वर्तमान में अनुसूचित और अनुसूचित जन जातियों के नाम से सम्बोधित की जाने वाली जातियाँ शूद्र वर्ण में आती है । आज भी इन्हें अछूत समझकर घृणा की जाती है । सम्पूर्ण भारत में 300 से अधिक जातियों की गणना अछूत वर्ग में होती है । भारत के हर प्रान्त में अनुसूचित जातियों की पृथक-पृथक सूची है ।
इतिहास से यह बात सिद्ध हो चुकी है कि वर्तमान में अनुसूचित जातियों के नाम से पुकारी जाने वाली तमाम जातियाँ क्षत्रियों की ही सन्तानें हैं जो किन्हीं परिस्थितियों के कारण निम्न कार्य अपना लिए और शूद्र कहालये । इसलिये कोई भी अनुसूचित जाति एक दूसरे से न तो निम्न है और न उच्च है । सरकार की तरफ से सभी अनुसूचित जातियों को समान सुविधाएं मिलती है । सभी जातियाँ समान हैं । भारतीय संविधान ने स्वतंत्र भारत में सभी जातियों को समान माना है ।
भारत में सर्वप्रथम जुलाई, 1902 में कोल्हपुर की रियासत में छत्रपति साहूजी हमाराज ने जनसंख्या के आधार पर जातियों को नौकरी में आरक्षण दिया था । चुंकि यह राज का आदेश था, अत: सीधा विरोध न कर, पुरोहितों ने बकरे के खून से (मानव रक्त का दिखावा/प्रतीक) अपने हाथ रंग कर दीवारों-दरवाजों पर अन्धेरी रात में चिन्ह लगा दिया । फिर यह अफवाह फैला दी कि राजा ने कोई गलत निर्णय लिया है । अत: रियासत में अनहोनी घटना होने की संभावना है । इस झूठी साजिश का भंटाफोड होने पर इनका विरोध सफल नहीं हो पाया ।आजादी से पूर्व अंग्रेजी हुकूमत द्वारा विभिन्न गोल-मेज सम्मेलनों में तथा 1935 के संविधान में आरक्षण के प्रावधानों को स्वीकार किया गया । स्वतंत्र भारत के संविधान में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचति जनजाति के लोगों को सदियों से हुए शोषण एवं समतुल्य लाने के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया । सर्वप्रथम इन जाति के लोगों की मांग उच्च शिक्षा ग्रहण करना था । उच्च शिक्षा में आरक्षण हेतु मद्रास सरकार ने इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज में आरक्षण देने का निर्देश जारी किया । इस आदेश को मद्रास उच्च न्यायालय में चुनोती देकर कोर्ट से खारिज करवाया गया । राज्य सरकार द्वारा उच्च न्यायालय मेंअपील की जिसे भी खारिज कर दिया गया । इस स्थिति से निजात पाने के लिए सन् 1951 में पहला संवैधानिक संशोधन किया गया और शिक्षण संस्थाओं में आरक्षण का प्रावधान धारा 15 (4) के तहत किया गया।
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के बच्चे शिक्षण संस्थाओं में आरक्षण प्राप्त कर अध्ययन एवं तैयारी कर सरकारी नौकरीया प्राप्त करने लगे । रैगर समाज स्वतंत्रता से पहले और बाद में शिक्षा की दृष्टिकोण से शैशवास्था में था । आर्थिक दृष्टि से कमजोर था । अत: जिन-जिन राज्यों में जैसे राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, चण्डीगढ, छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश में इनकी बहुलता थी आरक्षण का प्रावधान राज्य की सूची में किया गया एवं केन्द्र की सूची में भी नाम रखा गया।
समाज के लोग इन राज्यों से दूसरे राज्यों में अपने जीवन यापन हेतु पलायन कर गये। जिन्हे नौकरी मिली वे नौकरी के हिसाब से एक राज्य से दूसरे में पलायन कर गये । भारत में अनुसूचित जाति सूची के संवैधानिक (अनुसूचित जातियों) आदेश 1950 दिनांक 10/08/1950 को जारी किया गया था। इसके बाद कई बार संशोधन आदेश दिनांक 20/09/1951, 25/09/1956, 25/04/1960, 30/06/1962, 11/09/966, 25/12/1970, 18/09/1976 इत्यादि जारी किये गए। जिसमें राज्य सूची और केन्द्र सूची में जातियों को दर्शाया गया था।
