[vc_row type=”in_container” full_screen_row_position=”middle” scene_position=”center” text_color=”dark” text_align=”left” overlay_strength=”0.3″][vc_column column_padding=”no-extra-padding” column_padding_position=”all” background_color_opacity=”1″ background_hover_color_opacity=”1″ column_shadow=”none” width=”1/1″ tablet_text_alignment=”default” phone_text_alignment=”default” column_border_width=”none” column_border_style=”solid”][vc_text_separator title=” मालपुरा -प्रांतीय सम्मलेन- मार्च 1949″ css=”.vc_custom_1539090159363{margin-top: 20px !important;margin-bottom: 20px !important;}”][vc_column_text]
स्थानीय मालपुरा पंचायत, महासम्मेलनों के पारित प्रस्तावों को कार्य रूप में परिवर्तन करने पर प्रतिदिन स्वर्ण हिन्दूओं के अत्याचारों एवं दुर्व्यवहारों से दुखति हो यह निश्चय किया कि एक प्रान्तीय सम्मेलन बुलाया जाये जिसमें सभी स्वजातीय भाई दृढ़ता एवं संगठित हो सुधारवादी कार्यों में प्रवृत होवें । मार्ग मे आने वाली सभी प्रकार की कठिनाईयों का दृढ़ता के साथ मुकाबला किया जाये । यह सम्मेलन 2-3 मार्च, 1949 को होना निश्चित हुआ । इस सम्मेलन का महासभा की ओर से पूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ ।
महासभा की तरफ से भाग लेने वालों में सर्व श्री स्वामी 108 ज्ञानस्वरूप जी महाराज, श्री नवल प्रभाकर , चौ. पद्मसिंह, श्री कंवर सेन मौर्य, श्री भोलाराम तौणगरिया, श्री सूर्यमल मौर्य, श्री बिहारी लाल जागृत, पं. छेदीलाल आदि महानुभाव विशेष उल्लेखनीय हैं । इस सम्मेलन ने दौसा, जयपुर सम्मेलनों के प्रस्ताव का दृढ़ता से समर्थन किया । इस प्रकार इस प्रान्तीय सम्मेलन से स्थानीय महानुभावों को नव चेतना, स्फूर्ति एवं प्रेरणा प्राप्त हुई और वे शीघ्र ही बड़ी शक्ति के साथ सुधारवादी कार्यों में प्रवृत हो गए ।
(साभार- रैगर कौन और क्या ?)
[/vc_column_text][/vc_column][/vc_row]