Shiksha Margdarshi lekh

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प्रस्तावना: गुरु-शिष्य परंपरा सदियों से हमारे देश में चली आ रही है। गुरु शिष्य परम्परा के अंतर्गत गुरु अपने शिष्य को शिक्षा देता है। बाद में वही शिष्य गुरु के रुप में दूसरों को शिक्षा देता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। अब हम गुरु शब्द का अर्थ जानेंगे। ‘गु’ शब्द का अर्थ...
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महात्मा बुद्ध को उनके अनुयायी ईश्वर में विश्वास न रखने वाला नास्तिक मानते हैं। इस सम्बन्ध में आर्यजगत के एक महान विद्वान पं. धर्मदेव विद्यामार्तण्ड अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “बौद्धमत एवं वैदिक धर्म” में लिखते हैं कि आजकल जो लोग अपने को बौद्धमत का अनुयायी कहते हैं उनमें बहुसंख्या ऐसे लोगों की है जो ईश्वर और...
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माना जाता है कि भगवान गौतम बुद्ध की ज्ञान की खोज उस समय शुरू हुई जब उन्होंने एक ही दिन में तीन दृश्य देखे. पहला- एक रोगी व्यक्ति, दूसरा- एक वृद्ध और तीसरा- एक शव. जीवन का यह रूप देखकर हर तरह की सुख सुविधा से संपन्न जीवन को छोड़कर राजकुमार सिद्धार्थ गौतम जंगल की...
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जल जीवन का अनमोल है रत्न  , इसे बचाने का करो जतन। जल जीवन का श्रोत है तथा जल ही जीवन है | पानी का महत्व दिनों -दिन बढ़ता जा रहा है क्योंकि पानी लगातार कम होता जा रहा है। धरती पर जितनी पानी की मात्रा है उस सब में से 1% पानी ही हमारे...
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आज जिस प्रकार दुनियां आधुनिक रूप में बदल रही है, वहां शिक्षा का मतलब बढ़ता जा रहा है । ऐसा नहीं है कि आज विश्व के आधुनिक रूप में परिवर्तन होने के कारण शिक्षा के महत्व पर जोर दिया गया है , बल्कि प्राचीन समय से ही शिक्षा के महत्व को हमारे पूर्वजों ने स्वीकार किया...
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घड़ी के बारे में तो सभी जानते ही होंगे की घड़ी किस उद्देश्य से बनाई गई है । वैसे तो घड़ी निर्माण कर्ता घड़ी को समय देखने के उद्देश्य से बनाया है जिससे कि सरलता से समय को मापा जा सके । पुराने समय में:- पुराने समय में दिन में समय देखने के लिए सूर्य...
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भारत एक विशाल देश है । क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से यह दुनिया का सातवाँ सबसे बड़ा देश है । जनसंख्या के हिसाब से इसका स्थान संसार में दूसरा है । हमारा देश दुनिया के विकासशील देशों की श्रेणी में आता है । यह तीव्र गति से विकासमान है । इक्कीसवीं सदी में भारत विकसित राष्ट्रों...
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मानव एक सामाजिक प्राणी है। ‘प्राणी’ इस जगत का सर्वाधिक विकसित जीव है ओर इस समाज के बिना उसका रहना कठिन ही नहीं असंभव है। माता-पिता, भाई-बहन, रिश्‍तेदारों आदि लोगों को मिलाकर ही इस समाज की रचना होती है। समाज के बिना मानव का पूर्ण रूप से विकास होना सम्भव ही नहीं है। इसलिए मानव...
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बात बड़ी अजीब है, हो सकता है कि, प्रथम दृष्टया यह आपको गलत लगे, लेकिन यह सच्चाई है । अब आप कहेगे की कैसे । इसके लिए हमे हमारे संवैधानिक अधिकारों के कानूनी पहलू को समझना होगा । चलिए आज इसी को टटोलते हैं । मूल बिन्दु की बात करने से पहले हमे यह समझना...
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प्रश्न बहुत सीधा-साधा है कि क्या हम बेरोजगार है, हमे यह जानना बहुत जरूरी है कि बेरोजगार कौन है । क्या बेरोजगार वह व्यक्ति है, जिसे काम नही मिला, या वह व्यक्ति बेरोजगार है, जिसे सरकार की नोकरी नही मिली या वह व्यक्ति बेरोजगार है, जो कोई काम करना ही नही चाहता या वह व्यक्ति...
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