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रैगर जाति में एक जमाने के रीति रिवाजो को जानने के लिये यह आवश्यक है कि इस समाज के विभिन्न संगठनो व समाज सुधारको द्वारा प्रकाशित सुधारो का अध्ययन किया जाये। इन रीति रिवाजो के विस्तृत अध्ययन करने के लिये मेने दिल्ली में रहने वाले रैगर जाति के समाज सुधारको द्वारा प्रकाशित र्खचीले रीति रिवाजो...
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जनगणना के आंकड़े सही होते हैं। जरा आप आगे दिये गये 18 वीं सदी ईस्वी के जनगणना आंकड़ों पर विचार कीजिये। क्योंकि वो आंकड़े सामान्यवर्ग के अधिकारियों और प्रगणकों द्वारा एकत्रित किये गए थे, जिनमें जातिगत ऊँच-नीच की भावना पूर्णतया भरी हुए थी। अतः उनके विरुद्ध यह आरोप नहीं लगाया जा सकता है कि उनके द्वारा...
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आज जिसको देखो समाज के विकास की बात करता है जिसमे, बड़े-बूढे, शिक्षित, अशिक्षित, डाक्टर, इंजीनियर, वकील, राजपत्र अधिकारी सभी शामिल है। यदि किसी से पूछा जाये कि आपने समाज के विकास के लिये क्या किया तो व्यक्ति बताता है कि मै फलाणा फलाना संस्थाओ/संघो/संगठनो (एक से अधिक) मे पदाधिकारी हूं और समाज की सेवा...
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किसी भी अखबार की अपार सफलता के पिछे उसके पाठकों का हाथ होता हैं । इन्हीं कि बदोलत आज ‘रघुवंशी रक्षक पत्रिका’ अपने ११ वें वर्ष में प्रवेश कर लिया है । पाठकों के अपार स्नेह व सहयोग ने ही । आज ‘रघुवंशी रक्षक पत्रिका’ को रैगर समाज की बुलंद आवाज बनकर उभारा है ।...
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प्रत्येक जाति का अपना एक इतिहास होता है । रैगर जाति का भी इतिहास रहा है । यदि रैगर जाति के इतिहास को आंकने का प्रयास किया जाये तो विदित होता है कि यह जाति गौरवशाली, क्षत्रिय परम्पराओं का निर्वहन करने वाली तथा जमींदारी कार्यों के प्रति समर्पित रही होगी । मध्यकाल में जब एक...
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अखिल भारतीय रैगर महासभा के विधान में संशोधन किए जा रहे हैं । ये संशोधन प्रमुख रूप से महासभा के सदस्‍यों तथा पदाधिकारियों के पदों की संख्‍या बढ़ाये जाने से सम्‍बन्धित है । विधान में प्रान्‍तों एवं जिलों के आधार पर प्रतिनिधियों की संख्‍या 1290 निर्धारित की गई थी । पूरे भारत में रैगरों की...
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 जिस व्‍यक्ति के जीवन में कोई ”लक्ष्‍य” नहीं होता है वह सदैव अज्ञान के बन्‍धनों में बन्‍धा रहता है । जीवन का ”लक्ष्‍य” आत्‍मज्ञान है । विनोवा भावे ने कहा है, ”चलना आरंभ कीजिए, लक्ष्य मिल ही जाएगा ।” इतिहास उन्हें ही याद रखता है जो असंभव लक्ष्य निर्धारित करते हैं और उन्हें प्राप्त करते...
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‘संगठन में शक्ति है ।’ इस मूल मंत्र को समझे और क्रियांवित करे । संगठन से बड़ी कोई शक्ति नहीं है । बिना संगठन के कोई भी देश व समाज सुचारू रूप से नहीं चल सकता है । संगठन ही समाज का दीपक है- संगठन ही शांति का खजाना है । संगठन ही सर्वोत्कृषष्ट शक्ति है...
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एक समह हुआ करता था जब भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था एवं उसमें दुध दही की नदियां बहा करती थी, यह सत्‍य है लेकिन अंग्रेजों ने भारत के राजा-महाराजओं की आपसी फूट का नाजायज फायदा उठाकर कई बहुमुल्‍य हीरे-जवाहरात, सोना-चांदी एवं अमूल्‍य साहित्‍य कब्‍जें में लेकर अपने देशों में लेकर चले गये...
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हम कौन थे, हो गए क्‍या, और होंगे क्‍या अभी ।आओ मिलकर विचार करें, यह समस्‍याएं सभी ।। उस परब्रह्मा द्वारा निर्मित सृष्टि की कोई सीमा नहीं है । इसमें कई राष्‍ट्र धर्म तथा जातियों को मानने वाले लोग निवास करते है, जिसमें रैगर जाति भी एक है । हिन्‍दू धर्म की सदियों से पिछड़ी...
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