द्वितीय अखिल भारतीय रैगर महासम्मेलन जयपुर के उपरान्त महासभा की तरफ से अखिल भारतीय स्तर पर कोई सम्मेलन एवं न किसी भी प्रकार की कोई गोष्ठी हुई । हाँ इतना कुछ अवश्य मिलता कि समय-समय पर महासभा की तरफ से शिष्टमण्डल काण्डों का पंचायतों एवं मेलों पर गए एवं उपस्थित कठिनाईयों में हल कराने का भरसक प्रयास किया गया । लेकिन फिर भी यहां इतना ही संकेत देना पर्याप्त समझा जायेगा कि महासभा का अन्य प्रान्तों से आपसी सम्बंध पूर्णतया शिथिल हो गया था । स्थानीय कार्यकर्ताओं का महासभा के अधिकारियों से सम्बंध विनष्ट हो चुका था । यहाँ तक ही नहीं बल्कि महासभा की कार्यकारिणी के सदस्य को भी एक साथ एकत्रित ही समाज सुधार सम्बंधी समस्याओं पर विचार करने का अवसर ही प्राप्त नहीं हुआ था । यह कहना भी वास्तविकता ही होगी कि अखिल भारतीय रैगर महासभा दिल्ली स्थित कार्यकारिणी के सदस्यों की ही संस्था रह गई थी । इन सबके लिये मुख्यत: प्रधानजी एवं गौण रूप से महासभा की कार्यकारिणी के सदस्य ही उत्तरदायी थे । अन्तत: दिल्ली स्थित कार्यकारिणी के सदस्यों की एक बैठक अखिल भारतीय स्तर पर कार्यकर्ता (प्रतिनिधि) सम्मेलन दिनांक 27-28 मार्च को बुलाने का निश्चय किया गया ।
27 मार्च 1958 को प्रात: कार्यकर्ता सम्मेलन जयपुर स्थित श्री गंगामन्दिर घाट गेट कोठी रैगरान में प्रधान चौ. कन्हैयालाल रातावाल की अध्यक्षता में हुआ । इस सम्मेलन में महासभा के पूर्व निश्चित विषय-दौसा व जयपुर महासम्मेलनों के स्वीकृत प्रस्तावों की कार्य प्रगति तथा समाज की सुधारवादी गतिविधियों को पुनर्गठित करने पर विचार करने हेतु कार्यकारिणी के सदस्यों के अतिरिक्त सभी प्रान्तों से लगभग 50 कार्यकर्ता (प्रतिनिधि) पधारे । सर्वप्रथम तो महासभा की कार्यकारिणी के सदस्यों श्री मोहनलाल पटेल एवं श्री आशाराम सेवलिया के स्वर्गवास हो जाने पर शोक प्रस्ताव पारित किया गया । तत्पश्चात् सभी प्रान्तों से आए हुए कार्यकर्ताओं ने महासभा के कार्यों की भर्त्सना करते जीर्ण शीर्ण महासभा में नवजीवन संचारित करने हेतु भिन्न-भिन्न प्रस्ताव प्रस्तुत किये । महासभा का चुनाव शीघ्रातिशीघ्र हो इस पर सभी कार्यकर्ताओं ने विशेष जोर दिया । एक मुख्य विवादास्पत विषय महासभा के आय व्यय का रहा जिसके लिए महासभा के अधिकारियों ने विश्वास दिलाया कि शीघ्रातिशीघ्र महासभा का हिसाब रैगर जनता तक पहुंचा दिया जायेगा । इस सम्मेलन में जो मुख्य-मुख्य प्रस्ताव पारित किये गए वे संक्षेप में निम्न प्रकार से है –
1. शोक प्रस्ताव ।
2. महासभा के अन्तर्गत हर प्रान्त में एक शाखा खोली जाए ।
3. इस सम्मेलन ने महासम्मेलन दौसा एवं जयपुर के पारित प्रस्तावों की प्रगति पर असंतोष प्रकट किया एवं निश्चय किया गया कि शीघ्रातिशीघ्र उनको लागू करने के लिए ठोस कदम उठाया जाये ।
