा), श्री गोविन्‍द जाटोलिया (बाड़मेर), श्री जगदीश सोनवाल (जयपुर), श्री मुकेश गाडेगांवलिया (जयपुर), श्री उमेश पिपलीवाल (जयपुर), श्री यादराम कनवाड़िया (दिल्‍ली), श्री आसूलाल जी कुर्ड़िया (ब्‍यावर), पी.एम. जलुथरिया (पूर्व न्‍यायाधीश – जयपुर), महंत श्री सुआलाल तंवर (ब्‍यावर), श्री अरविन्द फुलवारी S/o भंवर लाल फुलवारी (बदनोर, जिला- भीलवाड़ा), पी.एन. रछोया (जयपुर) एवं और भी वे महानुभाव जिनका मुझे प्रत्‍यक्ष एवम् अप्रत्‍यक्ष रूप से इस वेबसाईट के निर्माण में सहयोग मिला है मैं सभी सहयोगियों का आभारी हूँ व सभी को धन्‍यवाद देना चाहता हूँ जिनके प्रत्‍यक्ष, अप्रत्‍यक्ष सहयोग के कारण यह कार्य सकुशल सम्‍पन्‍न हो पाया।

मेरे परिवार में दादाजी स्‍व. श्री बगदीराम हंजावलिया, दादीजी श्रीमति हरंगारी बाई, पिताजी श्री किशन लाल जी, माताजी श्रीमति गंगा देवी, मेरी जीवन संगिनी नर्मदा देवी के सहयोग के बिना यह अनुष्‍ठान कभी पूर्ण नहीं हो सकता था, मैं इन सबका ऋणी हूँ ।

इस वेबसाईट के निर्माण में तकनीकि सहायता और निर्माण कार्य में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए जुगल किशोर मोसलपुरिया (जोधपुर), नरेंद्र पिपलीवाल (इंदौर) विशेष धन्‍यवाद प्रस्‍तुत करता हुँ। क्‍योंकि इस वेबसाईट को आप तक पहुँचाने में इनका प्रचुर योगदान रहा है।

रैगर जाति का इतिहास, संस्‍कृति, परम्‍पराए, रीति-रिवाज़ आदि सभी गौरवशाली रहे हैं। इसलिए इस वेबसाईट को बनाने में मैने यह दृष्टिकोण अवश्‍य अपनाया है कि रैगर जाति का इतिहास गौरवशाली बनें, ओर इससे मार्ग दर्शन लेकर यह जाति सर्वोच्‍च शिखर पर पहुँचे। प्राय: यह देखने में आता है कि रैगर जाति के अधिकांश लोग अपनी जाति को छिपाकर रहते हैं और रखते हैं और अगर कहीं जाति बताने का प्रश्‍न आता है तो जाति को बताने में बहुत ही दुविधा महसूस करते है और अगर बताते भी है तो, वो भी हिचकिचाहट के साथ आधी-अधुरी ही बातते है ओर वो भी टालमटोल के साथ। तब दूसरे लोग इसे आपकी कमजोरी ही समझते हैं। यह प्रवृति शिक्षित और धनी लोगों में अधिक पाई जाती है, जबकि हमारी रैगर जाति का इतिहास, संस्‍कृति, तर्कशीलता, बुद्धिमतता, तर्कशीलता, ईमानदारी व कर्मठता की दृष्टि से अन्‍य जातियों की तुलना में किसी भी रूप से कम नहीं है, फिर जाति को स्‍पष्‍ट रूप से बताने में लज्‍जा किस बात की, गर्व क्‍यों नहीं? मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्‍वास है कि इस वेबसाईट के अध्‍ययन करने के बाद अपनी इस हीन भावना का परित्‍याग कर देंगे ओर स्‍वयं को रैगर बताने में गौरव का ही अनुभव करेंगे और हमारी जाति की बेहतरी के लिए अग्रसर होकर कार्य करेंगे।

मैं रैगर समाज के सभी युवा साथियों से क्रांतिकारी अपील करना चाहता हूँ कि वो समाज के सर्वांगीण विकास के लिए आगे आये व समाज को संगठित कर, समाज के नये युग का सूत्रपात करें जिससे अपने समाज का भविष्‍य उज्‍जवल बन सके व आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक रूप से परिपक्‍व व आत्‍मनिर्भर बन सके।