आरक्षण विषय न्यायपालिका के माध्यम से दुबारा परिभाषित किया गया। उच्चतम न्यायालय ने माइग्रेशन का नया प्रावधान कर डाला अर्थात एक अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए प्रार्थी के 10.08.1950 या आदेश तिथि से पहले का किसी राज्य का निवासी होता और / या उसके माता-पिता का निवासी होने का प्रमाण मांगा जाने लगा । साथ ही यह शर्त भी लगा दी कि राज्य की अनुसूचित सूची में उस जाति का नाम भी होना आवश्यक है । इस फैसले के बाद रैगर जाति के लोगों को राजस्थान, हरिणाया, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश एवं चण्डीगढ़ के अलावा अन्य राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों में अनुसूचित जाति का दर्जा मिला और अन्य राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों में रैगर जाति सामान्य जाति में आकर खडी हो गई । यू. आई. डी. के केन्द्रीय स्तर जारी योजना से अब व्यक्ति की पूरे भारत में एक जगह से पहचान पत्र जारी किया जायेगा। अत: सोच समझ कर यू. आई. डी. बनवाये।
जाति आरक्षण सूची में कई बार संशोधन हुए और नई जातियों को राज्य सूची में स्थान दिया गया, किन्तु रैगर जाति के लोग इस प्रक्रिया का लाभ्ज्ञ नहीं उठा सके, क्योंकि अखिल भारतीय रैगर महासभा और अन्य संगठनों के कर्यकलापों में इस विषय को प्राथमिकता से नहीं लिया गया। राज्य विशेष में बसे लोग अपने स्तर पर इसकी मांग करते रहे, जिनकी आवाज़ नहीं सुनी गई । आज भी रैगर समाज के लोग कई वर्षों से अन्य क्षेत्रों में बस गए है यहां तक किय नौकरी करने वाले को भी अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र नहीं मिल पाता है क्योंकि शर्ते कठोर कर दी गई है यहां तक कि अपने मूल राज्य में भी अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं कर पाते हैं क्योंकि उनके पास अपने राज्य का मूल निवास प्रमाण पत्र न होना, वोटर लिस्ट में नाम न होना, तथा राशन कार्ड न होना, पटवारी की रिपोर्ट, सरपंच कि रिपोर्ट इत्यादि के कारण इनका जाति प्रमाण पत्र नहीं बन पाए हैं।
1.
|
आदि धर्मी |
2.
|
अहेरी |
3.
|
बादी |
4.
|
बागरी, बागड़ी |
5.
|
बैरवा, बेरवा |
6.
|
बाजगर |
7.
|
बलाई |
8.
|
बांसफोर, बांसफोड़ |
9.
|
बावरी |
10.
|
बर्गी, वर्गी, बिर्गी |
11.
|
बावरिया |
12.
|
बेड़िया, बेरिया |
13.
|
भांड |
14.
|
भंगी, चूड़ा, मेहतर, औलगाना, रूखी, मलकाना, हलालखोर, लालबेगी, बाल्मीकि, वाल्मीकि, कोरार, झाडमाली |
15.
|
बिदाकिया |
16.
|
बोला |
17.
|
चमार, भंगी, बंभी, भांबी, जटिया, जाटव, जाटवा, मोची, रैदास, रोहिदास, रेगड़, रैगर (रैगड़), रामदासिया, असादरू, असोदी, चमाढिया, चम्भार, चामगार, हरलया, हराली, खलपा, मचिगाई, मोचीगार, माजर, मादिग, तेलगु मोची, कामटी मोची, राणीगार, रोहित, सामगार |
18.
|
चांडाल |
19.
|
दबगर |
20.
|
धानक, धानुक |
21.
|
धानकिया |
22.
|
धोबी |
23.
|
ढोली |
24.
|
डोम, डूम |
25.
|
गांडिया |
26.
|
गरांचा, गांचा |
27.
|
गरो, गरुड़, गुर्डा, गरोड़ा |
28.
|
गवरियां |
29.
|
गोधी |
30.
|
जीनगार |
31.
|
कालबेलिया, सपेरा |
32.
|
कामड़, कामाड़िया |
33.
|
कंजर, कुंजर |
34.
|
कपाड़िया, सांसी |
35.
|
खंगार |
36.
|
खटीक |
37.
|
कोली, कोरी |
38.