4. महासभा अपने एक मासिक या पाक्षिक समाचार पत्र का प्रकाशन करे ।
5. रैगर इतिहास का प्रकाशन शीघ्र ही किया जाये ।
6. जयपुर महासम्मेलन के प्रस्ताव नम्बर 5 (वर पक्ष से 5 रूपये दान) पर बल दिया गया एवं निश्चय किया गया कि यह रूपया सीधा महासभा के कोष में जाना चाहिये ।
7. राज्य सरकारों से स्वजातीय बंधुओं के लिये उपजाऊँ भूमि दिलावाने का प्रयास किया जाये ।
8. जातीय बंधुओं को प्रेरित किया जाये कि भारत सरकार द्वारा प्रदत्त आर्थिक सहायताओं से अधिक से अधिक लाभ उठावें ।
9. सामूहिक मद्यपान के विरोध में ओदश दिया गया अन्यथा इसके विपरीत आचरण करने वाले व्यक्ति समाज द्वारा दण्डित किए जायेंगे ।
10. रैगर समाज के नाम सम्बोधन में एक रूपया लोन हेतु यही निश्चय किया गया कि सभी रैगर बंधु अपने को रैगर ही कहलवायें ।
11. जयपुर महासम्मेलन से इस बैठक तक का आय-व्यय एंव कार्यविवरण प्रतिवेदन एक माह में सब स्थानों पर पहुँचा दिया जाये ।
12. विवाह उत्सावों आदि समारोह पर सार्वजनिक भोज में माँस का सेवन किसी भी रूप में न किया जाय अन्यथा जाति के कसूरवार होंगे ।
13. महासभा विधान को विस्तृत एवं पर्याप्त बनाने हेतु कए 11 सदस्यीय उपसमिति का गठन किया गया ।
14. नये विधान के अनुसार महासभा का चुनाव एक वर्ष के अन्दर हो जाना चाहिए ।
15. महासभा को शीघ्र ही पंजीकृत करवाया जाना चाहिए ।
इन पारित प्रस्तावों के अतिरिक्त महासभा के कार्य को सुचारू रूप से चलाने हेतु प्रधान मंत्री श्री नवल प्रभाकर सदस्य लोक सभा के सहयोग हेतु एक कार्यवाहक मंत्री श्री दयाराम जलुथरिया को मनोनीत किया गया क्योंकि यह पूर्णतया स्पष्ट ही था कि श्री नवल प्रभाकर जी अपने राजनैतिक जीवन में अधिक व्यस्त रहने एवं कुछ वैयक्तिक मतभेद होने के कारण महासभा का उतना सक्रिय कार्य नहीं कर पा रहे थे जितना कि उनसे वांछित किया जाता है ।
तत्पश्चात् जयपुर निवासी रैगर बंधुओं की ओर से महासभा को अभिनन्दन-पत्र समर्पित किया गया । जिसमें महासभा के विगत कार्यों की प्रशंसा के साथ-साथ पूर्ण आशा की गई कि भविष्य में महासभा अपने लक्ष्य की प्राप्ति निर्दिष्ट मार्ग पर अग्रसर हो सकेगी अर्थात् जाति उत्थान के कार्यों में सक्रीय सहयोग देती रहेगी ।
महासभा के अध्यक्ष ने भी स्थानीय कार्यकर्ताओं के उत्साह की प्रशंसा करते हुए सम्मेलन के आयोजन, संचालन आदि में सहयोग की सराहना की । भोजन, विश्राम, निवास आदि की व्यवस्था में जयपुर पंचायत, स्वयंसेवक दल वस्तुत: प्रशंसा के पात्र रहे अन्त में बैठक में आए हुए प्रतिनिधियों को पूर्ण निश्चयानुसार रेलभाड़ा प्रदान किया गया जिसमे महासभा के लगभग 450 रूपये खर्च हुए । इस प्रकार अखिल भारतीय रैगर महासभा कार्यकर्ता सम्मेलन सफलतापूर्वक समाप्त हुआ ।
(साभार- रैगर कौन और क्या ?)
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