यह कार्य मैंने पूर्ण ईमानदारी के साथ किया है। वेबसाईट में उपलब्‍ध सभी जानकारियां मेरे द्वारा स्‍वयं हिन्‍दी में टाईप की गई है। यद्यपि वेबसाईट में हर तथ्‍य को पूर्ण तया सही टाईप करने का पूरा प्रयास किया गया है तथापि किसी भी प्रकार की मानवीय त्रुटि के लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूँ। इस वेबसाईट के निर्माण का सम्‍पूर्ण खर्च मेरें द्वारा ही वहन किया गया है।

जाति के प्रति निष्‍ठा का भाव पेदा करना ही मेरा प्रमुख लक्ष्‍य है। समाज का इतिहास सदैव गौरवशाली रहा है आइये, हम कदम से कदम मिलाकर अपने समाज को इक्‍कीसवीं सदी में अधिक उन्‍नतशाली, सुदृढ़, प्रेरणामयी एवं गौरवशाली महान समाज निर्मित करने के लिए एक नव विश्‍वास के साथ अपना सामाजिक योगदान प्रदान करें ताकि हमारा समाज हमेशा अग्रणी रहे।

धन्‍यवाद् …..!

हमारी रैगर समाज की इस वेबसाईट का शुभारम्‍भ प्रसिद्ध समाजसेवी सेठ श्री भवंरलाल नवल के कर कमलों से 27/01/2012 को दौसा (राज.) से किया गया। इस वेबसाईट के शुभारम्‍भ के लिए मैं श्री नवल जी का हृदय के अन्‍त: स्‍थल से कृतज्ञ हूँ।

Raigar Samaj Matrimonial Website

रैगर समाज की इस वेबसाईट को प्रारम्‍भ करने के बाद हमे बहुत सारे रैगर बंधुओं ने अपने Feedback/Phone के माध्‍यम से Matrimonial Website को प्रारम्‍भ करने का आग्रह किया की इसके माध्‍यम से अविवाहित युवक/युवतियों को के विवाह सम्‍बंध स्‍थापित करने में बहुत मदद मिलेगी। इस गम्‍भीर और महत्‍वपूर्ण विषय को ध्‍यान में रखते हुए मेनें अपनी शादी की आठवीं सालगीरह के मोकें पर दिनांक 21/05/2013 को इस सुविधा को भी अपनी रैगर समाज की वेबसाईट पर प्रारम्‍भ कर दिया । इस रैगर वैवाहिकी वेबसाईट का सम्‍पूर्ण खर्च अमेरिका निवासी श्री रामप्रसाद जी निन्‍दरिया (मूल निवासी ग्राम पिपलाज, केकड़ी) द्वारा वहन किया गया जिसके लिए समाज हमेशा आपका आभारी रहेगा। इस वेबसाईट के द्वारा आप अपने मन-पसंद जीवन साथी की खोज कर सकते है। और यह सर्विस बिल्कुल मुफ्त है। www.raigarsamaj.com पर अपना बायोडाटा आज ही रजिस्टर करें और टेक्नोलॉजी की मदद से अपना प्रोफाइल इछुक उमीदवारों तक पहुचाए। आपको मन-पसंद वर/वधु की प्राप्ती हो, इसी कामना के साथ ” एक सुखद विवाहित जीवन कि शुभकामनाएँ “।


संकलित किये फूल चुन-चुन कर, ”आत्‍माराम लक्ष्‍य” के सपूतों से ।
माला बनाई है फूल पिरोकर, बेवसाईट रूपी धागे से ।।
जिसको पहनेंगे रैगर सपूत, वट वृक्ष से फेले भारत में ।
जिसकी निकली है मजबूत जड़े, राजस्‍थान की माटी से ।।
आओ हम सब मिल कर बनाये, दीपक माटी का ।
उजाला होगा संजोने पर, अंधकार मिटेगा जाति का ।।
याद दिलायेंगे गौरव, जाति के सपूत ।
इतिहास को आगे बढ़ायेंगे, रैगर राजपूत ।।
समर्पित है रैगर गौरव गाथा वेबसाईट रूप में ।
संजोए रखना इसको आधुनिक युग में ।।

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BRAJESH HANJAVLIYA



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