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प्रस्तावना: गुरु-शिष्य परंपरा सदियों से हमारे देश में चली आ रही है। गुरु शिष्य परम्परा के अंतर्गत गुरु अपने शिष्य को शिक्षा देता है। बाद में वही शिष्य गुरु के रुप में दूसरों को शिक्षा देता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। अब हम गुरु शब्द का अर्थ जानेंगे। ‘गु’ शब्द का अर्थ...
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जीवन जीवन की प्रत्येक प्रभात मेरा एक नया जन्म है और मेरा एक दिन मेरे लिए एक जीवन के बराबर है । मैं आज ही वह सब कुछ करूँगा जिसके लिए मेरे परमात्मा ने इस धरती पर मुझे जन्म दिया है । हमारा जीना व दुनिया से जाना दोनों ही गौरवपूर्ण होने चाहिए । कीर्तिर्यस्य...
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स्‍वस्थ्‍य तन मन ही जीवन का आधार है । 1. जल्दी सोवें और जल्दी उठें । प्रतिदिन सूर्योदय से डेढ़ घंटा पूर्व उठें ।2. प्रातः उठकर 2-3 गिलास गुनगुना पानी पीयें । गुनगुना पानी में आधा नींबू का रस एवं एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से विशेष लाभ होता है । सुबह खाली पेंट चाय...
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धर्म विचारों सज्जनों बनो धर्म के दास ।सच्चे मन से सभी जन त्यागो मदिरा मांस ।। – स्वामी ज्ञानस्वरूपजी महाराज प्रिय बंधुओं !         स्वामी ज्ञानस्वरूपजी महाराज, स्वामी उदारामजी महाराज व स्वामी गोपालरामजी महाराज जैसे संत हमे मार्गदाता व मुक्तिदाता के रूप में मिले हैं । जिनके अथाह प्रयासों से हमारे समाज में कई सुधार हुए...
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प्रिय बंधुओं !         पुराणों शास्‍त्रों तथा उपनिषदों में और भी हजारों सूक्तियाँ मनुष्‍य के लिए व लोक कल्‍याण के लिए बनाई गई है । अगर मनुष्‍य इन सूक्तियों का अनुसर करे तो लाभ मोह मद काम क्रोध मत्‍सर से छुटकारा मिल जाता है । आत्‍मा स्‍वच्‍छ निर्मल गंगाजल सी निर्लेप पवित्र बनकर भगवान की प्राप्‍ति...
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पहले आदमी शराब पीता है, फिर शराब, शराब को पीती है और अंत में शराब आदमी को निगलने लग जाती है। आज गाँवों, शहरों में उत्सव, शादी-ब्याह, जन्‌म-मरणोपरांत के समारोहों में सुपारी, पान-मसाला,बीड़ी,सिगरेट,अफीम और रियाण सभी तरह के नशेड़ी तामझामो की व्यवस्था करना जरूरी है । अमीरोँ के लिए यह परंपरा शान है किंतु गरीबोँ...
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छुट्टियाँ बिताने के लिये पूरे परिवार के साथ यात्रा में जाने का शौक भला किसे नहीं होता । घूमने जाने के नाम से बच्चे सबसे अधिक रोमांचित होते हैं पर साथ ही साथ बड़े भी उत्साहित रहते हैं । पर अक्सर होता यह है कि लोग बिना किसी पूर्व योजना तथा तैयारी के यात्रा में...
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जीवन जीना भी एक कला है अगर हम इस जीवन को किसी Art-Work की तरह जिए तो बहुत सुन्दर जीवन जिया जा सकता है ! वर्तमान में जब चारों ओर अशांति और बेचैनी का माहौल नजर आता है । ऐसे में हर कोई शांति से जीवन जीने की कला सीखना चाहता है । जीवन अमूल्य...
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        आलस्य मनुष्य का शत्रु है । मनुष्य स्वभाव में आलस्य का भाव स्वाभाविक रूप से रहता है । कर्तव्य कर्मो से जी चुराने का नाम आलस्य है । आलस्य ऐसा दोष है जिससे मनुष्य अपने वर्तमान और भविष्य दोनों को नष्ट कर देता है । आलस्य के कारण ही मनुष्य उन्नति के साधनों को खो...
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