|
कूच बन्द, कुचबन्द |
इस राजस्थान की अनुसूचित जाति की सूची को देखने की बात यह है कि क्रम संख्या 16 पर बोला जाति को जटिया या रैगर जाति से पृथक माना है जबकि जटिया या रैगर को ही मेवाड़ में बोला कहते हैं । क्रम संख्या 17 पर चमार, भाम्बी, जाटव, जटिया, मोची, रैदास, रैगर तथा रामदासिया आदि कई जातियों को एक साथ रखा है । इन सबके धन्धे काफी मिलते जुलते है । रैगरों का पारम्परिक धन्धा चमड़ा रंगने का रहा है। यहां यह उल्लेख करना आवश्यक है कि चमड़ा रंगने का धन्धा रैगरों के अलावा भी कई अन्य जातियाँ करती है । उत्तर प्रदेश में जाटव आज भी चमड़ा रंगने का धन्धा करते हैं । हरियाणा तथा पंजाब में रैदासिया चमड़ा रंगने तथा कच्चा चमड़ा लेने-देने का व्यापार करते हैं । महाराष्ट्र में महार चमड़े रंगने का कार्य करते हैं । इस तरह एक समान कार्य करने के बावजूद भी ये अलग-अलग जातियाँ है ।
1.
|
आदि धर्मी |
2.
|
अगरिया |
3.
|
अहेरिया |
4.
|
बलाई |
5.
|
बंजारा |
6.
|
बावरिया |
7.
|
बाजीगर |
8.
|
भंगी |
9.
|
भील |
10.
|
चमार, चंवर, चमार जटिया या जाटव चमार, मोची, रविदासी, रैदासी, रेहगड़ या रैगड़ |
11.
|
चोहड़ा (सफाई करने वाले) |
12.
|
चूहड़ा (बाल्मीकि) |
13.
|
धानक या धानुक |
14.
|
धोबी |
15.
|
डोम |
16.
|
घर्रामी |
17.
|
जुलाहा (बुनने वाले) |
18.
|
कबीर पंथी |
19.
|
कछन्धा |
20.
|
कंजर या गियारा |
21.
|
खटीक |
22.
|
कोली |
23.
|
लालबेगी |
24.
|
मदारी |
25.
|
मल्लाह |
26.
|
मजहबी |
27.
|
मेघवाल |
28.
|
नडीवट |
29.
|
नट (राणा), बाडी |
30.
|
पासी |
31.
|
पेरना |
32.
|
सांसी या भेड़कुट |
33.
|
सपेरा |
34.
|
सिकलीगर |
35.
|
सिंगीवाला या कालबेलिया |
36.
|
सिरकीबन्द |
1.
|
औधेलिया |
2.
|
बागरी, बागड़ी (बागरी, बागड़ी में राजपूत एवं ठाकुर की उपाजातियों को छोड़कर) (भा./स. राजपत्र 30-08-07 द्वारा) |
3.
|
बहना, बहाना |
4.
|
बलाही, बलाई |
5.
|
वांचड़ा |
6.
|
बराहर, बसोड़ |
7.
|
बरगुड़ा |
8.
|
बसोर, बरूड, बंसोडी, बांसफोर, बसार |
9.
|
बेडिया |
10.
|
बेलदार, सुन्कर |
11.
|
भंगी, महतर, वाल्मीक, लालबेगी, धरकर |
12.
|
भानुमती |
13.
|
चडार |
14.
|
चमार, चमारी, बैरवा, भांवी, जाटव, मोची, रैगर, नौना, रोहीदास, रामनी, सतनामी, सूर्यवंशी, सूर्य रामनामी, अहिरवार, चमार, मांगन, रैदास |
15.
|
चिडार |
16.
|
चिकवा, चिकवी |
17.
|
चितार |
18.
|
दहायत, दहैत, दाहत |
19.
|
देवार |
20.
|
धानुक |
21.
|
ढेड़, ढेर |
22.
|
धोबी (भोपाल, रायसेन, सीहोर जिलों में) |
23.
|
डोहार |
24.
|
डांग, डुमार, डोग, डोरीस |
25.
|
गांडा, गांडी |
26.
|
घासी, घासिया |
27.
|
होलिया |
28.
|
कंजर |
29.
|
कतिया, पथरिया |
30.
|
खटिक |
31.
|
कोली, कोरी |
32.
