श्री ज्ञानगंगा छात्रावास – जोधपुर

रैगर जाति में शिक्षा का नितान्‍त अभाव था । इसलिए रैगर जाति के प्रत्‍येक व्‍यक्ति में यह भावना जागृत करना जरूरी थी कि अपने हर बच्‍चे को अनिवार्य रूप से विद्यालय भेजें । इस हेतु अनेकों प्रयास किये गये । सामाजिक सम्‍मेलन आयोजित कर लोगों को समझाया गया । समय-समय पर पर्चे, पेम्‍पलेट छपवा कर बांटे गये । सरकारी सुवधिाओं के अलावा रैगर जाति ने रैगर छात्रों के लिए शिक्षा की विशेष व्‍यवस्‍था की तथा प्रोत्‍साहन कार्यक्रम प्रारम्‍भ किये । यह भी महसूस किया गया कि रैगर जाति के गरीब छात्रों के लिए छात्रावासों की व्‍यवस्‍था की जानी चाहिए । इस दिशा में विचार करने के लिए सम्‍वत् 2007 में लूनी जंक्‍शन पर रैगर जाति का एक विशाल सम्‍मेलन आयोजित किया गया । सतलाना के रैगर बंधुओं ने उदार हृदय से इस सम्‍मेलन में आये लोगों की निस्‍वार्थभाव से सेवा की । इस सम्‍मेलन में संत महात्‍माओं ने जोधपुर में छात्रावास की स्‍थापना की आवश्‍यकता समझाई और तभी से इस छात्रावास के निर्माण के लिए सक्रिय प्रयत्‍न प्रारम्‍भ हो गये । दानदाता इस पुनीत कार्य के लिए उदार हृदय से आगे आये और काफी धनराशि इकट्ठी हो गई । संत महात्‍माओं के प्रयास से राजस्‍थान के अलावा मुम्‍बई, दिल्‍ली आदि जगहों से भी धन प्राप्‍त हुआ । इस छात्रावास के निर्माण से पूर्व मण्‍डोर रोड़ खेतानाडी पर एक भूखण्‍ड राज्‍य सरकार से आवंटित करवाया गया । भूखण्‍ड आवंटन के साथ ही समाज ने रैगर छात्रों के लिए सर्वप्रथम मण्‍डोर रोड़ पर श्री जुगराजसिंह माली के बंगले में छात्रावास प्रारम्‍भ किया गया । इसके बाद संस्‍था ने नागौरी गेट के अन्‍दर अभी जहाँ ज्ञानगंगा छात्रावास का भवन है, खरीदा गया । इसमें आधुनिक सुविधाओं से युक्‍त लगभग 35 कमरे हैं । यह रैगर जाति का एक विशाल और सुन्‍दर छात्रावास है । सन् 1964 में 25 छात्रों के प्रवेश के साथ यह छात्रावास प्रारम्‍भ किया गया । बाद में समाज कल्‍याण विभाग से 55 छात्रों की स्‍वीकृति मिल गई । इस छात्रावास ने रैगर समाज को कई होनहार और योग्‍य छात्र दिये हैं जो आज महत्‍वपूर्ण पदों पर नियुक्‍त हैं । श्री सुगनचन्‍द सिंगारिया जो पूर्व में राजस्‍थान लोक सेवा आयोग के सदस्‍य थे, इस छात्रावास के छात्र रहे हैं । श्री चन्‍दनमल नवल अतिरिक्‍त पुलिस अधीक्षक इस छात्रावास की देन है । श्री माहनलाल मौसलपुरिया जो वर्तमान में नेवी में इन्‍जीनियर है, इसी छात्रावास की देन है । इस छात्रावास से डॉ. गिरधारीलाल नवल, डॉ. नरेन्‍द्र मोहनपुरिया, डॉ. सुरेन्‍द्र मोहनपुरिया आदि निकले हैं । इस छात्रावास ने समाज को कई अभियन्‍ता तथा अध्‍यापक दिये हैं । वर्तमान में करीब 60 विद्यार्थी इस छात्रावास में रह रहे हैं ।

वर्ष 2005 में स्‍वामी गोपालरामजी महाराज मुम्‍बई गए हुए थे । मुम्‍बई प्रवास के दौरान श्री पूरणमलजी जाजोरिया स्‍वामी गोपालरामजी महाराज से मिले । श्री पूरणमलजी जाजोरिया ग्राम रघुनाथपुरा जिला अजमेर के रहने वाले हैं । काफी वर्षों पहले मुम्‍बई जाकर बस गए । मुलाकात के दौरान श्री पूरणमलजी जाजोरिया ने स्‍वामीजी के सामने इच्‍छा जाहिर की कि मेरे पास पैसा है और अच्‍छे काम में लगाना चाहता हूँ । मेरी उम्र बहुत हो गई है और जीवन का कोई भरोसा नहीं है । स्‍वामी गोपालरामजी महाराज ने राय दी कि जोधपुर में रैगर समाज की लड़कियों के लिए कोई छात्रावास नहीं है । खेतानाड़ी मण्‍डोर रोड़, जोधपुर में नया छात्रावास भवन बन कर तैयार हो गया है । उसका उपयोग समाज के छात्रों के लिए किया जाएगा । आप यदि पैसा लगाना चाहते हैं तो श्री ज्ञानगंगा में ही और कमरे बनवा कर दे सकते हैं और लड़कियों के लिए अलग छात्रावास की व्‍यवस्‍था हो सकती है । यह समाज की बहुत बड़ी सेवा और पुण्‍य का कार्य है । स्‍वामी गोपलारामजी महाराज की बातों से प्रेरित होकर श्री पूरणमलजी जाजोरिया पैसा लगाने को तैयार हो गये । श्री पूरणमलजी जाजोरिया का सुपुत्र श्री नवल प्रकाश अमेरिका में रहता है । उसने निर्माण कार्य पूरा करवाया । 30 जनवरी, 2006 को लोकार्पण समारोह श्री ज्ञानगंगा छात्रावास नागौरी गेट, जोधपुर में आयोजित किया गया । इस समारोह के मुख्‍य अतिथि सेठ श्री भंवरलाल जी नवल अमेरिका प्रवासी थे । अध्‍यक्षता स्‍वामी गोपालरामजी महाराज ने की । भवन उद्घाटन श्री नवल प्रकाश जाजोरिया अमेरिका प्रवासी सुपुत्र श्री पूरणमलजी जाजोरिया ने किया । स्‍वर्गीय पूरणमलजी जाजोरिया की समाज सेवा को रैगर समाज सदैव याद रखेगा ।

(साभार- चन्‍दनमल नवल कृत ‘रैगर जाति : इतिहास एवं संस्‍कृति’)

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