[vc_row type=”in_container” full_screen_row_position=”middle” scene_position=”center” text_color=”dark” text_align=”left” overlay_strength=”0.3″][vc_column column_padding=”no-extra-padding” column_padding_position=”all” background_color_opacity=”1″ background_hover_color_opacity=”1″ column_shadow=”none” width=”1/1″ tablet_text_alignment=”default” phone_text_alignment=”default” column_border_width=”none” column_border_style=”solid”][vc_text_separator title=”दौसा काण्ड”][vc_column_text]दौसा में जहां प्रथम अखिल भारतीय रैगर महासम्मेलन सम्पन्न हुआ था । वहां रैगरों एवं स्वर्णों में आपस में झगड़ा, मारपीट हो गर्इ व रैगरों के घरों में पत्थर फेंके गए । स्वर्ण हिन्दुओं ने रैगरों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया । मारपीट आदि दुर्व्यवहारों से स्थानीय रैगरों बंधु आतंकित हो गए । जब इस विकट परिस्थिति की जानकारी जब महासभा को हुई तो महासभा ने एक शिष्टमण्डल 30-11-1949 को दौसा के लिए रवाना कर दिया जिसमें सर्व श्री नवल प्रभाकर, श्री कँवरसेन मौर्य, श्री सूर्यमल मौर्य, श्री नारायण जी आलोकिया आदि महानुभाव शामिल थे जिन्होंने तनाव की स्थिति का निवारण कर आपस में समझौता करा दिया ।
(साभार – रैगर कौन और क्या ?)
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