हे ! प्रिय, निराश न हो, समाज व जीवन से , अपने सुख सपनों से, समाज व अपनों से , हिम्मत की तलवार लेकर, समाज में फैले अन्ध विश्वास को, लड़ो लड़ाई भ्रष्टाचार से , शिक्षा देवी हमें पुकारती है, हमे पढ़ना है, पढ़ना है, अशिक्षा को दूर करना है, समाज की बेड़िया तोड़ना है...Read More
संगठन गढे चलो सुपंथ पर बढे चलों । भला हो जिसमे कोम का वो काम सब करे चलों ।। युग के साथ मिलकर सब कदम मिलाना सिख लों । एकता के स्वर के गीत गुन गुनाना सिख लों ।। समाज के विकास के रास्ते पर सब साथ चले चलों । संगठन गढे चलो सुपंथ...Read More
जल में थल में नील गगन में गुंजेगा जय गान। हमारी रैगर जाति महान्, हमारी रैगर जाति महान् ।। अटल रहेंगे हम जीवन भर, चाहे आये लाख मुसिबत आये । फर्क ना पडेगा हमको, चाहे हम रैगर जाति के लिये मर जाये ।। चूर-चूर कर देंगे हम दुशमन के अरमान । चमकाएंगे हम जाति...Read More
जीवन में कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो । आगे आगे बढना है तो, हिम्मत हारे मत बैठो ।। चलने वाला मंजिल पाता, बैठा पीछे रह जाता । ठहरा पानी सड जाता, बहता पानी निर्मल हो जाता ।। पॉव दिये चलने के खातिर, पॉव पसारे मत बैठो । आगे बढना है...Read More
जब सांझ ढले, जब दीप जले। रैगर ! मन के सहचर आ जाना। नन्हा तारा जब गगन पले। जब तम रजनी के प्राण छले। तब दुखी समाज को राह दिखाने। गुरु ज्ञान रवि किरण बन आ जाना। युवकों से छिन जब बल बहे। और सामाजिकता मंद-मंद चले। गुरु लक्ष्य सीख प्राण वायु बन जाना।...Read More
हमारी उम्मीदेँ खतम हो जाती जहाँ से । रिश्तों में दूरिया बढ़ जाती वहाँ से । रैगर समाज एकता के लिए, हमें एक मंच पर आना होगा । किसी को भी नहीं कह सकते, हमेशा के लिए अलविदा । सामाजिकता की यह नहीं संविदा । रैगर बंधु ! कुछ ऐसा कर...Read More
ज्ञान की लौ बिखेरने के लिए रैगर समर्थ हो । एक दूजे का हाथ पकड़ आगे बढ़ने को वचनबद्ध हो । छल-कपट से लूटा लूटेरों ने तेरा राज सिहासन । सब ले रैगर शपथ अँधेरे के आगे ना नतमस्तक हो । धर्मगुरु ज्ञानस्वरूप ने राह दिखाई उसका परिपालन हो । ‘लक्ष्य’...Read More
रैगर जाति में जन्म लिया, निज समाज विकास में आगे रहेंगे । सामाजिक गौरव का काम करेंगे । रैगर समरसता हित सब काम करेंगे । स्वजाति उत्थान में समाज बंधु लग जाएँगे । माँ गंगा की संतान, रैगर ज्ञानी और गुणवान । सामाजिक एकता प्यारेँ बंधु मिल जाएँगे । वीरता, मर्यादा, से लबरेज समाज...Read More
बदल रही आबो-हवा, नशे के दलदल मे फिसल रहा युवा । हर तरफ हो रहे सस्ते, सामाजिक सरसता भरे रिश्ते । नशा करने वाले समझते, शान सब मे खुद की दोगुनी । किंतु मायूसी के हालात, समाज मे व्यथा बढ़ रही सौगुनी । मलहम दु:ख-दर्द का और सही, किंतु ना कभी बने नशा विकल्प...Read More
आज नफरत की हम तोड़ दीवारें । आपस मे सब प्यार करे॥ कभी ना सच से माने हार । ऐसा रैगर सदव्यवहार करे॥ झूठ पर कर मनन विचार । आज ही समाजहित बंद करे पापाचार॥ सभ्य-निर्मल समाज का सपना सलौना । हाथ सभी बढ़ाकर करे साकार॥ होंसला रख ऐसा कुछ कर जाये । रेगर...Read More