Ambedkarwadi lekh

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आज जिसे देखो वहीं, कहता नज़र आता है कि “मैं अम्बेडकरवादी हूँ”। लेकिन क्या उसे ये पता होता है की “अम्बेडकरवाद” है क्या? किसी किसी को शायद ये बड़ी मुश्किल से पता होता है कि “अम्बेडकरवाद” असल में है क्या? अम्बेडकरवाद” किसी भी धर्म, जाति, रूढ़वादिता, अंधविश्वास, अज्ञानता,किसी भी प्रकार के भेदभाव या रंगभेद को...
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गरीबों के दर्द को वही समझ सकता है जिसने गरीबी देखी हो. जो खुद गरीबों के बीच में रहा हो वह ही गरीबों की समस्या को सही ढंग से समझ सकता है. एक इंसान किस तरह एक देश की तकदीर को संवारता है इसका उदाहरण है महापुरुष डॉ. भीम राव अम्‍बेडकर, जिनका बचपन बेहद गरीबी...
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अब आप कहेगें की, यह क्या कह रहे हो । मैं सच कह रहा हूँ, यह उन लोगों के लिए हैं । जो बाबा साहेब डॉ. बी.आर. अम्बेडकर के संघर्ष से मिले, अधिकार और आरक्षण के लाभ को मजे से खा रहे हैं । लेकिन बदले मे, बाबा साहेब के लिए कुछ नही कर रहे...
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आज हम दलित मूवमेन्ट पर विचार कर रहे है जिसके लिए बाबा साहेब ने अपना पूरा जीवन न्योछावर कर लिया, दलित मूवमेन्ट जिसका प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष प्रभाव हमारे जीवन में दिन-प्रतिदिन पड़ता है । यदि इसे अच्छी तरह समझना है तो हमें हमारी जाति आधारित व्यवस्था तथा आवरण से बाहर निकलना होगा, तभी हम इसे अच्छी...
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डॉ. अम्बेडकर के अनुसार संविधान शासन की सभी शाखाओं पर नियन्त्रण रखने के लिए सिर्फ यन्त्र रचना है । यह किसी सदस्य या दल को सत्ता में बैठाने की यन्त्र रचना नहीं है । शासन की क्या नीति होनी चाहिए ?, सामाजिक व आर्थिक दृष्टि से समाज का क्या गठन होना चाहिए ?, ये वे...
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आज हम हिन्दुस्तान के दो महान् व्यक्तित्व पर चर्चा करने जा रहे है जिसमे भारत की कोकिला ( द नाइटएंगल ऑफ इण्डिया ) कही जाने वाली कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की प्रथम महिला राज्यपाल, स्वंतन्त्रता सेनानी, महान कवयित्री सरोजिनी नायडू जिनका जन्म 13 फरवरी 1879 को हुआ, इसी महान कवयित्री के जन्मदिन...
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दिन-महीने-साल बिते, समय बदला, और बदल भी रहा है, लेकिन इसमे यदि कुछ नही बदला तो वह है, दलितों का उत्पीड़न । कुछ तो इस समस्या से कागजी छुटकारा पाना चाहते है, इसलिए अब कहने लगे है कि, दलित शब्द का उपयोग बंद किया जाना चाहिये, ऐसा कहने वाले उच्च जाति के लोगों के साथ-साथ...
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अन्ना के पूरे आन्दोलन पर ध्यान दे तो आपको पता चलेगा कि अन्ना, 12 दिन के अनशन में देश के सभी महानेताओं के कार्यो तथा बलिदान को याद करते है । लेकिन डॉ अम्बेडकर के नाम को भूल जाते हैं । अन्ना गरीबों की बात करते है और गरीबों के भगवान को भूल जाते है...
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आज एक बार फिर सिद्व हो गया है कि जब-जब किसी दलित को मौका मिला, इतिहास फिर दोहराया गया, पहली बार जब किसी दलित को मौका मिला तो देश के सबसे पवित्र ग्रन्थ संविधान लिख डाला, तब भी हजारों लोगों ने उन पर उगंली उठाई और आंखे तानी, लेकिन उन्होनें वो काम इतने बेहतरीन तरीके से...
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आज हम डॉ. अम्बेडकर के एक ऐसे चमत्कार और उस दौर की बात कर रहे है जो समय उन्होने न्यूयार्क, अमेरिका में 1913 से 1916 के बीच कोलम्बिया युनिवर्सिटी में बिताया । ऐसा डॉ. अम्बेडकर और बड़ोदा महाराज के बीच हुऐ करार से सम्भव हो पाया जिसके अन्तर्गत 10 वर्षों तक रियासत की सेवा करने...
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