|
कोटवाल (भिन्ड, धार, देवास, गुना, ग्वालियर, इन्दौर, झाबुआ, खरगौन, मन्दसौर, मुरैना, राजगढ़, रतलाम, शाजापुर, शिवपुरी, उज्जैन तथा विदिशा जिलों में) |
33.
|
खंगार, कनेरा, मिरधा |
34.
|
कुचवंधिया |
35.
|
कुम्हार (छतरपुर, दतिया, पन्ना, रीवा, सतना, शहडोल, सीधी और टीकमगढ़ जिले में) |
36.
|
महार, मेहरा, मेहर, महारा (प्रतिस्थापित भा./स. राजपत्र 18-12-2002 द्वारा) |
37.
|
मांग, मांग गारूडी, मांग गरोडी, दखनी मांग, मांग महाशी, मदारी, गरूडी, राधे मांग |
38.
|
मेघवाल |
39.
|
मोघिया |
40.
|
मुसखान |
41.
|
नट, कालबेलिया, सपेरा, नवदिगार, कुबुतर |
42.
|
पारथी (भिण्ड, धार, देवास, गुना, ग्वालियर, इन्दौर, झाबुआ, खरगौन, मन्दसौर, मुरैना, राजगढ़, रतलाम, शाजापुर, शिवपुरी, उज्जैन और विदिशा जिलों में) |
43.
|
पासी |
44.
|
रूज्जार |
45.
|
सांसी, संसिया |
46.
|
सिलावट |
47.
|
झामराल |
48.
|
सरगरा (भारत सरकार की अधिसूचना दिनांक 18-12-2002 द्वारा) |
1.
|
आद धर्मी |
2.
|
बाल्मीकि, चूड़ा, भंगी |
3.
|
बंगाली |
4.
|
बरड़, बुरड़, बेरड़ |
5.
|
बटवाल, बरवाला |
6.
|
बौरिया, बावरिया |
7.
|
बाजीगर |
8.
|
भंजड़ा |
9.
|
चमार, जटिया चमार, रेहगड़, रैगढ़, रामदासी रविदासी, रामदासिया, सिख, रविदसिया, रविदसिया सिख |
10.
|
चनाल |
11.
|
डागी |
12.
|
देड़े |
13.
|
डेहा, ढैया, ढआ |
14.
|
धानक |
15.
|
ढोगरी, ढांगरी, सिग्गी |
16.
|
डूमना, महाशा, डूम |
17.
|
गगड़ा |
18.
|
गंढीला, गण्डील, गोण्डोला |
19.
|
कबीरपंथी, जुलाहा |
20.
|
खटीक |
21.
|
कोरी, कोली |
22.
|
मरीजा, मरेचा |
23.
|
मजहबी, मजहबी सिख |
24.
|
मेघ |
25.
|
नट |
26.
|
ओड |
27.
|
पासी |
28.
|
पेरना |
29.
|
फेरेरा |
30.
|
सनहाई |
31.
|
सनहाल |
32.
|
सांसी, भेड़कुट, मनेश |
33.
|
संसोई |
34.
|
सपेला |
35.
|
सरैड़ा |
36.
|
सिकलीगर |
37.
|
सिरकीबन्द |
38.
|
मोची |
39.
|
महातम, राय सिख |
1.
|
आद धर्मी |
2.
|
वाल्मीकि, चूहडा, भंगी |
3.
|
बंगाली |
4.
|
बराड़, बुराड़, बेराड़ |
5.
|
बटवाल, बरवाला |
6.
|
बोरिया, बावरिया |
7.
|
बाजीगर |
8.
|
भंजड़ा |
9.
|
चमार, जटिया चमार, रेहगड़, रैगड़, रामदासी, रविदासी, बलाही, बटोही, भटोही, भांबी, चमार-रोहिदास, जाटव, जटवा, मोची, रामदसिया |
10.
|
चनाल |
11.
|
डागी |
12.
|
डरेन |
13.
|
डेहा, दैया, दघ्या, डैया |
14.
|
धानक |
15.
|
ढोगरी, ढांगरी, सिग्गी |
16.
|
डुमना, महाशय, डूम |
17.
|
गगड़ा |
18.
|
गंढीला, गंडील, गोन्डोला |
19.
|
कबीरपंथी, जुलाहा |
20.
|
खटीक |
21.
|
कोरी, कोली |
22.
|
मरीजा, मरेचा |
23.
|
मजहबी, मजहबी सिख |
24.
|
मेघ, मेघवाल |
25.
|
नट, बादी |
26.
