निराश न हो

हे ! प्रिय, निराश न हो,
समाज व जीवन से ,
अपने सुख सपनों से,
समाज व अपनों से ,
हिम्‍मत की तलवार लेकर,
समाज में फैले अन्‍ध विश्‍वास को,
लड़ो लड़ाई भ्रष्‍टाचार से ,
शिक्षा देवी हमें पुकारती है,
हमे पढ़ना है, पढ़ना है,
अशिक्षा को दूर करना है,
समाज की बेड़िया तोड़ना है ।

 

लेखक

हीराराम मौलपुरिया Kamagra Polo for sale, generic clomid.

रैगरों का मोहल्‍ला, वि.पो.अ. खीरवर, जिला नागौर (राज.)