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Raigar Community Blog & Articles

जब समाज के विकास की बात हो और सामाजिक संस्‍थाओं व संगठनों पर चर्चा न हो, ऐसा हो नहीं सकता । आज हम उन्ही संस्थाओं और संगठनों की बात कर रहे हैं । जिनके ऊपर समाज के विकास की जिम्मेदारी है, उन्हीं संस्थाओं के पदाधिकारी समाज का बेड़ा गर्ग कर रहे हैं । यह अलग प्रश्न है कि, इन्होने समाज का कितना विकास किया है । इन संगठनों की गतिविधियों...
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जैसे-जैसे समय गुजर रहा है, वैसे-वैसे इस देश के सामाजिक परिवेश में बदलाव भी आ रहे हैं । कही मानसिक-भावात्मक तो कही तकनीकी-सामाजिक । वास्तविक परिस्थितियों पर चर्चा करे तो, सम्पूर्ण भारत के सभी क्षेत्रों के साथ – साथ, राजस्थान में भी में बदलाव आ रहे हैं, कुछ लोग तो स्वत ही, तो कुछ परिस्थितियों वश और अवसरवादी के कारण बदल रहे हैं । वास्तविकता की बात करे तो, 1991...
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समाज की बात करते है तो, संगठन का भी प्रश्न सामने नजर आता है, कि समाज को कैसे संगठित किया जाये । समाज को संगठित करने मे सम्मेलन, बैठको, विचार मंथन शिविरों आदि की महत्वपूर्ण भूमिका होती है । भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश मे अपने हकों के लिए किसी समाज विशेष या वर्ग द्वारा आंदोलन का रास्ता अपनाना तथा सामाजिक सम्मेलनों द्वारा सरकार से अपने हकों की मांग करना, एक...
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एक बार फिर वह मौसम आ गया है। मैं बात सर्दी के मौसम की नही, चुनावी मौसम की कर रहा हूँ । राजस्थान सरकार भी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अपनी नीतियॉ जनता के लिए बना रही है । बेरोजगारो को नोकरी दी जा रही है, नोकरी वाले को पदोन्नती, सरकार कि लाखों नोकरीयॉ अदालतों, लालफिताशाही के चक्कर मे अटकी पड़ी है । पदोन्नति किसी को मिल गई है, किसी की...
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श्रद्धासमन्वितैर्दत्तं पितृभ्यो नामगोत्रतः ।यदाहारास्तु ते जातास्तदाहारत्वमेति तत् । । ‘श्रद्धायुक्त व्यक्तियों द्वारा नाम और गोत्र का उच्चारण करके दिया हुआ अन्न पितृगण को वे जैसे आहार के योग्य होते हैं वैसा ही होकर उन्हें मिलता है’ । जब हम इस इतिहास के माध्‍यम से हमारे बुजुर्गों को याद कर रहे हैं, और उन्‍हें अपनी सच्‍ची श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं तो इस सम्‍बन्‍ध में हमारे लिये यह जानना एक तरह...
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