|
ओड़ |
27.
|
पासी |
28.
|
पेरना |
29.
|
फरेरा |
30.
|
सनहाय |
31.
|
सनहाल |
32.
|
सांसी, भेडकूट, मनेश |
33.
|
संसोई |
34.
|
सपेला, सपेरा |
35.
|
सरेड़ा |
36.
|
सिकलीगर, बारिया |
37.
|
सिरकीबन्द |
1.
|
आद धर्मी |
2.
|
बांढ़ी, नगालू |
3.
|
बाल्मिकी, भंगी, चुहड़ा, चूड़ा, चूहडे |
4.
|
बांधेला |
5.
|
बंगाली |
6.
|
बंजारा |
7.
|
बांसी |
8.
|
बरड़ |
9.
|
बराड़, बुराड़, बेराड़ |
10.
|
बटवाल |
11.
|
बोरिया, बावरीया |
12.
|
बाजीगर |
13.
|
भजड़ा, भंजड़े |
14.
|
चमार, जटिया चमार, रेहगड़, रैगड़, रविदासी, रविदासिया, मोची |
15.
|
चनाल |
16.
|
छिम्बे, धोबी |
17.
|
दागी |
18.
|
दडे |
19.
|
दराई, दरयाई |
20.
|
दाउले, दावलद |
21.
|
ढाकी, तूरी |
22.
|
धानक |
23.
|
धाओगरी, धुआई |
24.
|
धोगरी, धागरी, सिग्गी |
25.
|
डूम, डूमना, डुमने, महाशा |
26.
|
गगड़ा |
27.
|
गंधीला, गंडील, गोण्डोला |
28.
|
हाली |
29.
|
हेसी |
30.
|
जोगी |
31.
|
जुलाहा, जुलाई, कबीर पंथी, कीर |
32.
|
कमोह, डगोली |
33.
|
करोक |
34.
|
खटीक |
35.
|
कोरी, कोली |
36.
|
लोहार |
37.
|
मरीजा, मरेचा |
38.
|
मजहबी |
39.
|
मेघ |
40.
|
नट |
41.
|
ओड |
42.
|
पासी |
43.
|
पेरना |
44.
|
फेडा, फेरेडा |
45.
|
रेहाड़, रेहाड़ा |
46.
|
सनहाई |
47.
|
सनहाल |
48.
|
सांसी, भेडकूट, मनेश |
49.
|
संसोई |
50.
|
सपेला |
51.
|
सरड़े, सरेड़ा, सराड़े, सिरयाड़ें, सरेहड़े |
52.
|
सिकलीगर |
53.
|
सिपी |
54.
|
सिरकीबन्द |
55.
|
तेली |
56.
|
ठठियार, ठठेरा |
57.
|
बारवाला |
1.
|
आद धर्मी |
2.
|
बंगाली |
3.
|
बरड़, बुरड़ या बरड़ |
4.
|
बटवाल, बरवाला |
5.
|
बौरिया या बावरिया |
6.
|
बाजीगर |
7.
|
बाल्मीकि, चूहड़ा या भंगी |
8.
|
भंजड़ा |
9.
|
चमार, जटिया चमार, रहगड़, रैगड़, रामदास या रविदासी |
10.
|
चनाल |
11.
|
डागी |
12.
|
दड़ें |
13.
|
धानक |
14.
|
ढ़ोगीर, ढ़ांगरी या सिग्गी |
15.
|
डूमना, महाशा या डूम |
16.
|
गगड़ा |
17.
|
गन्ढीला या गन्दील गोन्ढोला |
18.
|
कबीर पंथी या जुलाहा |
19.
|
खटीक |
20.
|
कोरी या कोली |
21.
|
मरीजा या मरेचा |
22.
|
मजहबी |
23.
|
मेघ |
24.
|
नट |
25.
|
ओड |
26.
|
पासी |
27.
|
पेरना |
28.
|
फरेरा |
29.
|
सनहाई |
30.
|
सनहाल |
31.
|
संसोई |
32.
|
सांसी, भेड़कूट या मनेश |
33.
|
सपेला |
34.
|
सरेरा |
35.
|
सिकलीगर |
36.
|
सिरकीबन्द |
1.
|
औधेलिया |
2.
|
बागरी, बागड़ी |
3.
|
बेहना, बहाना |
4.
|
बलाही, बलाई |
5.
|
बाछड़ा |
6.
|
बरहार, बसोड़ |
7.
|
बरगूंडा |
8.
|
बसोर, बुरूड़, बंसोर, बंसोड़ी, बांसफोड़, बसार |
9.
|
बेड़िया |
10.
|
बेलदार, सुनकर |
11.
|
भंगी, मेहतर, बाल्मिकी, लालबेगी, धरकर |
12.
|
भानुमती |
13.
|
चड़ार |
14.
|
चमार, चमारी, बेरवा, भांबी, जाटव, मोची, रेगर, नोना, रोहिदास, रामनामी, सतनामी, सूर्यवंशी, सूर्यराम नामी, अहिरवाल, चमार, मांगन, रैदास |
15.
|
चिडार |
16.
|
चिकवा, चिकवी |
17.
|
चितार |
18.
|
दहैत, दहायत, दाहात |
19.
|
देवार |
20.
|
धानुक |
21.
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ढ़ेड़, ढेर |
22.
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डोहोर |
23.
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डोम, डूमार, डोम, डोमार, डोरिस |
24.
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गांड़ा, गांडी |
25.
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घासी, घसिया |
26.
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होलिया |
27.
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कंजर |
28.
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कतिया, पथरिया |
29.
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खटीक |
30.
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कोली, कोरी |
31.
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खांगर, कनेरा, मिर्धा |
32.
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कुचबंधिया |
33.
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महार, मेहरा, मेहर |
34.
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मांग, मांग गरौड़ी, मांग गारूड़ी, दंखनी मांग, मांग महाशी, मदारी, गारूड़ी, राधे मांग |
35.
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मेघवाल |
36.
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मोघिया |
37.
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मुसखान |
38.
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नट, कालबेलिया, सपेरा, नवदिगार, कुबुतार |
39.
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पासी |
40.
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रूज्झार |
41.
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सांसी, सांसिया |
42.
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सिलावट |
43.
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झमराल |
44.
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तुरी |
इस राज्य की अनुसूचित जाति की सूची में रैगर जाति को स्थान नहीं दिया गया है।
इस राज्य की अनुसूचित जाति की सूची में रैगर जाति को स्थान नहीं दिया गया है।
इस राज्य की अनुसूचित जाति की सूची में रैगर जाति को स्थान नहीं दिया गया है।
हमारी रैगर जाति सन् 1951 की राजस्थान की अनुसूचित जाति की सूची में बोला व रैगर दोनों नाम ही अलग व स्वतंत्र रूप से लिखे हुये थे, चमारों में नहीं, किन्तु सन् 1956 में जब काका कालेलकर आयोग पुननिरीक्षण हेतु आया तो हमारी रैगर जाति का नाम चमार के कोष्टक में लिख दिया और जो चमार और जो चमार अब बैरवा हो गये उन्हें चमार से अलग कर दिया । हमारा बैरवा जाति से कोई लेना देना नहीं किन्तु हमारे रैगर जाति के एक सांसद व सात विधायक होते हुए हमारी जाति का नाम सूची में चमारों मे शामिल कर दिये गया हमारी जाति के सक्रिय समाज बंधुओं ने सन् 1956 की सूची को देखकर विरोध भी किया था तथा राज्य सरकार व भारत सरकार से पत्र व्यवहार भी किया था किन्तु पूर्ण सहयोग न मिलने के कारण सफलता नहीं मिली । अत: अब हमारी संगठन शक्ति के माध्यम से यह संशोधन कराया जाना चाहिए।
इस उपरोक्त संदर्भ में अखिल भारतीय रैगर महासभा के पदाधिकारियों एवं राजनीतिक पार्टियों में सक्रिय लोगों तथा प्रबुद्ध बुद्धिजीतियों से यह अपील है कि रैगर जाति को सभी राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों में अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने तथा जिन राज्यों में रैगर जाति का नाम अनुसूचति जाति की सूची में है उसे अन्य जातियों के नाम से अलग हठ कर एक नया सूची क्रमांक दिलवाने के लिए सक्रिय सतत् प्रयास करें और भारत सरकार, अनुसूचित जाति आयोग, राज्य सरकारों, राजनीतिक पार्टियों से पत्राचार कर इस विषय में ठोस कार्यवाही की जाएं।
157/1, Mayur Colony,
Sanjeet Naka, Mandsaur
Madhya Pradesh 458001
+91-999-333-8909
[email protected]
Mon – Sun
9:00A.M. – 9:00P.M.